देश के पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ब्रजेश मिश्रा अब हमारे बीच नहीं रहे. कल रात दिल्ली में उन्होंने आखिरी सांसें लीं. वो पिछले कुछ समय से दिल की बीमारी से पीड़ित थे. उनके रिश्तेदारों की मानें तो दिन में उनकी हालत ठीक थी. शाम को कुछ दिक्कत की वजह से उन्हें जब दिल्ली के वसंतकुज इलाके के फोर्टिस अस्पताल ले जाया गया तो उनकी सांसें थम चुकी थीं.
अपने जन्मदिन के ठीक एक दिन पहले ही ब्रजेश मिश्रा इस दुनिया को अलविदा कह गए. ब्रजेश मिश्रा के बेटे अमेरिका में हैं, लिहाजा उनके भारत पहुंचने के बाद सोमवार सुबह ब्रजेश मिश्रा का अंतिम संस्कार होगा. ब्रजेश मिश्रा न सिर्फ देश के पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार थे बल्कि उन्होंने कई तरह से अपनी अहम भूमिका निभाई. संयुक्त राष्ट्र में वो भारत के स्थायी प्रतिनिधि भी रह चुके थे.
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री द्वारका प्रसाद मिश्रा के बेटे ब्रजेश मिश्रा का जन्म 29 सितंबर 1928 को हुआ था. देश के पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनने से पहले ब्रजेश मिश्रा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधान सचिव भी रहे थे. इससे पहले वो विदेश मंत्रालय के सचिव पद से रिटायर हुए थे. ब्रजेश मिश्रा संयुक्त राष्ट्र में भारत का स्थायी प्रतिनिधित्व भी कर चुके थे. वो जून 1979 से अप्रैल 1981 तक संयुक्त राष्ट्र के स्थायी प्रतिनिधि थे. वो जून 1987 तक संयुक्त राष्ट्र में अपनी सेवा देते रहे. जेनेवा में भारत के स्थायी प्रतिनिधि ब्रजेश मिश्रा इंडोनेशिया के राजदूत भी रह चुके थे. वो नवंबर 1998 से 23 मई 2004 तक देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे.
घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की अहम नीतियों में भूमिका निभाने वाले ब्रजेश मिश्र 1991 में बीजेपी मे शामिल हो गए थे. एनडीए सरकार के समय 1998 में पोखरण में हुए परमाणु परीक्षण से लेकर 1999 में हुए करगिल की लड़ाई तक में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी. विदेश नीति और सुरक्षा मामलों में काबिलियत को लेकर ब्रजेश मिश्रा की एक खास पहचान थी. साल 2004 में एनडीए को मिली शिकस्त और अटल बिहारी वाजपेयी के राजनीतिक माहौल से दूर होने के बाद ब्रजेश मिश्रा ने बीजेपी से अपनी दूरी बना ली थी. 84 साल के ब्रजेश मिश्रा को साल 2011 में पद्म सम्मान से भी नवाजा गया था.
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