राज्यसभा चुनाव तय करेगा सरकार का भविष्य - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 23 मार्च 2012

राज्यसभा चुनाव तय करेगा सरकार का भविष्य


मुख्यमंत्री पद को लेकर मचा कोहराम थमने के बाद अभी भी सरकार की स्थिरता को लेकर सशंय बरकरार है। राज्यसभा चुनाव के साथ-साथ विधानसभा अध्यक्ष के पद को लेकर जारी रस्सा-कस्सी के बाद ही सराकर का भविष्य तय हो पाएगा। मौजूदा हालात सरकार के भविष्य को लेकर बेहद कठिन डगर पर आगे बढ़ रहे हैं। जिस कारण कांग्रेस हाईकमान उत्तराखण्ड के राजनैतिक हालात पर नजर रखने के साथ-साथ मंत्रियों को मिलने वाले विभागों पर भी बारीकी से मंथन करने के बाद की स्थिति को भी सोचता हुआ नजर आ रहा है। उत्तराखण्ड में मुख्यमंत्री पद को लेकर जिस तरह से हरीश रावत खेमें के साथ-साथ हरक सिंह रावत व अन्य विधायकों द्वारा खींच-तान की गई, वह उत्तराखण्ड में कांग्रेस के लिए शुभ संकेत नहीं था। आम जनता के बीच कांग्रेस की जो छवि वर्तमान में उभरकर आ रही है। वह बेहद सोचनीय है। राजनैतिक विश्लेषकों के अनुसार वर्तमान समय में यदि उत्तराखण्ड में चुनाव संपन्न हो जाएं तो यहां भाजपा प्रचण्ड बहुमत से सरकार बनाती हुई नजर आएगी। लेकिन कांग्रेस के घटनाक्रम ने उत्तराखण्ड में उसकी जमीन को कमजोर कर दिया है और अभी भी अंदरखाने भीतरघात का डर कांग्रेस को सताता हुआ नजर आ रहा है। 

प्रोटम स्पीकर डा. शैलेन्द्र मोहन सिंघल के साथ-साथ विकासनगर विधायक नवप्रभात, निर्दलीय विधायक दिनेश धनई, कंुवर प्रणव सिंह चैम्पीयन, फुरकान अहमद के साथ-साथ कई अन्य विधायक भी कांग्रेस से नाराज बताए जा रहे हैं और इस बात की संभावनाएं भी बनती हुई नजर आ रही हैं कि यदि विधानसभा अध्यक्ष के लिए भाजपा नामांकन करती है तो इस पद पर कांग्रेस क्रॉस वोटिंग के कारण हार सकती है। क्योंकि कांग्रेस की तरफ से इस पद के लिए गोविंद सिंह कुंज्वाल जो की हरीश रावत खेमें से बताए जाते हैं। उनका नाम लगभग तय माना जा रहा है। दिल्ली में आज हुई हलचल इस बात के साफ संकेत दे रही है कि कांग्रेस कहीं न कहीं अभी भी डरी व सहमी लग रही है। इसके अलावा सरकार को 29 मार्च को विधानसभा के भीतर अपना बहुमत साबित करना है और यदि यह नाराजगी बरकरार रही तो कांग्रेस बहुमत साबित करने में भी विफल साबित हो सकती है, लेकिन जिस तरह की जोड़-तोड़ लगातार जारी है। उससे इस बात की संभावनाएं कम हैं कि सरकार विधानसभा के भीतर अपना बहुमत साबित नहीं कर पाएगी। राजनैतिक विश्लेषकों के अनुसार भाजपा विधानसभा अध्यक्ष व राज्यसभा के पद पर कब्जा करना चाहती है और इसी रणनीति के तहत भाजपा ने अपने सभी विधायकों को मध्यप्रदेश के उज्जैन में जा पहुंचाया है क्योंकि भाजपा को डर है कि उनके कई विधायक कांग्रेस के सुर में सुर मिलाकर सरकार का समर्थन कर सकते हैं, जिसे देखते हुए भाजपा कोई जोखिम नहीं लेना चाहती। 

वर्तमान परिस्थितियां इस बात को भी उजागर कर रही हैं कि उत्तराखण्ड के राजनैतिक हालात जनता के अनुरूप बनते हुए नजर नहीं आ रहे और वर्तमान सरकार बैसाखियों के सहारे कितने दिन चल पाएगी, इसे लेकर भी संशय बरकरार है। इसके अलावा दिल्ली से तय होने वाले फरमानों के कारण उत्तराखण्ड में भाजपा व कांग्रेस मजबूत लीडरशिप को तैयार नहीं कर पाई है और स्थानीय नेता इससे बेहद परेशान नजर आ रहे हैं। सरकार के पास छह महीनों के भीतर अपने को साबित करने के साथ-साथ कांग्रेस के कीले को बचाने की भी चुनौती सामने खड़ी है। वहीं अंदरूनी कलह से भी निपटने की तैयारी करनी पड़ रही है। कुल मिलाकर सरकार का भविष्य राज्यसभा का होने वाला 30 मार्च चुनाव तय करेगा।


(राजेन्द्र जोशी)

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