कहीं अभिमन्यु तो नहीं बनेंगे बहुगुणा!
उत्तराखण्ड में कांग्रेस की सरकार के गठित हुए अभी तीन दिन भी नहीं हुए हैं, लेकिन राजनीतिक हालात इस सरकार के भविष्य पर सवालिया निशान लगा रहे हैं। सरकार के भविष्य पर सवाल खड़ा करने के लिए बीते दिन हुए विधायकों का शपथ ग्रहण समारोह ही काफी है। जिसमें कांग्रेस के 17 विधायकों ने विधायकी की शपथ नहीं ली, जबकि इस समारोह में भाजपा के 31, कांग्रेस के 15, बीएसपी के तीन, यूकेडी (पी) के एक तथा निर्दलीय तीन विधायकों ने शपथ ली।
राजनीतिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हरीश रावत गुट किसी भी कीमत पर विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं देखना चाहता है। जानकारों के अनुसार रावत गुट के कट्टर समर्थक समझे जाने वाले 15 विधायकों ने उत्तराखण्ड कांग्रेस नाम से एक संगठन भी बना दिया है। हालांकि इस संगठन को बनाए जाने की पुष्टि अभी तक रावत गुट के किसी भी सदस्य द्वारा नहीं की गई है, वहीं दो वरिष्ठ विधायक जिनमें डा. इंदिरा हृदयेश पाठक और डा. हरक सिंह रावत शामिल हैं। भी हरीश रावत के साथ कदमताल करते हुए नजर आ रहे हैं। इनका मानना है कि राजनैतिक अनुभव और कांग्रेस को उनकी सेवा को देखते हुए वे कहीं भी विजय बहुगुणा से कम नहीं है, लिहाजा उनका दावा तो मुख्यमंत्री का बनता है। इतना ही नहीं सूत्रों ने बताया है कि बीते दिन शपथ लेने वाले कांग्रेस के 15 विधायकों में से चार विधायक हरीश रावत गुट के लगातार संपर्क में है और सूत्रों ने तो यहां तक जानकारी दी है कि उन्हें प्रदेश की राजनीतिक गतिविधि पर नजर रखने के लिए स्वंय हरीश रावत द्वारा शपथ ग्रहण समारोह में भेजा गया था। ऐसे में यह देखना होगा कि आगामी 29 मार्च को विधानसभा के फ्लोर पर कितने विधायक विजय बहुगुणा के पक्ष में व सरकार के साथ खड़े दिखाई देते हैं।
राजनीतिक बुझक्कड़ों का मानना है कि विजय बहुगुणा इस कठिन परिस्थिति में विधानसभा पटल पर विश्वास मत हासिल करने के बजाय इससे पहले ही इस्तीफा तक दे सकते हैं। इतना ही नहीं सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि रावत गुट द्वारा बनाए गई उत्तराखण्ड कांग्रेस से भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतिन गड़करी लगातार संपर्क बनाए हुए हैं। सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि रावत गुट के 17 विधायक प्रदेश में भाजपा के समर्थन से सरकार तक बना सकते हैं। इतना ही नहीं सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि हालिया विधानसभा चुनाव में विजय होकर आए तीन बसपा, तीन निर्दलीय तथा एक यूकेडी (पी) के विधानसभा सदस्यों की जरूरत भी इस नई सरकार के गठन में जरूरी नहीं होगी। जानकार सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में सरकार बना रही उत्तराखण्ड कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि कांग्रेस में विघटन का प्रमुख कारण बसपा, निर्दलीय तथा यूकेडी (पी) के सदस्य हैं। एक जानकारी के अनुसार इस पूरे प्रकरण में कांग्रेस के कई आला नेताओं का नाम भी लिया जा रहा है, जिनकी वजह से मुख्यमंत्री चयन के चलते पार्टी का यह हश्र हुआ है।
हालांकि प्रदेश के नवनियुक्त मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा भले ही बाहरी तौर पर सरकार बचाने को लेकर आत्मविश्वास में नजर आ रहे हैं, लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वे जहां कांग्रेस सरकार के भविष्य को लेकर चिंतित हैं। वहीं अपनी राजनीतिक साख को लेकर भी। ऐसे में अब यह देखना होगा कि स्वर्गीय हेमवती नंदन बहुगुणा से विरासत में मिली राजनीतिक कौशल के चलते इस चक्रव्यूह से निकलने में विजय बहुगुणा कितने कारगर साबित होते हैं अथवा अभिमन्यु की तरह चक्रव्यूह में फंसकर अपनी जान गवांएंगे।
(राजेन्द्र जोशी)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें