घर पर ही च्यवनप्राश बनायें. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

मंगलवार, 28 फ़रवरी 2012

घर पर ही च्यवनप्राश बनायें.


सर्दी में शरीर स्वस्थ व सुडौल बनाने के लिए पौष्टिक आहार के साथ ही अधिकतर लोग बाजार का बना च्यवनप्राश का भी सेवन करते हैं। लेकिन बाजार के बने च्यवनप्राश में कई तरह के प्रिजर्वेटिव्स होते हैं जो कि शरीर के लिए नुकसानदायक होते हैं। इसीलिए आज हम बताने जा रहे हैं कि किस तरह आप घर पर ही आयुर्वेदिक च्यवनप्राश बना सकते हैं। 

च्यवनप्राश में मुख्य सामग्री आवंला सहित निम्न प्रकार की सामग्री प्रयोग की जाती है। ये अधिकतर इस तरह की दवाएं बेचने वाले पंसारी के पास आराम से मिल जातीं है। च्यवनप्राश को बनाते समय मिलाने वाली जड़ी बूटियों में यदि कुछ न भी मिले तो जो उपलब्ध हैं आप उन्हीं से च्यवनप्राश बना सकते हैं। इनमें निम्न पांच तरह की सामग्री प्रयोग होती है।

 प्रधान सामग्री

आवंला - 5 किलो

 संसाधन सामग्री

(50 ग्राम) प्रत्येक औषधि

पाटला, अरणी,गंभारी,विल्व ,श्योनक(अरलु) (-इनकी छाल)7 गोखरू,शालपर्णी, प्रष्टपर्णी, छोटी कटेली,बड़ी कटेली- इनका पंचांग (अर्थात जड़ समेत पूरा पोधा),पीपल, काकड़ासिंघी, मुनक्का,गिलोय,हरड,खरेंटी,भूमिआवला,अडूसा,जीवन्ती,कचूर,नागरमोथा,पुष्करमुल,कोआठाडी,मुंगपर्णी, माषपर्णी, विदारीकंद,सांठी,कमलगट्टा,छोटीइलायची,अगर,चन्दन,अष्टवर्ग(ॠद्धि, वृधि, मेदा, महामेदा, जीवक, ॠषभक, काकोली, क्षीरकाकोली)  या इनके नहीं मिलने पर प्रतिनिधि द्रव्य (खरेंटी,पंजासालब,शकाकुल छोटी, शकाकुल बड़ी,लम्बासालब,काली मुसली, सफेद मुसली, और सफेद बहमन), (50 ग्राम) प्रत्येक (ये अधिकतर इस तरह की दवायें बेचने वाले पंसारी के पास आराम से मिल जातीं है। च्यवनप्राश को बनाते समय मिलाने वाली जड़ी बूटियों में यदि कुछ न भी मिले तो जो उपलब्ध हैं आप उन्हीं से च्यवनप्राश  बना सकते हैं।

 यमक सामग्री-

घी 250 ग्राम, तिल का तेल-250 ग्राम

 संवाहक सामग्री -

चीनी - तीन किलो

 प्रेक्षप सामग्री पिप्पली - 100 ग्राम, बंशलोचन - 150 ग्राम, दालचीनी - 50 ग्राम, तेजपत्र - 20 ग्राम, नागकेशर - 20 ग्राम, छोटी इलायची - 20 ग्राम, केशर - 2 ग्राम, शहद - 250 ग्राम।

बनाने की विधि -आंवले को धो लीजिए। धुले आंवले को कपड़े की पोटली में बांध लीजिए। किसी बड़े स्टील के भगोने में 12 लीटर पानी भरिए। संसाधन सामग्री की जड़ी बूटियां डालिए और बंधे हुए आंवले की पोटली डाल दीजिए।

 भगोने को तेज आग पर रखिए, उबाल आने के बाद आग धीमी कर दीजिए, आंवले और जड़ी बूटियों को धीमी आग पर एक से डेढ़ घंटे तक उबलने दीजिए, जब आंवले बिल्कुल नरम हो जायें तब आग बन्द कर दीजिए। आंवले और जड़ी बूटियों को उसी तरह भगोने में उसी पानी में रातभर या 10 -12 घंटे ढककर पड़े रहने दीजिए।अब आंवले की पोटली निकाल कर जड़ी बूटियों से अलग कीजिए, आप देखेंगे कि आंवले सांवले हो गये हैं, आंवलों ने जड़ी बूटियों का रस अपने अन्दर तक सोख लिया है।सारे आंवले से गुठली निकाल कर अलग कर लीजिए।जड़ी बूटियां का खादी के कपडे या  वेस्ट छलनी से छान कर अलग कर दीजिए।

