असम में 700 विद्रोहियों का आत्मसर्पण - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 24 जनवरी 2012

असम में 700 विद्रोहियों का आत्मसर्पण


 असम में नौ अलगाववादी समूहों से जुड़े लगभग 700 विद्रोहियों ने मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम के सामने सशस्त्र आत्मसर्पण कर मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया। पूर्वोत्तर भारत का सबसे बड़ा आत्मसर्पण समारोह राज्य के मुख्य शहर गुवाहाटी में हुआ, जिसमें कुल 676 विद्रोहियों ने हथियार डालकर केंद्रीय गृह मंत्री के हाथ से गुलाब ग्रहण किया। इस मौके पर चिदम्बरम ने कहा, "आज का दिन ऐतिहासिक है, क्योंकि कई विद्रोही संगठन हिंसा का रास्ता छोड़कर राष्ट्रीय मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं।"

उन्हों कहा, "अतीत को भूल जाइए और भविष्य को सकारात्मक नजरिए से देखिए। मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि आप में से हर किसी के साथ बराबरी का व्यवहार किया जाएगा और आप गरिमापूर्ण और सम्मानित जीवन जीने में सक्षम होंगे।" नौ समूह दो बड़े जातीय संगठनों के हिस्से हैं। ये संगठन पूर्वी असम के कूकी जनजाति और उत्तरी तथा पश्चिमी असम में रहने वाले जनजातियों के हैं। आत्मसमर्पण करने वाले नौ समूह हैं आदिवासी पीपुल्स आर्मी (एपीए), ऑल आदिवासी नेशनल लिबरेशन आर्मी (एएएनएलए), संथाल टाइगर फोर्स (एसटीएफ), बिरसा कमांडो फोर्स (बीएसएफ), आदिवासी कोब्रा मिलिटेंट आर्मी (एसीएमए), कूकी लिबरेशन आर्मी (केएलए), कूकी रिवॉल्यूशनरी आर्मी (केआरए), द युनाइटेड कूकीग्राम डिफेंस आर्मी (यूकेडीए) और ह्मार पीपुल्स कन्वेंशन-डिमोक्रेटिक (एचपीसीडी)।

चिदम्बरम ने कहा, "उल्फा (युनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम) के अध्यक्ष अरबिंद राजखोवा के नेतृत्व वाले वार्ता समर्थक गुट के साथ शांति वार्ता चल रही है, जबकि दिमा हलाम देवगाह (निरंजन) गुट के साथ प्रस्तावित शांति वार्ता अंतिम चरण में है।" सभी नौ समूहों का सरकार के साथ युद्धविराम चल रहा है, हालांकि औपचारिक शांति वार्ता शुरू होना अभी बाकी है। इन समूहों में से अधिकांश या तो अलग राज्य या अधिक स्वायत्तता के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हथियार डालने के बाद आदिवासी कोब्रा मिलिटेंट ऑफ असम के अध्यक्ष जावरेज खाका ने आईएएनएस से कहा, "हमने सशस्त्र लड़ाई की निर्थकता को महसूस किया और मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया। हमें उम्मीद है कि सरकार के साथ बातचीत में हमारी शिकायतों का निपटारा किया जाएगा।"

आत्मसमर्पण समारोह में असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई, वरिष्ठ सैन्य, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद थे। मुख्यमंत्री ने कहा, "यह असम में शांति और उम्मीदों के नए युग की शुरुआत हो सकती है। हमें आशा है कि और भी ऐसे समूह सशस्त्र लड़ाई की निर्थकता को समझेंगे और मुख्यधारा में शामिल हो जाएंगे।" 
प्रतिबंधित संगठन उल्फा के स्वयंभू कमांडर इन चीफ परेश बरुआ के नेतृत्व वाला वार्ता विरोधी खेमे को छोड़कर असम के लगभग सभी प्रमुख विद्रोही संगठन या तो सरकार के साथ वार्ता कर रहे हैं या शांति की तरफ बढ़ रहे हैं। असम पुलिस की विशेष शाखा के प्रमुख खगेन शर्मा ने कहा, "असम में गतिविधियां चलाने वाले अब लगभग सभी विद्रोही संगठन मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं। सिर्फ कुछ खेमे ही सक्रिय हैं।"

योजना के मुताबिक सरकार इन विद्रोहियों को औपचारिक वार्ता के बाद समझौते पर हस्ताक्षर होने तक खास छावनियों में रखेगी। इस बीच, मुख्यमंत्री गोगोई ने वार्ता विरोधी परेश बरुआ के नेतृत्व वाले गुट से शांति प्रक्रिया में शामिल होने की फिर अपील की। आत्मसमर्पण समारोह को सम्बोधित करते हुए गोगोई ने कहा, "मैं उल्फा के परेश बरुआ गुट से आज एक बार फिर शांति प्रक्रिया में शामिल होने की अपील करता हूं। हमारे दरवाजे खुले हैं। वह शांति प्रक्रिया में शामिल हों।" मुख्यमंत्री ने कहा, "लेकिन हिंसा में जो संलिप्त हैं हम उनके साथ कड़ाई से निपटेंगे। जिन्होंने हठधर्मी रवैया अख्तियार किया है हम उनसे सख्ती से निपटने वाले हैं। अलगाववादी गुट कानून अपने हाथ में लें हम इसे बर्दाश्त करने नहीं जा रहे हैं।"

गोगोई ने तीन संगठनों के विद्रोहियों के समर्पण का स्वागत करते हुए कहा कि राज्य में तीन दशक पुराने विद्रोह को सुलझाने की दिशा में यह एक बड़ा कदम है। राज्य में विद्रोही गुटों से लड़ने में केंद्र सरकार के सहयोग की सराहना करते हुए गोगोई ने कहा कि राज्य में वर्ष 2000 में आतंकवाद से जुड़ी घटनाओं में नागरिकों और सुरक्षाकर्मियों सहित 827 लोग मारे गए थे, जबकि पिछले साल इस तरह की घटनाओं में केवल 28 नागरिक मारे गए।

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