नितीश की फर्जी लोकप्रियता और अंतरजाल। - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

गुरुवार, 27 सितंबर 2012

नितीश की फर्जी लोकप्रियता और अंतरजाल।


क्या आइना तस्वीर का दर्शन कराती है, नितीश कुमार की लोकप्रियता और फिर विरोधाभास के साथ अंतरजाल कतई आम बिहारी आवाम की आवाज, समस्या, विकास और नितीश का दर्शन नहीं हो सकता मगर समय ने पलटी मारी और जिस अंतरजाल पर नितीश गुणगान चलता रहता था वहां विरोध का स्वर भी उभरा।

हालांकि बिहार की आवाम अंतर्जाल के रसूख से क्या सरोकार रखती है ये चिंतन का विषय हो सकता है मगर अप्रवासी बिहारी का नितीश प्रेम और अंतरजाल मानो पूरक रहा हो खैर अब जबकि नितीश का विरोध सड़कों पर उतर आया है तो अंतर्जाल ने भी सुर बदले हैं। आर्यावर्त ने फेसबुक पर लोगों के बदलते विचार को संजोने का एक प्रयास मात्र किया है। लोगों की राय लोगों की जुबानी .......



Ravi Prakash
सुना है सुशासन बाबू से जनता नाराज है. तभी तो, मधुबनी में चप्पल, बेगूसराय में काले झंडे और खगडिया में पथराव. जनता अपना अधिकार लेने में लगी है. अधिकार यात्रा की जय हो. —

Santosh Singh
नीतीश कुमार के साथ जो हो रहा है उसको उचित ठहराना जायज नही होगा, लेकिन यह सोचने वाली बात जरुर है कि ये हो क्यो रहा है।क्या नीतीश कुमार की लोकप्रियता समाप्त हो रही है या फिर बिहार को विशेष राज्य की दर्जा को लेकर सीएम राजनीत कर रहे है उसका जबाव मिल रहा है,ऐसे कई सवाल है,

रजनीश के झा
नीतीश के अड़ियल और अक्खड़, दम्भी और तानाशाही प्रवृति के कारण बिहार में विरोध हो रहा है, आज का विरोध बेगुसराय में रहा. जन समर्थन नहीं भीड़ विरोध के लिए एकत्रित हुई थी.

Manjit Thakur
मिथिला इलाके में नीतीश का भारी विरोध हो रहा है, क्यों न हो...नीतीश ने मिथिला को विकास के मामले में हाशिए पर रखा है। मिथिला एक अलग राज्य बनना चाहिए।

Mozammil Hussain
अधिकार रैली में मुख्यमंत्री नीतीश को गुरुवार को भी स्थानीय लोगों और शिक्षकों का विरोध झेलना पड़ा। बिहार के बेगुसराय में आयोजित सभा में स्थानीय लोगों ने नीतीश कुमार पर भेदभाव का आरोप लगाया और रास्ते से गुजर रहे नीतीश कुमार के काफिले को काला झंडा दिखाया। उनका विरोध यही नहीं थमा। प्रदर्शनकारी नीतीश के सभास्थल पर भी पहुंच गए और मंच की ओर अंडे और कुर्सियां भी फेंकी। स्थल पर भी पहुंच गए और मंच की ओर अंडे और कुर्सियां भी फेंकी।

Manoj Pathak
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 'अधिकार यात्रा' के दौरान विरोध कहीं पूर्व प्रायोजित तो नहीं ......?????? आखिर अचानक यात्रा के दौरान ही विरोध क्यों ..??????

रजनीश के झा
लो जी.....
मधुबनी दरभंगा में जूते चप्पल से स्वागत, बेगुसराय में काला झंडा और अभी अभी खगड़िया में नितीश पर पथराव.....
नितीश का खुलता पोल और जन विरोध, क्या नितीश अपने राजनीति के आखिरी पड़ाव की और अग्रसर हैं ?

