आरक्षित बर्थों में होने वाली हेराफेरी पर लगाम. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2012

आरक्षित बर्थों में होने वाली हेराफेरी पर लगाम.


चलती ट्रेन में खाली आरक्षित बर्थों के आवंटन को लेकर होने वाली हेराफेरी पर पूरी तरह से लगाम कसने के लिए रेलवे किसी भी तरह की गुंजाइश छोड़ने नहीं जा रही है. इसके लिए उसने एक नई व्यवस्था बनाई है. अब यदि आरक्षित बर्थ पर यात्री नहीं आता है और कोच का चल टिकट परीक्षक उस खाली बर्थ को अन्य किस यात्री को अलाट करता है तो उसे इसका संपूर्ण विवरण लिखित तौर पर एक फार्म में भरना होगा. 

इसका फायदा यह होगा कि एक तो यात्रा रद्द कराने वाले यात्री को आसानी से रिफंड मिल सकेगा तथा दूसरा, ट्रेन में उस खाली बर्थ को पहले आरएसी वाले यात्रियों और फिर प्रतीक्षा सूची वाले यात्रियों को अलाट करना चल टिकट परीक्षक की बाध्यता होगी. इस नई व्यवस्था को 15 मार्च तक लागू करने के लिए रेलवे बोर्ड ने फार्म का प्रोफार्मा बनाकर सभी जोनल रेलवे के मुख्य वाणिज्य प्रबंधकों को भेज दिया है, ताकि वे ज्यादा से ज्यादा संख्या में इसे छापकर चल टिकट परीक्षकों को उपलब्ध करा दें.

वर्ष 2004 से पहले ट्रेन छूटने के बाद यात्रा रद्द होने की स्थिति में तत्काल धन की वापसी नहीं होती थी. इसके लिए यात्रियों को स्टेशन मास्टर के यहां टिकट जमा करके रसीद लेनी पड़ती थी और उसका रिफंड कई दिनों बाद उसके लिखित पते पर आता था. इस व्यवस्था में यात्रियों को बहुत दिक्कत होती थी और कई यात्रियों का महीनों रिफंड नहीं आ पाता था. इसके बाद रेलवे ने इस ईडीआर व्यवस्था में बदलाव किया और 2004 में एक नई व्यवस्था बनाई कि यात्रा न कर पाने की स्थिति में संबंधित व्यक्ति रेल रिजर्वेशन काउंटर से भी रिफंड ले सकता है. इसके लिए चल टिकट परीक्षकों को निर्देश दिए गए कि ट्रेन में आरक्षित सीट पर यदि यात्री नहीं आता है तो वे उसका विवरण ट्रेन यात्रा समाप्त होने पर संबंधित स्टेशन पर दें ताकि उसका विवरण कम्प्यूटर में दर्ज किया जा सके और उसे पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम पर लाया जा सके. इससे यात्री जब काउंटर पर अपने टिकट को वापस करने जाएगा तो उसके यात्रा न करने का सबूत उसे कम्प्यूटर पर मिल सकेगा. यह व्यवस्था चली आ रही है लेकिन इसमें भी रेलवे ने कई विसंगतियां पाई. जैसे कई टीटीई ईडीआर को सादे कागज पर लिखकर जमा करते हैं.

समझा जाता है कि इस व्यवस्था में भी हेराफेरी की किसी तरह की गुंजाइश को समाप्त करने के लिए रेलवे बोर्ड ने नई व्यवस्था कर दी है. इसके तहत रेलवे बोर्ड ने एक प्रोफार्मा तैयार किया है. यह प्रोफार्मा आरक्षित बर्थ पर नहीं आने वाले टीटीई को भरना होगा. इसमें टीटीई को ट्रेन नंबर, कोच नंबर, दिनांक, यात्रा रद्द कराने वाले यात्री का नाम, उम्र, यात्रा स्टेशन का नाम और उस बर्थ को किस यात्री को अलाट किया गया, उस यात्री के टिकट का पीएनआर और टीटीई को अपने ईएफटी बुक का नंबर भरना होगा. इसके बाद उस टीटीई को अपने हस्ताक्षर और अपने आई कार्ड का नंबर दर्ज करना होगा. इससे खाली बर्थ को फिर से अलाट करने और रिफंड देने में किसी तरह की कोई गड़बड़ी नहीं होगी. 

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