क्या होगा इस विरोध का परिणाम! - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 27 सितंबर 2012

क्या होगा इस विरोध का परिणाम!


कई यात्रााओं के नाम पर करोड़ों रुपयों की सरकारी राशि का खर्च करलने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अधिकार यात्रा के दौरान हर जगह उनका हो रहा व्यापक विरोध और जनता के आक्रोश ने यह जाहिर कर दिया है कि पीएम पद का ख्वाब देखने वाले नीतीश कुमार धीरे-धीरे जनता का विश्वास खो रहे हैं। घमंड से लबरेज मुख्यमंत्री ने जब दरभंगा की सभा में विरोध प्रदर्शन कर रहे नियोजित शिक्षकों को खुले शब्दों में चेतावनी दी तभी यह एहसास हो गया कि अब यह विकास पुरुष नहीं बल्कि घमंडी पुरुष बन गए। जातीयता में लालू प्रसाद को भी मात कर देने वाले नीतीश का अधिकार यात्रा के दौरान समस्तीपुर, बेगुसराय, और खगडि़या में हुआ व्यापक विरोध यह जाहिर कर रहा है कि नीतीश के खिलाफ भी धीरे-धीरे गुस्सा पनपने लगा है। खगडि़या का आक्रोश भले ही नीतीश के समझ में नहीं आए पर यह उनके लिए खतरे की घंटी है। नियोजित शिक्षकों को खुलेआम धमकी देने के मामले में भाजपा अध्यक्ष सीपी ठाकुर का एक चैनल को दिया गया यह बयान की ‘मुख्यमंत्री को ऐसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए’ ने भी यह जाहिर कर दिया है कि जदयू और भाजपा के बीच भी बिहार में खटास पैदा हो रहा है। ब्रह्मेश्वर मुखिया की हत्या के बाद एक जाति विशेष में पनप रहे गुस्से पर नियंत्रण के लिए नीतीश ने अपने पुराने मित्र सांसद ललन सिंह को तो मना लिया पर राज्य में फैल रहे आक्रोश पर वह कैसे काबू पाएंगे और किस-किस को मनाएंगे यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। 

खगडि़या में जिस तरह नीतीश का विरोध हुआ उसकी गाज खगडि़या के डीएम, एसपी पर भी गिर सकती है। सभी को यह याद होगा कि कांग्रेस शासनकाल में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री भागवत झा आजाद को भी विरोध का सामना करना पड़ा था और 1987 में जहानाबाद के दमुहा-खगड़ी टोला में हुए सामूहिक हत्याकांड में पीडि़तों से मिलने पहुंचे तत्कालीन मुख्यमंत्री के मुंह पर विरेन्द्र विद्रोही नामक युवा ने कालिख तक पोत दी थी। उस समय भी इसी तरह के आक्रोश का परिणाम था कि 1990 में हुए चुनाव में कांग्रेस को बिहार में बुरी तरह मुंह की खानी पड़ी जिससे कांग्रेस आज तक नहीं उबर पायी। नीतीश कुमार को अपने पड़ोसी राज्य यूपी से सबक लेनी चाहिए। कभी मुलायम सिंह यादव के शासन काल को तत्कालीन लालू-राबड़ी शासन काल से भी ज्यादा खराब और जंगलराज माना जाता था पर वहां की जनता ने एक बार फिर मुलायम और उनकी पार्टी को ही भारी बहुमत से चवापस लाया जिसका कारण था बसपा सुप्रमो मायावती का अहम और जातीयता। आत नीतीश उन्हीं छात्रों पर डन्डे और आंसू गैस बरसा रहे हैं जिस छात्र आंदोलन की वह उपज हैं। नीतीश का यह अहम आज न कल उन्हें ले ही डूबेगा.


साभार : विनायक विजेता (अंतरजाल)

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