Alok Punj
बिहार के मुख्यमंत्री को आत्म मंथन एवं आत्म चिंतन की जरुरत है. वो बिहार को विशेष राज्य का दर्ज़ा दिलाने की खातिर अधिकार रैली कर रहे है तो वही दूसरी ओर बिहार की जनता खुद के अधिकार के लिए मुख्यमंत्री का हर जगह जबर्दस्त विरोध कर रही है. विरोध के तरीके भी काफी अमार्यादित है कही नियोजित शिक्षक अपनी मांगों को लेकर उन्हें चप्पल और जूते दिखा रहे है, कही बिभिन्न छात्र संगठन काला झंडा दिखा रहे है, तो कही बिजली की समस्या को लेकर उनके समक्ष अर्ध नग्न प्रदर्शन हो रहा है, तो कही महिला उनके काफिले के गाड़ी के सामने लेट जा रही. बड़ा ही विचित्र समस्या आन पड़ी है मुख्यमंत्री के समक्ष. जो कभी प्रदेश का सबसे चेहता व्यक्ति था, सुशासन बाबू के नाम से जाना जाता है. आखिर कहा क्या कमी रह गयी जो उन्हें रोजाना इतना जबर्दस्त विरोध का सामना करना पड़ रहा है. इन्होने तो पहले ही ऐलान कर रखा है कि २०१५ तक पुरे बिहार को बिजली उपलब्ध नहीं कराया तो वोट मांगने नहीं आयेंगे पर २०१५ से पूर्व ही बिहार के अधिकार के लिए केंद्र से लड़ रहे लड़ायी में खुद के ही लोगों की नाराज़गी नीतीश के अभियान को खोखला तो नहीं कर देगा. 
नीतीश जी ज़रा ठन्डे दिमाग से सोचिये, आखिर वो जनता जिसने आपको प्रदेश का नायक बनाया है, आज वो ही जनता इतने गुस्से में क्यूँ है? ... कही आप अभिमान और गुरुड में चूर तो नही हो गए है, कही आप खुद को अवाम से ऊपर तो नहीं समझने लगे है अगर ऐसा है तो आत्म चिंतन करें और पहले बेहतर बिहार और बिहारियों की बेहतर जिन्दगी के लिए सोचिये. ज्यादा ऊँचा छलांग लगाने वाले कभी ना कभी मुंह के बल गिरते है. आप के पास अभी वक्त है अपनी कमियों को सुधारे और लोगों की नब्ज़ टटोलें यही बेहतर होगा आपके लिए

Abhiranjan Kumar
नीतीश जी से निराशा हुई है। नियोजित शिक्षकों का उन्हें चप्पल-जूते दिखाना निंदनीय है, लेकिन राज्य के मुखिया को भी संयम नहीं खोना चाहिए। "बाहर चले जाइए", "फिंकवा दूंगा", "कचूमर निकाल दूंगा"... इस तरह के बयानों के लिए लोकतंत्र में जगह नहीं होनी चाहिए। घर के लोग दुख-दर्द से परेशान है और गार्जियन उन्हें धमकाए- यह दुर्भाग्यपूर्ण है।

Randheer Jha
पहले महिंस चराने वाला सब को मास्टर बनाए, लालू डिविजन वाला सब मास्टर साहेब बन के वोट दिया....अब नकली मास्टर सबको असली शिक्षक वाला तनखाह चाहिए..... अब गर्दन मैं घंटी बान्हे हैं तो संगीत सुनिए...कहीं चप्पल वाला, कहीं जुत्ता वाला.... बेचारे नितीश, चले थे घसकट्टा ग्रेजुएट से बिहार कि शिक्षा सुधारने और अब खुद सुधर जायेंगे ......


DrRaju Ranjan Prasad
नीतीश अपनी कब्र खोदने में लग गये हैं. आइए कुछ हम भी मिट्टी डाल दें.

Manoj Upadhyay 

नीतिश कुमार की यह अधिकार यात्रा उनकी महत्वाकांक्षी राजनीति के ताबूत की शायद अंतिम कील साबित होगी.....

Tanishi Smita 
नीतिश अब अहंकार के रथ पर सवार होकर बिहार के विकास के बारे में बोलते हैं। इसलिए अंत निकट है।


Arbind Jha
आज नीतीश उन्हीं छात्रों पर डन्डे और आंसू गैस बरसा रहे हैं जिस छात्र आंदोलन की वह उपज हैं। नीतीश का यह अहम आज न कल उन्हें ले ही डूबेगा..


Avinash Kumar Chanchal
बेगूसराय में सरकार बाबू का विरोध।
मैं न कहता था बेगूसराय क्रांतिकारी धरती है..
सलाम साथियों विरोध की परंपरा को बचाए रखने के लिए


Gaurav Sinha
रोज पेपर पटा हुआ है अधिकार लेकर रहूंगा बिहार को उसका हक़ दिला केर रहूँगा भई साहेब किसने रोका है आपको , केंद्र में आप के सरकार थी आप का जलवा था आप की सरकार थी क्यों नहीं दिला दिया ----------- रोज रोज चिल्ला रहे है नितेश जी . हर जगह चप्पल से स्वागत हो रह है लोगो का ध्यान बटाने की है ये यात्रा .नितेश जी का अहंकार और घमंड सर चढ़ कर बोल रह है .हर जगह इनका बिरोध कर रही है जनता मीडिया चाटुकारिता में लगा है राजा के जय हो रह है . लेकिन हम जा कह रहे है जनता का बिरोध नितीश जी को लालू जी की चाल नजर आती है| अधिकार यात्रा में हर जिला में इनका बिरोध हुआ लेकिन दम्भी हमारे मुख्यमंत्री को समझ नहीं आ रह है | जनता ने आपको सत्ता दिया और जनता आप को उतार भी सकती है |


Prabhash Jha
पिछले डेढ़ साल में कई मौकों पर मैंने कहा था कि मिथिलांचल में नीतीश को लेकर काफी नाराजगी है, खासकर शिक्षा से जुड़े लोगों (टीचरों) के बीच। मेरे यह कहने पर 'सुशासन समर्थक' कई दोस्त मेरा मुंह नोचने के लिए दौड़ पड़ते थे और चुनाव में जीत के आंकड़े दिखाने लगते थे। मैं तब भी तर्क दे रहा था कि नीतीश मजबूरी हैं, पसंद नहीं और आज भी यही तर्क दे रहा हूं। लोग लालू की वापसी नहीं चाहते हैं और बिहार में सुशील मोदी के घर की दासी बन चुकी बीजेपी से कोई उम्मीद नहीं है। कांग्रेस के बारे में तो बात करना ही बेकार है। बिहार में सवर्णों की मजबूरी का नाम नीतीश कुमार बन गए हैं।


Manoj Upadhyay
जिंदा कौमें पाँच सालों तक इंतजार नहीं करतीं....
गनीमत बिहारी क़ौम जिंदा है....
(संदर्भ : बिहार के खगड़िया में मुख्यमंत्री नीतिश कुमार की अधिकार यात्रा क़ा रोषपूर्ण जनविरोध)


Sujit Srivastava
Nitish ji ko CM bane 7 saal ho gaye aur mere colony ke transformer ko jale huye 4 mahina ho gaya.. Ab log kya yaad rakhenge.. 7 saal ya 4 mahina.. Agle election me mai es nikammi sarkar ko vote nahi dunga.. Aur shayad mere jaisa sochne wale aur bhi log hai..


Manoj Upadhyay
अपनी कथित अधिकार यात्रा के नाम पर मुख्यमंत्री नीतिश कुमार निकले तो थे भोलीभाली बिहारी जनता के बीच अपनी वर्तमान औकात क़ा आकलन करने लेकिन इस बार इसी भोलीभाली जनता क़ा आक्रोश उनके (नीतिश कुमार) खुद के बुने कथित सुशासन के भ्रमजाल पर भारी पड़ रहा है....


Ajay Chaudhary 
मै मधुबनी का हूँ, मै बहुत खुश हूँ ,मुझे गर्व है अपने मधुबनी और वंहा की लोगो पर, जिन्होंने अधिकार यात्रा पर (श्री गणेश) की सुरुआत की... उन टीचर को मै धन्यवाद देता हूँ ...अब आया ऊट पहाड़ के नीचे .....


Manoj Upadhyay
खगड़िया में नीतिश कुमार की अधिकार यात्रा के जन विरोध की खबर के मामले में ईटीवी बिहार-झारखंड के तेवर आज बहुत बदले बदले से दिखे. आम तौर पर यह विरोध जहाँ जनाक्रोश क़ा प्रतीक था वहीं उक्त चैनल बार बार इसे उपद्रवियों की कार्रवाई बता रहा था. साथ ही चैनल लोगों को विरोध के तरीकों को लेकर नसीहत भी दे रहा था. आखिर एकाएक चैनल की भाषा में आए इस बदलाव क़ा सबब...?

