नेपाल में भारतीय गाड़ियों की तोड़फोड़. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 30 सितंबर 2012

नेपाल में भारतीय गाड़ियों की तोड़फोड़.


नेपाल में विरोध के चलते एक तरफ भारतीय नंबरों वाली गाड़ियों को रोककर तोड़फोड़ की जा रही है तो दूसरी और भारतीयों पर भी हमले हो रहे हैं. नेपाल में ‘भारत-विरोधी मानसिकता की आग’ तेजी से फैल रही है और इससे निवासियों और कारोबारियों को नुकसान झेलना पड़ रहा है. नेपाल में माओवादी संगठन की ओर से किये जा रहे इस विरोध की सजा आम जनता को भुगतनी पड़ रही है. 

हालात इतने बिगड़ चुके है कि नेपाल में पिछले चार दिनों से जारी भारत विरोधी मुहिम का असर अब भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में भी दिखने लगा है. इससे भारत के बिहार में रक्सौल, उत्तर प्रदेश और अन्य कई क्षेत्र प्रभावित हो रहे है. नेपाल के खिलाफ स्थानीय लोगों के बढ़ रहे आक्रोश ने जिला प्रशासन और पुलिस की नींद उड़ा दी है.

आक्रोशित लोगों ने दिल्ली-काठमांडू को जोड़ने वाली सड़क पर यातायात ठपकर विरोध प्रदर्शन करने की ठान ली है. उत्तर प्रदेश के महाराजगंज में दुकानदारों ने भी नेपाल से आ रहे वाहनों को रोकने के लिए सड़क पर जाम लगा दिया. इन हालातों को बढ़ता देख नेपाल के प्रधानमंत्री बाबू प्रसाद भट्टाराई ने भारतीय वाहनों, फिल्मों और भारतीयों के साथ कुछ भी गलत करने वालों को तत्काल गिरफ्तार करने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने लोगों को आगाह किया कि इससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ेगा. 

गौरतलब है कि माओवादी नेता मोहन वैद्य किरण के नेतृत्व वाले नेकपा माओवादी संगठन ने भारतीय वाहनों के नेपाल में प्रवेश पर रोक लगाने की घोषणा कर रखी है. किरण ने हिंदी फिल्मों, भारत में उत्पादित फल, सब्जी, मछली और अन्य सामग्री के आयात पर रोक लगाने की घोषणा की है. माओवादी इस तनाव को और गर्मा रहे है. उन्होंने गली और चौक पर भारत के खिलाफ बैनर टांगकर पूरे मामले को भड़काने के प्रयास भी किये है.

सत्तारूढ़ यूनाइटेड डेमोक्रेटिक मधेशी फ्रंट ने सीपीएन-माओवादी की भारत-विरोधी रवैये की आलोचना की है. उन्होंने साफ कहा कि इस सबसे माओवादी का मकसद 'सांप्रदायिक दंगे' को भड़काना है. शनिवार शाम को विद्रोही माओवादियों ने एक बयान जारी कर कहा कि आवश्यक वस्तुओं से लदे वाहनों को नहीं रोका जाएगा. विरोधियों ने अपने आंदोलन को ‘फिलहाल प्रतीकात्मक’ बताते हुए इसे 25 अक्तूबर तक चलाने की घोषणा की है. उसने नेपाली प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टाराई को चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गई तो ‘जनविद्रोह और जनयुद्ध’ किया जाएगा. इसे बयान से पहले शनिवार को महराजगंज जिले के सोनौली और बढ़नी बार्डर के आगे भारतीय वाहनों का प्रवेश नेपाल में नहीं हो सका था. शनिवार रात को कुछ वाहन नेपाल जाने में सफल हुए थे मगर लौटते समय माओवादियों ने उनके शीशे तोड़े और कागजात छीन लिए. 

गोरखपुर, सिद्धार्थनगर और महराजगंज से रोजाना करीब 1000 वाहनों का नेपाल आना-जाना होता है. पर्यटन विभाग के मुताबिक, गोरखपुर से नेपाल को रोजाना 300 विदेशी पर्यटक जाते हैं. यात्रियों के ना मिलने से वाहन स्वामियों की रोजी-रोटी पर संकट मंडराने लगा है. नेपाल का बड़ा बाजार गोरखपुर है. इसी तरह से गोरखपुर के रास्ते रोजाना 200-250 ट्रकों में नमक, चावल, कपड़ा, दैनिक उपभोग की सामग्री, जनरल मर्चेंट, किराना, मसाला, पेट्रोल, डीजल, केरोसिन नेपाल जाता है. गोरखपुर से गाड़ियां नेपाल नहीं जा रही हैं.

सत्ताधारी माओवादियों के दो खेमों में बंट जाने से यह संकट खड़ा हुआ है. एक गुट (यूसीपीएन-एम) सत्तासीन है तो दूसरा (सीपीएन-एम) बागी होकर सामने आया है. विरोधी गुट का नेतृत्व वहां के माओवादी नेता मोहन बैद्य किरण कर रहे हैं.  बैद्य खेमे ने प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टाराई से भारतीयों को सुरक्षा देने के बयान को चुनौती दी है. सीपीएन-एम के नेता मोहन बैद्य किरण हैं, जो हमेशा ही भारत विरोधी और चीन के समर्थक रहे हैं.

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