विश्व का सबसे विशाल पक्षी सारस है। सारस पक्षी भारत में सबसे अधिक पाए जाते हैं। मुख्यत: ये गंगा के मैदानी भागों में पाये जाते हैं। भारत में इनकी कुल संख्या 8,000 से 10,000 के बीच है। इनकी खासियत इनकी लंबी चोंच होती हैं जिससे ये नदी या तालाब के किनारे खड़े होकर मछलियां और छोटे जीव पकड़ लेते हैं।
सारस का शरीर सफेद धूसर रंग के परों से ढका होता है। लम्बी गर्दन के ऊपर की त्वचा गहरे लाल रंग की होती है और कानों की जगह पर सलेटी रंग के पंख होते हैं। लम्बाई लगभग 176 से.मी. तक होती है और इसका वजन 7.3 किलोग्राम तक हो सकता है। सुन्दर पंखों का फैलाव 250 से.मी. होता है। ये ज्यादातर दलदली भूमि, बाढ़ वाले स्थान, तालाब, झील और खेतों में देखे जा सकते हैं। खाने में इन्हें कंद, बीज और अनाज के दाने बेहद पसंद हैं।
कभी-कभी ये कुछ छोटे जीवों को भी खा जाते हैं। घोंसला ये छिछले पानी के आस-पास ही बनाना पसंद करते हैं, जहां हरे-भरे खेत, पेड़-पौधे, झाड़ियां तथा घास हो। नर और मादा देखने में एक जैसे ही लगते हैं। दोनों में बहुत कम अन्तर पाया जाता है। लेकिन जब दोनों एक साथ हों तो छोटे शरीर के कारण मादा सारस को आसानी से पहचाना जा सकता है।
सारस पक्षी अपने जीवनकाल में सिर्फ एक बार जोड़ा बनाता है और जोड़ा बनाने के बाद जीवन भर साथ रहता है। यदि किसी कारण से एक साथी मर जाए तो दूसरा भी अकेलेपन के कारण तड़प-तड़प कर मर जाता है। मादा सारस एक बार में 2 से 3 अंडे देती है। अंडों से बच्चों को बाहर आने में कम से कम 25 दिनों का समय लगता है। नर और मादा दोनों मिलकर अपने पंखों से अंडे सेते हैं। नन्हे सारस का शरीर बहुत हल्की लाली युक्त भूरे मुलायम रोंएदार परो से ढका होता है, जो लगभग एक वर्ष में सफेद हो जाते हैं। पूरे विश्व में सारस की कुल 8 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से चार भारत में पाई जाती हैं।
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