आइएनएस तेग भारतीय नौसेना में शामिल. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 28 अप्रैल 2012

आइएनएस तेग भारतीय नौसेना में शामिल.


सुपरसोनिक ब्रह्मोस  क्रूज मिसाइल से लैस युद्धपोत आइएनएस तेग को शुक्रवार को रूस में यांतर शिपयार्ड में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया। ब्रह्मोस मिसाइल से लैस होने वाले 3970 टन के इस युद्धपोत को नौसेना में शामिल किए जाने के मौके पर द. नौसैनिक कमान के प्रमुख वाइस एडमिरल के एन सुशील मौजूद थे। यह पोत ब्रह्मोस के अलावा सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों, 100 एमएम की मीडियम रेंज गन, तारपीडो और पनडुब्बीभेदी राकेटों से लैस होगा। 

भारतीय नौसेना के अधिकारियों ने बताया कि आईएनएस तेग आधुनिक जंगी जहाज है और इसकी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियां इसे स्थिर, तीव्र गति और दुश्मन के निगरानी उपकरणों की पकड़ में न आने की क्षमता से लैस बनाती हैं। पोत की तेग श्रेणी सतह, हवा और जल में समन्वित मिशन की भारतीय नौसेना की विशेष कमान एवं नियंत्रण जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से निर्मित की गई है।

तलवार श्रेणी के गाइडेड मिसाइल पोतों के आधुनिक संस्करण इन जहाजों को नौसेना के अत्यंत शक्तिशाली प्लेटफार्म के रूप में स्थापित करने के लिए इन्हें उन्नत बहु उद्देश्यीय लड़ाकू प्रणाली से लैस किया गया है। जंगी पोत आईएनएस तेग के भारतीय नौसेना में शामिल होने के साथ भारतीय नौसेना ने समुद्री ताकत बनने की राह में एक और मजबूत कदम रख लिया है। समुद्री ताकत बनने की राह पर बढ़ रही नौसेना अपने बेड़े में जल्द ही डेढ़ सौ नए जंगी पोतों को शामिल करेगी।

सूत्रों के अनुसार विदेशी और भारतीय शिपयार्डो में 49 युद्धपोतों का निर्माण जारी है। वहीं, 45 युद्धपोत के लिए अनुरोध प्रस्ताव आमंत्रित किए गए हैं या इनकी कीमतों पर बातचीत की प्रक्रिया चल रही है। 49 में से तीन युद्धपोतों को निर्माण विदेशी शिपयार्डो में हो रहा है। जिनमें विमानवाहक पोत एडमिरल गोश्कोव भी शामिल है, जो इस समय रूस के सेवमाश शिपयार्ड में रिफिटमेंट के अंतिम दौर में है। यह युद्धपोत भारतीय नौसेना में आईएनएस विक्रमादित्य नाम से जाना जाएगा। उम्मीद है कि यह दिसंबर तक भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल हो जाएगा। अगले महीने से इसके समुद्री परीक्षण शुरू हो रहे हैं, जो साढे़ तीन माह तक चलेंगे। यह विशालकाय पोत जनवरी 2013 में भारत की ओर प्रस्थान करेगा। अन्य दो पोत तेग श्रेणी के हैं। इसी श्रेणी का पोत आईएनएस तेग शुक्रवार 27 अप्रैल, 2012 को ही भारतीय नौसेना में शामिल हुआ है।

जिन 150 पोतों को मैरिटाइम परस्पेक्टिव प्लान के तहत हासिल किए जाने की योजना है उनमें से 80 फास्ट इंटरसेप्टर जलयान कोलंबो में बनाए जा रहे हैं। सूत्रों ने कहा कि अनुबंध के दौर में चल रहे 45 पोतों में 16 हजार करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले 4 लैंडिंग पोर्ट डौक भी हैं, जो विशालकाय युद्धपोत होंगे। इनके जरिए जल से जमीन पर युद्ध छेड़ा जा सकता है। इन पोतों के लिए अनुरोध प्रस्ताव आमंत्रित किए जा चुके हैं। आरएफपी पांच भारतीय शिपयार्डो को आमंत्रित की गई जिनमें एक से अधिक निजी शिपयार्ड भी शामिल हैं। अनुबंध के दौर से गुजर रहे बाकी पोतों में 8 काउंटर माइन शिप, एक फ्लोटिंग ड्राई डौक, 16 तटीय पनडुब्बी भेदी पोत, दो डीप सबमर्सिबल वैसल, 7 पोत 17 अल्फा परियोजना के तथा 6 पोत 75 इंडिया परियोजना के हैं।

नौसेना के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उन्होंने युद्धपोतों का बहुत हद तक स्वदेशीकरण कर लिया है। उन्होंने बताया कि 15 अल्फा परियोजना के पोत 64 प्रतिशत,15 ब्रावो परियोजना के पोत 92 प्रतिशत, प्रोजेक्ट 17 के पोत 60 प्रतिशत तथा प्रोजेक्ट 17 अल्फा के पोत 90 प्रतिशत स्वदेशी हो चुके हैं।

 युद्धपोत आईएनएस तेग पनडुब्बी रोधी एवं हवाई पूर्व चेतावनी हेलीकॉप्टर से से भी लैस है। इसके हथियार तथा सेंसर नवीनतम लड़ाकू प्रबंधन प्रणाली के साथ पूर्ण एकीकृत हैं। यह पोत 30 समुद्री मील प्रति घंटा की रफ्तार से चलता है तथा 30 दिन तक लगातार चलते रहने की क्षमता से लैस है। इसके पहले सफर पर इसकी कमान कैप्टन राकेश कुमार दहिया के हाथों में होगी जो इलेक्ट्रानिक युद्ध विशेषज्ञ हैं। इस युद्धपोत के निर्माण की परियोजना पांच साल पहले जुलाई 2007 में कालिनिंग्राद के नजदीक यांतर शिपयार्ड में शुरू हुई थी। हर तरह के मौसम में संचालित रहने में सक्षम आईएनएस तेग में परमाणु, जैविक एवं रासायनिक हथियारों से बचाव के लिए आधुनिक स्वचालित प्रणाली लगी है। इस श्रेणी के दो और स्टैल्थ जहाज आईएनएस तरकश और आईएनएस त्रिकंड नाम से रूस के शिपयार्ड में बन रहे हैं। यह पूरी परियोजना एक अरब 15 करोड़ डालर की है। ये दो पोत सितंबर 2012 और जुलाई, 2013 में भारतीय नौसेना को मिल जाएंगे।

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