कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक सख्त फैसले में राज्य के डीजीपी शंकर बिदारी की नियुक्ति को रद्द करते हुए उनकी तुलना सद्दाम हुसैन और गद्दाफी से की. अदालत ने कुख्यात चंदन तस्कर वीरप्पन पर किए गए कथित अत्याचार के लिए शंकर बिदारी की जमकर आलोचना की और कहा, " ये सद्दाम हुसैन या मुअम्मर ग़द्दाफ़ी से भी बदतर हैं." शंकर बिदारी पर आरोप है कि इनके ही नेतृत्व में बनी कर्नाटक और तमिनाडु की एसटीएफ ने वीरप्पन को तलाश के दौरान उनपर जमकर अत्याचार किया था.
सेंट्रल एडिमिनिशट्रेटिव ट्राइब्यूनल (कैट) के फैसले को वाजिब करार देते हुए हाईकोर्ट ने कहा, "कैट के फैसले में कहीं कोई गड़बड़ी नहीं दिखाई दे रही है. बिल्कुल सही फैसला है." 16 मार्च को कैट ने बिदारी की नियुक्ति को रद्द कर दिया था. अदालत में अपना बचाव करते हुए बिदारी ने कहा कि वह एसटीएफ के महज़ डिप्टी डायरेक्टर थे और वह सद्दाम हुसैन और ग़द्दाफ़ी की तरह सर्वव्यापी और सर्वशक्तिमान नहीं थे.
लेकिन अदालत ने उनकी दलील का खारिज करते हुए टिप्पणी की कि, "दो आदिवासी महिलाओं ने जो तथ्य सामने रखे हैं अगर वह सही हैं तो बिदारी सद्दाम और ग़द्दाफ़ी से ज्यादा बुरे हैं.
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