जेसिका के दोषी की पेरोल याचिका ख़ारिज. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

मंगलवार, 31 जनवरी 2012

जेसिका के दोषी की पेरोल याचिका ख़ारिज.


दिल्ली हाईकोर्ट ने वर्ष 1999 के जेसिका लाल हत्या मामले के एक दोषी की ओर से उसके परिवार को किराए का घर दिलाने के लिए दायर तीन महीने के पैरोल की याचिका को मंगलवार को खारिज कर दिया। इस मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे मुख्य अभियुक्त मनु शर्मा के साथ चार साल की सजा काट रहे अमरदीप सिंह गिल ने अपनी पत्नी व दो बच्चों के लिए गुड़गांव में एक अन्य किराए का घर ढ़ूंढ़ने का हवाला देकर इस पैरोल की मांग की। 
अपनी याचिका में उसने कहा कि उसके वर्तमान मकान मालिक ने उसे घर खाली करने का नोटिस दिया है। न्यायमूर्ति एमएल मेहता ने कहा, जबतक कोई आपात स्थिति नहीं आ जाती मैं उसे पैरोल नहीं दे सकता। इतनी लंबी अवधि के लिए पैरोल देना संभव नहीं है। हालांकि न्यायालय ने यह भी कहा कि उसे इस काम के लिए तीन से चार दिनों की हिरासत पैरोल दी जा सकती है।

दिल्ली सरकार की ओर से पिछले साल अक्टूबर में यह याचिका खारिज कर दिए जाने के बाद गिल ने न्यायालय में याचिका दायर की। सरकार ने यह कदम दिल्ली पुलिस की उस रिपोर्ट के बाद उठाया था कि गिल के परिवार का दिल्ली में स्थाई पता नहीं होने के कारण उसके पैरोल से भागने की संभावना है।

गिल की याचिका में 13 साल पुराने मामले और जेल में कैद के दौरान उसके अच्छे व्यावहार का हवाला दिया गया है। इसके साथ ही गुड़गांव के पुलिस उपायुक्त की भी रिपोर्ट संलग्न की गई है, जिसमें उसके परिवार की जानकारी और पते को सत्यापित किया गया है और जेल में उसके व्यवहार के बारे में अनुकूल राय दी गयी है।
गौरतलब है कि इस मामले में एक एमएनसी में काम कर चुके गिल और उत्तर प्रदेश के नेता डीपी यादव के बेटे विकास यादव को सबूत मिटाने के जुर्म में चार साल की सजा दी गई। 

कोई टिप्पणी नहीं: