अमेरिका को ऋण संकट पर चेतावनी. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 26 जुलाई 2011

अमेरिका को ऋण संकट पर चेतावनी.

अन्तराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ़ ने अमरीका को चेतावनी दी है कि वो जल्द ही अपने ऋण संकट का निपटारा करे या अमरीकी अर्थव्यवस्था को लगने वाले ज़बरदस्त झटके के लिए तैयार रहे. 
इसका मतलब हुआ कि हुकूमत को देश के क़र्ज़ लेने की सीमा को चंद दिनों के भीतर ही बढ़ाना होगा.

आईएमएफ़ ने कहा है कि अगर अमरीकी सांसद कर्ज़ की सीमा को बढ़ाने के मामले पर अगले हफ़्ते तक किसी समझौते के लिए राज़ी नहीं होते हैं तो इसका असर वैश्विक वित्तीय बाज़ारों पर भी पड़ सकता है. डर है कि अगर ऋण संकट का निपटारा नहीं हुआ तो अमरीका अपने 14 खरब के क़र्ज़ भुगतान में चूक जाएगा.

आईएमएफ़ का कहना है, "चूंकि अमरीकी सरकारी हुण्डी विश्व बाज़ार में सबसे अहम रोल अदा करती है इस ख़तरे के व्यापक वैश्विक परिणाम होंगे." कहा गया है, "योजना में सुधारों को शामिल किया जाए, स्वास्थ्य के क्षेत्र में होने वाले ख़र्चों में बचत की जाए, साथ ही सरकार की आय में बढ़ोत्तरी किए जाने की ज़रूरत है." इन सभी मुद्दों पर राष्ट्रपति बराक ओबामा की डेमोक्रेटिक और विपक्षी रिपब्लिकन पार्टियों में भारी मतभेद हैं.

अमरीकी अर्थव्यवस्था के सालाना आकलन में आईएमएफ़ ने कहा है कि अमरीका को अपने ख़र्च में कटौती धीरे-धीरे करनी चाहिए. हांगकांग में अमरीकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि कांग्रेस में सहमति हो जाएगी ताकि अमरीका अगले महीने क़र्ज़ की अदायगी में न चूक जाए. अमरीका में राष्ट्रपति बराक ओबामा विरोधी रिपब्लिकन सांसदो से जूझ रहे हैं न्यूयार्क और दुनिया भर के शेयर बाज़ारों में गिरावट दर्ज की गई है.

रिपब्लिकन पार्टी का कहना है कि राष्ट्रपति ओबामा को टैक्स बढ़ाने की बजाए ख़र्च कम करना चाहिए. अगर अमरीका क़र्ज़ लेने के 14 खरब की अपनी सीमा को नहीं बढ़ाता है तो अगले आठ दिनों के बाद वो अपने क़र्ज़ की अदाएगी नहीं कर पाएगा जिसका असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पडे़गा. इसका मतलब हुआ कि अमरीका के लिए पैसे से संबंधित छोटे-छोटे काम करने मुश्किल हो जाएंगे जिसका असर ज़ाहिर है दूसरी अर्थव्यवस्थाओं पर भी पडे़गा चूँकि अमरीका दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था है.


दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के क़र्ज़ अदाएगी न कर पाने का असर ऋण दरों पर पडे़गा, जो ऊपर चली जाएगी, जिसका असर अमरीका अर्थव्यवस्था पर पडे़गा और ये वैश्विक मंदी से उबरने की प्रक्रिया पर असर डालेगी. ये संकट ख़ास तौर पर इसीलिए पैदा हुआ है क्योंकि दो तरह की राजनीतिक विचारधारा रखने वाली पार्टियां इसका निपटारा अपने ढंग से चाहती हैं.

राष्ट्रपति ओबामा डेमोक्रैट हैं जबकि रिपब्लिकन पार्टी को हाल में हुए मध्यावधि चुनाव में संसद के निचले सदन में बहुमत हासिल हो गया है. बहुत सारे रिपब्लिकन सदस्यों को चुनाव में रूढिवादी 'टी पार्टी' से समर्थन मिला था और उन्होंने वायदा किया था को वो अमरीका के बढ़ते क़र्ज़ में कटौती करवाएंगे. वो मानते हैं कि सरकार के ख़र्च बहुत बढ़ गए हैं. वो चाहते हैं कि सरकार अपनी आमदनी को बढ़ाने के लिए करों में इज़ाफ़ा न करे जबकि डेमोक्रेट मानते हैं कि ये ज़रूरी है. राष्ट्रपति ओबामा ने कहा है, "अमरीका अपने ऋण संकट का निपटारा सिर्फ़ ख़र्च में कमी करके नहीं कर सकता है.

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