भगवान बचाये मिस-कालियों से !! - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 2 अप्रैल 2012

भगवान बचाये मिस-कालियों से !!


टाईमपास के लिए हाजिर हैं मुफतिया


हर आविष्कार सुविधाओं के साथ ही अपने साथ समस्याओं और दुविधाओं को लेकर आता है। ऐसा ही नायाब है मोबाइल का संसार। ख़ास से लेकर आम और इससे भी आम तक की जिन्दगी मोबाईल के बिना अधूरी है। त्वरित संचार से लेकर मोबाइल वे सारे काम कर डालता है जो किसी भी किस्म के आदमी के लिए जरूरी होते हैं। आदमी से जुड़ा कोई काम अब ऐसा नहीं बचा है जिसमें मोबाइल मददगार नहीं हो। दुनिया जहान का सामान बेचना हो तब भी मोबाइल। जितना ज्यादा मोबाइल का चलन चल पड़ा है उतना आदमी जड़ होने लगा है। 

मोबाइल के प्रयोग को लेकर कई बुराइयां दिन-ब-दिन सामने आती जा रही हैं। कहीं संबंध जुड़े रहे हैं तो कई संबंध टूटने के काम आ रहा है मोबाइल। मोबाइल के सारे उपयोगों और दुरुपयोगों को छोड़ भी दें आजकल सबसे बड़ा मोबाइल रोग हो गया है - मिस कॉल देना।  मिस कॉल की आदत के लिए जरूरी नहीं कौन छोटा-बड़ा, अमीर-गरीब है या और कोई। बहुत से लोग हैं जो मिस कॉल की नाव पर सवार होकर पूरी दुनिया को अपनी मुट्ठी में रखने के आदी हैं। हर मर्ज की दवा हो गया है मिस कॉल। मुफतिया वाग् विलास और टाईमपास करने का इससे बड़ा कोई उपाय अब तक सामने नहीं आया है। मुफ्त में लम्बी-लम्बी बातों का रस भी पा लिया जाए और आसानी से टाईम भी पास हो जाए।

बड़ों से लेकर छोटों तक सभी में यह महामारी जबर्दस्त जडं़े जमाती जा रही है। यह मोबाइल का ऐसा रामबाण प्लान है जिसमें ढेला भी खर्च न हो और जब चाहें तब बातों का पूरा-पूरा मजा भी। मिस कॉल देने वाले लोगों में यह आदत इतनी गहरी घुसी होती है कि जरूरी कामों के लिए भी मिस कॉल दाग देते हैं। जो लोग महीने में हजारों रुपया कमा लेते हैं वे भी मिस कॉल को सर्वोपरि धर्म मानते हैं। सरकारी गलियारों से लेकर निजी कंपनियों और अपराधियों से लेकर संत-महात्माओं और श्रेष्ठीजनों, गुरुओं से लेकर शिष्यों तक, अफसरों और कर्मचारियों से लेकर घरेलू कामगारों और मजूरों, बॉस से लेकर इनके दासों तक, इश्क लड़ाने वालों से लेकर संबंध तुड़वा देने तक में माहिर लोगों को मिस कॉल की तलब बार-बार उठती रहती है। ये मिस कॉल दागने की कला इन्हें नहीं आती होती तो कितने ही कंगाल होकर अब तक दिवालिया घोषित हो जाते।

मिस कॉल देकर बिना पैसे बतरस और अपने कामों को लेकर मुफ्त में बतियाने वालों से पूरी दुनिया भरी पड़ी है। जनगणना में मिस कॉलियों की अगर गणना अलग से की जाए तो इनकी जो संख्या सामने आएगी उससे सभी की आँखें फटी की फटी रह जाएं। मुफ्त में बतियाने का रस लूटने की आदत वालों में हर आयु वर्ग के लोग शामिल हैं। इनमें स्त्री-पुरुष का कोई भेदभाव नहीं है। सभी को समान अधिकार है मिस कॉल देने का। हमारे अपने क्षेत्र से लेकर प्रदेश और हिन्दुस्तान का कोना-कोना ऐसे ही मफतलालों से भरा पड़ा है। चाहे जिससे बात करनी हो, मिस कॉल देने में ऐसे लोगों को कभी शर्म नहीं आती। लज्जा और शर्म तो उन लोगों को आती है जिनका कोई ज़मीर हो। मिस कॉल देने वालों के लिए क्या? मिस कॉल के सहारे आगे बढ़ना ही उनके जीवन का परम लक्ष्य है।

कइयों को तो मिस कॉल देते-देते दशक पर दशक बीतने वाले हैं। कई ऐसे हैं जो दस रुपये का बैलेंस डलवा कर मिस कॉल के सहारे पूरा महीना निकाल देते हैं। इस तरकीब के आगे तो दुनिया के महान से महान अर्थशास्त्री भी पानी भरते हैं। तभी तो अपने देश को महान कहा गया है। अब मिस कॉल अपनाने वाले लोगों की संख्या थोड़ी और बढ़ जाए तो अपना देश दुनिया भर में महानतम हो सकता है।

मिस कॉल देने वाले लोगों में से काफी संख्या तो ऐसे लोगों की है जिन्हें देखकर कभी दया आती है, कभी रोना आता है तो कभी हँसी के फव्वारे छूट पड़ते हैं। अपने मोबाइल का जिस रूप में से मुफतिया मिस कॉलिया लोग उपयोग कर रहे हैं वह अपने आप में बेमिसाल है। यही सब बदस्तूर चलता रहा तो आने वाले समय में मिस कॉलियों का अपना अलग समुदाय होगा, ये अलग दर्जा दिए जाने की मांग कर सकते हैं, खूब ज्यादा संख्या बढ़ गई तो अलग राज्य की मांग भी की जा सकती है। फिर इनके लिए जो फिल्में बनेंगी उसमें भी ‘कालिये तेरा क्या होगा की बजाय कहा जाएगा - ‘मिसकालिये, तेरा क्या होगा। इनमें विवाह भी होंगे तो मांगलिक की बजाय मिसकालिया दोष देखा जाएगा।

मिस कॉल देने वाले कभी कर्महीन नहीं रहते। बस-ट्रेन में जा रहे हों या सड़कों पर वॉकिंग। राशन या डेयरी की दुकान पर लाईन में लगे हों या किसी की प्रतीक्षा में खड़े हों। ये कभी चुपचाप खड़े नहीं रह सकते। इनका मिस कॉल फोबिया जिन्दगी के हर काम में इनके पीछे लगा रहता है, कभी किसी क्षण पीछा छोड़ता नहीं। दिन-रात का इनका अधिकतर समय किसी कोने में दुबके हुए या राह चलते हुए मोबाइल से कानों का मसाज करने में गुजरता है। मिसकालियो के लिए रिश्तों का कोई धरम नहीं होता। जो उनके मिस कॉल देते ही बात करे, वो ही उनका अपना सगा होता है, बाकी सब बेगाने। इनके साथ संबंधों का यही शाश्वत पैमाना हुआ करता है।  अपने मोबाइल पर जब भी मिसकालियों की घण्टी आए तब उनके सम्मान में उन्हें भी जवाब में मिस कॉल देना नहीं भूलें। मुफतिया मिस कालियों के दर्शन होने पर एक बार उनके स्वागत में मन्द-मन्द मुस्कराना भी न भूलें।

---डॉ. दीपक आचार्य---
9413306077

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