रूस के सबसे बड़े मंदिर को तोड़ने का आदेश - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 31 मार्च 2012

रूस के सबसे बड़े मंदिर को तोड़ने का आदेश


रूस में हिंदुओं की धार्मिक आस्था पर बार-बार वार किया जा रहा है। गीता को आतंकी साहित्य बताकर प्रतिबंध की साजिश नाकाम होने के बाद अब नई समस्या खड़ी हो गई है। एक अदालत ने रूस के सबसे बड़े वैदिक सांस्कृतिक केंद्र को एक कैंपस से हटाने और उसमें बने देश के सबसे बड़े मंदिर को तोड़ने आदेश दिया है। नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के गृहनगर सेंट पीटर्सबर्ग स्थित इस केंद्र के लिए वर्ष 1992 में 49 वर्ष के लिए लीज करार हुआ था। इस लीज को रद्द कर दिया गया है और अदालत ने कैंपस खाली करने का आदेश दिया है। 

सेंटर के अध्यक्ष सुरेन कारापेटियन ने कहा, 'यह रूस के ऑर्थोडॉक्स ईसाई चर्च के एक वर्ग द्वारा शुरू किए गए हिंदू विरोधी मुहिम का हिस्सा भी हो सकता है।' उन्होंने कहा कि आर्बिट्रेशन कोर्ट के फैसले के बाद रूस के सबसे बड़े हिंदू मंदिर को तोड़ा जाएगा।' सुरेन ने भारत और रूस के राष्ट्रपति से तत्काल मदद प्रदान करने की मांग की है। उन्होंने ने कहा, 'हम भारत सरकार से किसी तरह के हस्तक्षेप की अपेक्षा कर रहे हैं, क्योंकि हम रूस में भारतीय संस्कृति और परंपराओं की रक्षा कर रहे हैं। हम रूस के राष्ट्रपति दमित्री मेदवेदेव से अपील करते हैं कि वह हमारे उद्देश्य में मदद करें और सांस्कृतिक केंद्र और मंदिर को तोड़े जाने से बचाएं।' 

उन्होंने कहा, 'हमें न्याय नहीं मिल रहा है और हमें अवैध तरीके से हटाया जा रहा है। हमारा 49 साल का लीज है।' यह करार सरकारी संघीय शोध संस्थान के साथ 1992 में किया गया था। अब उसे जॉइंट स्टॉक कंपनी गॉसनिखिमनालित में बदल दिया गया है। सेंट पीटर्सबर्ग के संघीय आर्बिट्रेशन कोर्ट ने स्थानीय हिंदू धार्मिक संगठन वैदिक सोसाइटी ऑफ स्पिरिचुअल डिवेलपमेंट और गॉसनिखिमनालित के बीच के लीज करार को रद्द करने के अपीलीय अदालत के आदेश को बरकरार रखा। अदालत ने मंदिर को बचाने से इंकार कर दिया है। आठ मंजिले भवन अनदर व‌र्ल्ड के मालिकों को मिली इस सफलता का अर्थ है कि रूस के सबसे बड़े इस मंदिर को बंद करना पड़ेगा। इस वैदिक सांस्कृतिक केंद्र में संस्कृत और योग की शिक्षा भी दी जाती है।

1 टिप्पणी:

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

हमें न्याय नहीं मिल रहा है .

duniya me nyay hai hi kab jo milega ?