सरकार के खिलाफ मजदूर संगठनो का हड़ताल. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 27 फ़रवरी 2012

सरकार के खिलाफ मजदूर संगठनो का हड़ताल.


वैचारिक मतभेद को पीछे छोड़कर देश के सभी मजदूर संगठनों ने मंगलवार को यूपीए सरकार के खिलाफ हड़ताल का ऐलान किया है। महंगाई और सरकार की नीतियों के विरोध में वामपंथी, बीजेपी और खुद कांग्रेस के मजदूर संगठन पहली बार एक मंच पर आ गए हैं। रेलवे को छोड़कर सभी सेक्टरों में आम हड़ताल की घोषणा की गई है। 

ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के जनरल सेकेटरी गुरुदास दासगुप्ता ने कहा कि पहली बार सभी प्रमुख 11 ट्रेड यूनियनें हड़ताल में हिस्सा ले रही हैं। इनमें सभी राजनीतिक पार्टियों की समर्थित ट्रेड यूनियनें भी हैं। ये ठेके पर काम न कराए जाने, न्यूनतम मजदूरी अधिनियम लागू करने और सभी के लिए पेंशन सुनिश्चित करने की मांग कर रही हैं। यूनियनों ने इससे पहले 2 दिसंबर को हड़ताल पर जाने का फैसला किया था।

हड़ताल करने वालों में बैंक यूनियनें भी हैं। इन्होंने आउटसोर्सिंग के खिलाफ मंगलवार को हड़ताल करने का फैसला किया है। ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉयीज असोसिएशन के जनरल सेकेटरी सी.एच. वेंकटचलम ने दावा किया कि विभिन्न बैंक यूनियनों से जुड़े करीब 8 लाख कर्मचारी इस हड़ताल में शामिल होंगे। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया समेत कई दूसरे बैंकों ने कहा है कि यदि हड़ताल होती है तो सेवाओं पर असर पड़ेगा।

हड़ताल में राजधानी के ऑटो और टैक्सी चालक भी शामिल होंगे। भारतीय प्राइवेट ट्रांसपोर्ट मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेंद सोनी के मुताबिक, हड़ताल सोमवार रात 12 बजे से ही शुरू हो जाएगी। दासगुप्ता ने कहा कि मंहगाई आसमान छू रही है। 50 रुपये किलो बैगन बिक रहा है और सरकार मंहगाई कम होने के झूठे दावे कर रही है। देश में विकास का दावा किया है। पर इसका मूल मंत्र है मजदूरी के कंपोनेंट का जितना हो सके कम किया जाए।

37 करोड़ असंगठित मजदूरों में न तो कोई कानून बनाया जा रहा है और न ही इनके पेंशन, इलाज और न्यूनतम मजदूरी के लिए कोई कल्याण कोष बनाया जा रहा है। सरकार को बीमार किंगफिशर के पुनर्वास पैकेज की चिंता है पर करोड़ों मजदूरों के घर का चूल्हा जले इसकी कोई चिंता नहीं है। इंटक के अध्यक्ष जी. संजीवा रेड्डी और सीटू के महासचिव तपन दास ने कहा कि हालात इतने खराब हो गए है कि कई प्रदेशों में तो नई टेड यूनियनों का रजिस्ट्रेशन तक नहीं किया जा रहा है।

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