NGO के कारण परमाणु कार्यक्रम में कठिनाई - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2012

NGO के कारण परमाणु कार्यक्रम में कठिनाई


प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कुडनकुलम परमाणु संयंत्र में जारी गतिरोध के लिए कुछ अमेरिकी गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने स्पष्ट कहा है कि परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम को आगे बढ़ाने में इनके कारण कठिनाई आई है। विरोध में शामिल अधिकतर एनजीओ को अमेरिका और स्कैंडिनेवियाई देशों से आर्थिक मदद मिल रही है। उन्होंने कहा, वे हमारे देश के सामने आने वाली विकास संबंधी चुनौतियों को नहीं मानते हैं। 

प्रधानमंत्री ने देश में आर्थिक विकास की गति को आगे बढ़ाने के लिए परमाणु ऊर्जा की जरूरतों पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, भारत का सोचने-विचारने वाला तबका निश्चित रूप से परमाणु ऊर्जा का पक्षधर है। उनसे पूछा गया था कि क्या फुकुशिमा हादसे के बाद भी वे देश में परमाणु ऊर्जा की जरूरतों को स्वीकार करते हैं। इस पर सिंह ने कहा कि कुछ एनजीओ भारत की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों की कद्र नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि इनके विरोध के कारण ही परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम को आगे बढ़ाने में दिक्कतें आ रही हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमारे यहां लोकतंत्र है, हम चीन की तरह नहीं हैं। विवाद हैं, तो बातचीत के द्वारा उनका निपटारा भी कर लिया जाएगा।

तमिलनाडु के कुडनकुलम में 1000 मेगावाट के दो परमाणु संयंत्रों में विरोध-प्रदर्शनों के कारण काम रुका हुआ है। विज्ञान के क्षेत्र में चीन के भारत से आगे होने की उनकी हालिया टिप्पणी के बारे में पीएम ने कहा कि दोनों देश विकास के समान स्तर पर हैं, जहां दोनों को प्रतिस्पर्धा के साथ-साथ सहयोग भी करना है। 1960 के दशक में हमारे बीच समस्याएं थीं, लेकिन अब हालात बदले हैं। हम सहयोग बढ़ाने के रास्ते तलाश रहे हैं।

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