बलवंत सिंह की फांसी पर राजनीति. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 26 मार्च 2012

बलवंत सिंह की फांसी पर राजनीति.



 पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्या में बलवंत सिंह राजोआना की फांसी की सजा को माफ करवाने को लेकर सत्ता पक्ष, विपक्ष और धार्मिक संस्था एकजुट हो गई हैं. राजोआना की फांसी सरकार के गले की फांस बनती नज़र आ रही है. फांसी के विरोध को देखते हुए राज्य सरकार ने कड़े सुरक्षा बंदोबस्त कर लिये हैं.  राजोआना को 1995 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के लिए मौत की सजा सुनाई गई है और 31 मार्च को उसे फांसी दी जानी है. इस मामले में तीन अन्य लखविंदर सिंह, गुरमीत सिंह और शमशेर सिंह को हत्या के षड़यंत्र में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. 


गौरतलब है कि राजोआना ने आगे अपील के लिए मना कर दिया है और वह फांसी चाहता है. उसने जिंदा शहीद का खिताब भी वापस लेने की अपील की है. किन्तु राजनीतिक दल और अकाल तख्त ऐसा नहीं चाहता है. इसके साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के परिजन भी अब उसे माफ करने को तैयार हैं. मुजरिम अगर अपील नहीं करता है और उसी केस में अन्य अभियुक्तों को सुप्रीम कोर्ट राहत देता है तो अपने आप ही अपील न करने वाले को भी राहत मिल जाएगी. कई केसों में सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा किया है. किसी भी केस में जब तक अंतिम निर्णय नहीं आ जाता, तब तक किसी अभियुक्त को फांसी देना सही नहीं है. राहत अपील की सुनवाई के दौरान कोर्ट उस अभियुक्त को भी बुला सकती है.

फांसी के मामले ने राजनीतिक रंग ले लिया है और अकाली दल ने फांसी को माफ करवाने के लिए हर मुमकिन कदम उठाने का फैसला किया है. अकाली दल की कोर कमेटी ने एसजीपीसी से कहा है कि वह बलवंत सिंह की फांसी को रुकवाने के लिए राष्ट्रपति के पास अपील करें. इस मामले में मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल भी विधानसभा में बयान देंगे. 

शिअद के सहयोगी दल भाजपा ने राजोआना विवाद मामले से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि मामला अदालत में है.
पंजाब भाजपा के प्रमुख अश्विनी शर्मा ने कहा कि यह निर्णय करना अदालत पर है और इसमें किसी को हस्तक्षेप का अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि आतंकवाद पर भाजपा का रुख बिल्कुल साफ है. हम इसका किसी भी रूप में विरोध करते हैं.  

आनंदपुर साहिब से सासंद और बेअंत सिंह के पोते रवनीत सिंह बिट्टू ने कहा कि अकाल तख्त का फैसला मंजूर है. अकाल तख्त ने राजोआना की सजा माफ करने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने के आदेश दिए हैं.
बिट्टू ने कहा कि पंजाब में शांति बनाए रखने के लिए सरकार जो भी फैसला लेगी, वह मंजूर होगा.

पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी बलवंत सिंह राजोआना की फांसी को माफ करने के मुद्दे पर अपना समर्थन दिया है. उन्होंने बेअंत सिंह के परिवार द्वारा सजा माफी के रवैये की सराहना की है. बेअंत सिंह कांग्रेस से ही मुख्यमंत्री रहे हैं.  अमरिंदर ने कहा कि वह कानूनी तौर पर या फिर राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजने से जुड़े हर कदम में सरकार का साथ देंगे. कांग्रेस बलंवत सिंह की फांसी की सजा को उम्र कैद में बदलने के हक में हैं. 

पटियाला जेल प्रशासन ने बलवंत सिंह का डेथ वॉरंट एक बार फिर चंडीगढ़ कोर्ट को लौटा दिया है. जेल अधीक्षक ने कहा है कि बेअंत सिंह हत्याकांड के एक आरोपी लखविंदर सिंह की अपील अभी सुप्रीम कोर्ट में है. जेल अधीक्षक के मुताबिक लखविंदर लक्खा के मामले में फैसला आने तक बलवंत सिंह के डेथ वॉरंट की तामील नहीं की जा सकती. 

जेल अधीक्षक ने अपने पत्र में हाईकोर्ट के नियमों का जिक्र किया था कि जब हाईकोर्ट द्वारा मौत की सजा की पुष्टि की जाती है तो सत्र न्यायाधीश मौत का वारंट जेल अधीक्षक को भेज सकते हैं. वारंट उस जेल अधीक्षक को भेजा जाता है जहां सजायाफ्ता मूल रूप से बंद होता है.

इस मामले में कैदी अन्य जेल में स्थानांतरित हो गया इसलिए जिस जेल अधीक्षक को वॉरंट भेजा गया वह इसे सत्र न्यायाधीश को लौटा सकता है और उस जेल अधीक्षक को पुनरीक्षित वारंट भेजा जाना है जिसमें कैदी बंद है. राजोआना पटियाला जेल में है जबकि पहले वह चंडीगढ़ के बुड़ैल जेल में बंद था.

शिअद के अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने कहा है कि राजोआना के प्रति दया बरतने के लिए पार्टी किसी भी हद तक जा सकती है ताकि राज्य में शांति और सांप्रदायिक सौहार्द नहीं बिगड़े. राजोआना को 31 मार्च को फांसी दी जानी है, फांसी को लेकर ज्यों-ज्यों दिन नजदीक आ रहा है पंजाब भर में माहौल काफी गरमा गया है. इसे देखते हुए अकाली दल ने रविवार को आपात बैठक बुलाई थी. 28 मार्च के पंजाब बंद के ऐलान पर जत्थेदार गुरबचन सिंह ने कहा कि सिख संगठनों को अलग से कोई कार्यक्रम तय नहीं करना चाहिए. उन्हें श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा जारी फरमान का पालन करना चाहिए. जत्थेदार ने 28 को केवल कारोबार बंद रखने की अपील की.

इससे पूर्व बलवंत सिंह की फांसी के विरोध में पटियाला में सैकड़ों की तादाद में लोगों ने एक मार्च में हिस्सा लिया था. मार्च में शामिल होने के लिए पंजाब के अलग−अलग क्षेत्र से लोग आए थे. बलवंत सिंह की फांसी के विरोध में नारे लगाते हुए ये लोग सेंट्रल जेल की ओर बढ़ रहे थे लेकिन पुलिस ने उन्हें जेल तक जाने नहीं दिया तो विरोध में लोग सड़क पर ही धरने पर बैठ कर नारेबाजी करने लगे.

कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सरकार ने अर्धसैनिक बल की छह कंपनियां मंगवाई हैं. यह कंपनियां अमृतसर, पटियाला, जालंधर और लुधियाना में तैनात होंगी. बीएसएफ जवानों के साथ फ्लैग मार्च भी निकाला.

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