नार्वे के अधिकारियों द्वारा एक भारतीय दम्पती से छीने गए दो अल्पवयस्क बच्चों को परिवार के हवाले करने के बारे में भारत और नार्वे के बीच बुधवार को सहमति बन गई। आठ महीने से परिवार से अलग रहने की त्रासदी झेल रहे यह बच्चे अपने परिवार के बीच आ सकेंगे।
विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार अभिज्ञान (तीन वर्ष) और ऐश्वर्य (एक वर्ष) को नार्वे में सरकारी संरक्षण से मुक्त कर परिवार हवाले करने के संबंध में भारत और नार्वे के अधिकारियों के बीच वार्ता के बाद सहमति बनी कि बच्चों को उनके चाचा को सौंपा जाएगा।
बच्चों के चाचा अरणाभाष बच्चों को संरक्षण में लेने के लिए शीघ्र ही कोलकाता से ओस्लो जाएंगे। उनकी यात्रा का खर्च सरकार वहन करेगी।
गौरतलब है कि इन बच्चों को दस माह पूर्व सरकारी संस्था ने उनके मां बाप की गोद से छीनकर अपने पास रख लिया था। तभी से इनके मां-बाप इन्हें वापस सौंपे जाने की गुहार कर रहे है। भारत सरकार भी गत दो माह से यह मामला नार्वे सरकार के साथ उठा रही है।
नार्वे प्रशासन ने मां बाप द्वारा बच्चों को अपने बिस्तर पर सुलाने और हाथ से खाना खिलाने का विरोध किया था। बच्चों के मां बाप ने कहा था कि सांस्कृतिक गलत फहमी के कारण उनके बच्चों को उनसे छीन लिया गया है। विदेश मंत्री एस एम कृष्णा ने इस मानवीय मुद्दे को सुलझाने के लिए नार्वे के विदेश मंत्री जोनास गार स्टोर से बातचीत की थी। कृष्णा के हस्तक्षेप के बाद बच्चों को परिवार को सौंपने के लिए दोनों देशों के अधिकारियों के बीच गहन वार्ता हुई। नार्वे स्थित भारतीय दूतावास के अधिकारियों और नार्वे की बाल देखरेख संस्था के बीच आज विधिवत सहमति बनी।
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