किसके अधिकार के लिए "अधिकार यात्रा" - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 27 सितंबर 2012

किसके अधिकार के लिए "अधिकार यात्रा"


बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार कल यानी २६ सितम्बर को दरभंगा में अधिकार यात्रा पर आये. वो कहते हैं कि बिहार को स्पेशल स्टेटस यानी विशेष राज्य का दर्ज़ा मिलना ही चाहिए, ये उसका अधिकार है. नितीश ने विशेष राज्य के दर्जे की मांग के अभियान को जदयू से निकाल कर आम आदमी के अधिकार का अभियान बनाने का दावा किया है. मैं मुख्यमंत्री जी से ये पूछना चाहता हूँ कि बिहार की जनता के और क्या-क्या अधिकार हैं? क्या उनकी सरकार ने बिहार की जनता के अधिकार दे दिए? राशन किरासन का अधिकार तक नहीं दिलवा पाए. इसी दरभंगा में कन्या विवाह की योजना का लाभ पिछले ४ साल में आवेदकों को नहीं मिला, ये भेद खुद उनके कर्मचारी खोल रहे हैं. कहा तो ये तक जा रहा है कि कबीर अंत्येष्टि योजना की १५ सौ रुपये की राशि भी गरीबों को बिना रिश्वत के नहीं मिलती. मतलब ये कि कफ़न के पैसे की भी चोरी इनकी सरकार के कर्मी करते हैं. अगर ये सच है तो फिर किसके लिए स्पेशल स्टेटस की मांग की जा रही है? उस जनता के लिए, जिसके अधिकारों पर जन प्रतिनिधि कहलाने वाले बहुत सारे नेताओं, नितीश की सरकार के बाबुओं और अफसरों ने नाग कुंडली मार रखी है. 

क्या स्पेशल स्टेटस इन बहुत सारे नेताओं, बाबुओं और अफसरों के लिए माँगा जा रहा है? स्पेशल स्टेटस मिलने के बाद ये नेता, बाबू और अफसर स्पेशल तरीके से जनता के साथ लूट पाट करेंगे. नितीश जी, पहले बिहार की जनता को उसके वो बुनियादी अधिकार तो दिलवा दीजिये, जिन्हें दिलवाना आपकी जिम्मेवारी है और जिस पर आप की ही सरकार के लोग नाग कुंडली मार कर बैठे हैं. आपकी इस अधिकार यात्रा का अधिकतर जगहों पर विरोध हो रहा है. जिस जनता ने आपको कुछ साल पहले सर माथे पर बिठाया था वही अब आपका विरोध कर रही है. आपके आस-पास बैठे चम्मच लोग इसे इलेक्ट्रोनिक मीडिया की करतूत कह रहे हैं. इन्ही लोगों ने दो दिन पहले दरभंगा के मिथिला विश्व विद्यालय में आपके सामने ही पत्रकारों के साथ बदसलूकी की थी. पत्रकार के पास लाठी-बन्दूक थोड़े ही है कि वो आपके चम्मचों को सबक सिखाये. लेकिन पत्रकार की कलम में बहुत ताक़त है. हर पत्रकार बिका हुआ नहीं है नितीश जी. पत्रकार सच्चाई दिखाकर जनमत को सही दिशा देता है. याद कीजिये जंगल राज वाले मुख्यमंत्री और उनके चमचों को, कहाँ से कहा चले गए. आज भले ही आपका विकल्प जनता के पास नहीं हो लेकिन कल किसने देखा है? यात्रा"


(विजय श्रीवास्तव )
दरभंगा 

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