जड़ी बूटियों का पानी अपने पास छान कर सभाल कर रख लीजिये यह च्यवनप्राश बनाने के काम आएगा।जड़ी बूटियों के साथ उबाले हुये आंवलों को, जड़ी बूटियों से निकला थोड़ा थोड़ा पानी मिलाकर मिक्सर से एकदम बारीक पीस लीजिए और बड़ी छलनी में डालकर, चम्मचे से दबा दबा कर छान कर रेशे अलग कर लीजिए। सारे आंवले इसी तरह पीस कर छान लीजिए। आंवले के सारे रेशे छलनी के ऊपर रह जाएगे जो वेस्ट है फैंक देंगे। (पहले समय में आंवलों को कपड़े पर घिसकर कपड छन करके छाना जाता था ताकि आंवले से रेशे दूर हो सके। लेकिन इसमें समय और श्रम अधिक लगता था) यदि जड़ी बूटी से छाना हुआ पानी बचा हुआ है तो इसे भी इसी पल्प में मिला दें। जड़ी बूटियों के रस और आवंले के पल्प के मिश्रण को हम च्यवनप्राश बनाने के काम लेंगे।

 मोटे तले की कढ़ाई कलाई वाली पीतल की हो तो ठीक स्टील की कड़ाई में चिपक कर जल जाने का खतरा होता है। जिसमें पल्प आसानी से भूना जा सके, आग पर गरम करने के लिये रखिए।(लोहे का बर्तन च्यवनप्राश को काला कर देता है)कढ़ाई में तिल का तेल डाल कर गरम कीजिए।, गरम तेल में घी डाल कर घी पिघलने तक गरम कीजिए। जब तिल का तेल अच्छी तरह गरम हो जाय तब आंवले का छाना हुआ पल्प डालिए और चमचे से चलाते हुये पकाइए। मिश्रण में उबाल आने के बाद चीनी डालिए और लगातार चमचे से चलाते हुए। मिश्रण को एकदम गाड़ा होने तक घी छोडऩे तक, पका लीजिए। आप कढाई की उपलब्धतानुसार इसे 1 या दो बार में पका सकते हैं।

जब मिश्रण एकदम गाढा हो जाय  तो गैस से उतार इस मिश्रण को 5-6 घंटे तक कढ़ाई में ही ढककर रहने दीजिए(पीतल के बर्तन में अधिक देर न रखे), पांच या 6 घंटे बाद इस मिश्रण को आप स्टील के बर्तन में निकाल कर रख सकते हैं।प्रेक्षप द्रव्य में दी गई लिस्ट में से छोटी इलायची को छील लीजिए। इसके बाद छिली हुई छोटी इलायची के दानो में पिप्पली, बंशलोचन, दालचीनी, तेजपात, नागकेशर को मिक्सी में एकदम बारीक पीस लीजिए।

अब इस पिसी सामग्री को शहद और केसर में मिलाकर आंवले के मिश्रण में अच्छी तरह से मिला दीजिए। आपका च्यवनप्राश तैयार है। इस च्यवनप्राश  को एअर टाइट कांच या प्लास्टिक  के डब्बे में भर कर रख लीजिए और साल भर प्रयोग कीजिए। बाजार के  विज्ञापन में सोने व चाँदी की बात की जाती है। यह मूल च्यवनप्राश में नहीं है। इनकी भस्मे मिली जाती हैं। यदि मिलाना हो तो आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह करके ही मिलाए।

उपयोग मात्रा और विधि - खाली पेट ,10से 15 ग्राम खाकर आधे घंटे बाद दूध पीएं।भोजन के तुरंत बाद नहीं लेना चाहिए,तीन से चार घंटे बाद लिया जा सकता है।यदि च्यवनप्राश अच्छी तरह से पक गया हो तो कभी खराब नहीं होता। फ्रि ज में भी रखा जा सकता है पर उपयोग के पूर्व थोडा गरम करना ठीक रहेगा। एसीडिटी के रोगी न खाए। एसीडिटी बढ़ जाएगी। पहले जुलाब लेकर पेट साफ  करना अधिक लाभ देगा। 

कोई टिप्पणी नहीं: