“दी राइजिंग बिहार”|
कुछ छः सात साल पहले की ही बात है जब बिहारी युवा अपने बिहारी पहचान को छिपाने की कोशिश करते थे| पर तब से मानो समय ने अचानक एक ऐसा करवट लिया की रातों रात परिभाषा बदलनी शुरू हो गयी हो| बिहार के पिछडेपन को कुछ विद्वान बिहारी उपराष्ट्रीयता की अनुपस्थिति का परिणाम बताते थे| लेकिन बीते कुछ वर्षों में निराशा और असंतोष का बादल बिलकुल ही छठ गया है और बिहारी अस्मिता को एक जूनून भरी परिभाषा मिल गयी है| बिहार में लालू राज के बाद स्थिति में अपेक्षाकृत सुधार ने ना केवल बिहारी जनता में नई आस जगाई है बल्कि बिहार से बाहर पढाई करने वाले युवाओं और नौकरी-पेशा बिहारवासीयों के अन्दर भी बिहार के लिए कुछ करने , बिहार लौटने की भावना को पैदा किया है | सोशल मीडिया ने प्रवासी बिहारवासी युवाओं को संगठित होकर विचारों का आदान-प्रदान करने में अपनी महती भूमिका निभाई है | फेसबुक का आना तो मानों वरदान साबित हो गया है | फेसबुक पर सैकड़ों ग्रुप और पेज बिहार को लेकर बनाये गये हैं जिन पर बिहार से जुडे मुद्दों , समस्याओं और उनके समाधान की चर्चा की जाती है | हालाँकि अब तक ऐसे वर्चुअल स्पेस की चीजों को लोग महज कोरा प्रलाप कहकर टाल देते रहे हैं लेकिन अब कई ऐसे ग्रुप सामने अये हैं जो बाकायदा NGO बना कर बिहार में जमीनी स्तर का काम शुरू कर चुके हैं| वर्चुअल स्पेस से बाहर आकर कुछ करने और बदलने का सपना लिए ऐसे ही युवाओं का एक संगठन हैं “दी राइजिंग बिहार”|
बिहार में हुए महान और नाटकीय परिवर्तन का इससे अच्छा और कोई प्रमाण ही नहीं हो सकता! हजारों बिहारी अपने राज्य से सैकरों हज़ारों मील दूर रहकर भी इन्टरनेट के माध्यम से अपने राज्य की प्रगति में भरसक योगदान दे रहे हैं|
दी राइजिंग बिहार (TRB) के संस्थापक श्री शिरीष चंद्र मिश्र नई दिल्ली में एक निजी कंपनी में कार्यरत हैं| अपने संगठन के बारे में बताते हुए शिरीष कहते हैं ” हमलोग बिहार के विभिन्न जिलों से वास्ता रखते हैं और हम सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर एक दूसरे से मिले. सालों बिहार से संबंद्धित कई मुद्दों पर वाद-विवाद करने के पश्चात हमारे दिल ने हमसे एक प्रश्न पूछा, कि “क्या हम वाकई कोई योगदान दे रहे हैं बिहार के उत्थान में?”. इस सवाल ने हमारे अस्तित्व को झंकझोर के रख दिया और इस चिंगारी से हमारे अंदर क्रांति विष्फुरित हुई. इतने सालों तक ब्यर्थ समय गँवाने के बाद हमें ये अहसास हुआ कि हम अगर वाकई कुछ भला चाहते हैं बिहार का तो हमें खुद बिहार उत्थान का बीड़ा उठाना होगा. हमें काल्पनिक दुनिया से बाहर निकल हर गली-कूचे में समस्याओं के खिलाफ युद्ध का शंखनाद करना होगा. हमें विकास और क्रांति की ऐसी मशाल जलानी होगी जिसकी रोशनी से बिहार का हर घर आँगन चकाचौंध हो जाय. विकास और उत्थान की एक ऐसी आग लगानी होगी जो हर बिहारी को सम्राट अशोक, महात्मा बुद्ध और आर्यभट्ट बना दे.
इसी उद्देश्य के साथ हम सभी ने अपने आप को संगठित करने का काम शुरू किया और हम निरंतर इसके लिए प्रयासरत हैं. हमारा संकल्प कि हर किसी को हमारी बिहारी अस्मिता का अहसास हो और वो भी इस क्रांति की राह पर चल पड़ें. और हम बनायें एक नया बिहार, बिहार जिसकी ख्याति और समृद्धि मगध से भी ऊँची हो, एक ऐसा बिहार जहाँ लिच्छवी से भी ज्यादा मजबूत लोकतान्त्रिक व्यबस्था मौजूद हो, बिहार जहाँ के लोग अंगराज कर्ण से भी ज्यादा प्रेमशील, कर्तब्यपरायण और सहिंष्णु हों. एक ऐसा बिहार जिसकी संस्कृति और भाषा मिथिला से भी ज्यादा प्रेमपूर्ण हो.”
ज्ञात होता है कि ये संस्था अब तक कई जमीनी कार्यों भी बखूबी अंजाम दे चुकी है और इनका जज्बा देख कर तो यही लगता है कि आने वाले दिनों में ये संस्था निश्चित कोई इतिहास लिखने वाली है| दी राइजिंग बिहार संस्था को इसके सदस्यों ने औपचारिक रूप से दी राइजिंग टी आर बी के नाम से दर्ज कराया है ताकि भविष्य में ये पुरे राष्ट्र में काम कर सके|
संस्था द्वारा अब किये गए कार्यों का ब्योरा देते हुए टी आर बी के मौलिक सदस्य डाक्टर सुनील कुमार बताते हैं “ टी आर बी अब तक बहुत सारे अच्छे उद्देश्यों की पूर्ति में सफल रही है| जिसमे से प्रमुख है आठ महीने के शिशु पियूष एवं लाचार शाष्त्रीय संगीत अंशुमाला की जान बचाना| ये दोनों ही अत्यंत ही गंभीर बिमारी से ग्रस्त थे और इनके परिजनों के पास इल्लाज हेतु पर्याप्त धन मौजूद नहीं था| ऐसे में पियूष के लाचार एवं बेबस पिता मदद के लिए टी आर बी के फेसबुक ग्रुप पर आये और टी आर बी के सभी सदस्यों ने उनकी मदद के लिए दिन रात एक कर दी| कुछ ऐसा ही केस उसके दो महीने बाद फिर आया जब अपने सुसराल से तिरस्कृत शाष्त्रीय संगीतकार अंशुमाला अपनी दोनों किडनी के फेल हो जाने के बाद मौत के चंगुल में फासी हुई थी| टी आर बी ने उनके लिए अपने फेसबुक ग्रुप पर जबर्दश्त अभियान चलाया और उनके किडनी ऑपरेशन में आर्थिक मदद सहित हर संभव मदद की|
इनके अलावा जमीनी स्तर पर टी आर बी विभिन्न जिलों में लगातार कोई ना कोई कल्याणकारी कार्यक्रम आयोजित करते आ रही है जैसे कि
बिहार के विभिन्न जिलों में समय समय पर बच्चों के बीच उपहार स्वरुप पाठ्य सामग्री का वितरण, गरीब खेतिहर किसानों में छाता, कपड़ों तथा कम्बल इत्यादि का वितरण, जरूरतमंद युवाओं को रोजगार सृजन हेतु धन उपलब्ध करना इत्यादि| टी आर बी क्रमशः चितरंजन एवं भागलपुर में निशुल्क कम्पूटर शिक्षा केंद्र भी चला रही है जहाँ जरुरतमंद गरीब विद्यार्थियों को कम्पूटर की निःशुल्क शिक्षा दी जाती है|
बिहार प्रदेश प्रभारी श्री साकेत विनायक के नेतृत्व में टी आर बी ने अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में भी खुल कर साथ दिया| आंदोलन का पुरजोर समर्थन करते हुए इसके सदस्य अपने अपने शहर में विरोध प्रदर्शन करते नजर आये| इस दौरान हमारे जेनेरल सेक्रेट्री श्री कमल सिंह मुंबई में विरोध प्रदर्शन करते हुए गिरफ्तार भी किये गए थे|
बेगुसराई- बच्चों को शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित करने तथा उनके अंदर बिहारी अस्मिता का बोध उत्पन्न करने के उद्देश्य से नवम्बर २०११ में टी आर बी ने बेगुसराय के एक सरकारी स्कूल में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया| इसके अंतर्गत बच्चों को बिहार के गौरवशाली इतिहास की जानकारी दी गयी एवं उपहार स्वरुप कप तथा रिंग्स वितरित किया गए थे|
वैशाली – कहते हैं जिस पर गुजरी होती है वही महसूस कर पाता है| वैशाली जिले में टी आर बी सदस्य श्री विकास सिन्हा द्वारा ग्रामीण बच्चों के लिए निःशुल्क कोचिंग की ब्यवस्था कुछ यही दर्शाती है| विकास ने अपनी पढाई गाँव से ही पूरी की थी और अभी दिल्ली में नौकरी कर रहे हैं| अपने खुद के विद्यार्थी जीवन के अनुभव के फलस्वरूप वो एक गरीब विद्यार्थी के मर्म को भली भाँती समझ सके और उन्होंने अपने बचपन में ही उनके लिए कुछ करने का संकल्प लिया था| इस साल ही विकास जी ने अपने कुछ ग्रामीण मित्रों के संग मिलकर एक से दस तक के ग्रामीण बच्चों के लिए निःशुल्क कोचिंग की ब्यवस्था की, इसके अंतर्गत टी आर बी वहाँ एक से दस तक के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दे रही है| आगे टी आर बी वहाँ एक पुस्तकालय खोलने का प्रयत्न भी जारी है|
नौगछिया- हमारा तीसरा कम्पूटर शिक्षण केंद्र नौगछिया, भागलपुर में खोला गया है| स्थानीय निवासी सूरज ठाकुर बी सी ऐ के छात्र हैं और वहाँ इस संस्था को संचालित कर रहे हैं| इसके माद्ध्यम से वो अपने साथ साथ अन्य विद्यार्थियों को भी वहाँ कम्पूटर का सामान्य शिक्षा दे रहे हैं|
टी आर बी का अगला कर्यक्रम मुजफ्फरपुर जिले में प्रस्तावित है| इसके अंतर्गत टी आर बी एक सरकारी स्कूल में जागरूकता केम्प लगा कर स्थानीय किसानो को आधुनिक तथा वैज्ञानिक ढंग से खेती करने का गुर सिखाएंगे| इस अवसर पर विद्यार्थियों के बीच पाठ्य समाग्री भी वितरित की जायेगी|
ये सब देख कर तो यही लगता है कि फिलवक्त , बिहार की फिजा में नए बिहार के निर्माण की ललक है और इसमें बिहारी युवा तेजी से शामिल हो रहे हैं | प्रतीत होता है बिहार जल्द ही अपनी खोयी गौरव को प्राप्त करने में कामयाब होगी|
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