Manoj Upadhyay
कल के अखबारों में क्या खगड़िया कांड की वास्तविक तस्वीर छप पाएगी.....?

Manoj Upadhyay
अखबारी चारण गीतों से इठला कर हिटलरशाही की राह चल पड़े मुख्यमंत्री नीतिश कुमार को शायद उनकी जारी अधिकार यात्रा (?) ही उनकी असली औकात क़ा इल्म करा देगी....


Akhouri Bijay 
सरकारी पैसे पर तरह तरह की यात्रा अपने चुनाव के मद्देनजर हो रही है यह सब जग जहिर है.......इनकी दूसरी पाली बद से बद्तर होती जा रही है.... जो जनप्रतिनिधि, चमचो के जयकारो के बीच अपना राजधर्म भूलकर अपने को लालू जी जैसे महाबली समझ बैठता है तब उनका धराशायी होना भी तय हो जाता है.........


Santosh Singh
खगड़िया की घटना पर सीएम की प्रतिक्रिया आयी है हक की लड़ाई का कारवां चलता रहेगा,चाहे कितनी रुकावटें पैदा हो --नीतीश कुमार पता नही किसके हक की लड़ाई लड़ रहे है अब तो स्पष्ट हो गया है कि उनके अपने गठबंधन के लोग भी इस उपद्रव में शामिल है ।कुछ दिनो पहले मैंने लिखा था राजनीत में कम से कम बोलना चाहिए जिस तरीके से नरेन्द्र मोदी के खिलाफ ये बेवजह बोलते रहे उसका परिणाम भी इसमें छिपा है, और आगे यह और तेज होगा गुजरात चुनाव में मोदी लौटे तो इनको गठबंधन चलाना मुश्किल हो जायेगा ।और ऐसे में लालू भाजपा से हाथ मिला ले तो कोई नही बात नही होगी इसकी भी खिचड़ी पकने लगी है,इसे राजनीत कहते है।


Santosh Singh
घर जाने का वक्त होने को हो लेकिन कल की सुबह को लेकर चिंता की लकीर अभी से ही मन को बोझिल कर रहा है। अंतिम फैसला जो होना होगा वो तो हो गया होगा, हमारे मित्र कही शराब की घूट चढा रहे होगे या फिर घर जाने के रास्ते में होगे मैं अपने अखबार मित्रो की बात कर रहे है आज उनकी तो अग्नि परीक्षा तो है ही पूरे पत्रकार जगत की अग्नि परीक्षा है देखना है कल के अखबार में क्या छपता है नीतीश चलिसा या फिर खगड़िया की हकिकत

Manjit Thakur

मिथिला इलाके में नीतीश का भारी विरोध हो रहा है, क्यों न हो...नीतीश ने मिथिला को विकास के मामले में हाशिए पर रखा है। मिथिला एक अलग राज्य बनना चाहिए।


Kumar Jeevendra Jha
पटना के १ अणे मार्ग (बिहार के मुख्यमंत्री का सरकारी आवास) से ७ रेसकोर्स रोड (देश के प्रधानमंत्री का सरकारी आवास) की ओर कदम बढ़ाने की कोशिश कर रहे सुशासन बाबू (नीतिश कुमार) की लोकप्रियता का नशा अब शायद बिहार की जनता से उतरता जा रहा है। नीतिश की अधिकार यात्रा के दौरान दरंभगा, बेगूसराय और खगड़िया में हिंसक विरोध का जो रुप दिखा उससे तो कम से कम यही लगता है। पहले पांच साल के शासन काल में विकास और अराजकता से मुक्ति के सहारे लोकप्रियता का कीर्तिमान बनाने वाले नीतिश का तिलिस्म दूसरे कार्यकाल के दो साल में टूटता दिख रहा है। आखिरकार नीतिश का दूसरा कार्यकाल तो पहले कार्यकाल के कामकाज और जनता की उम्मीदों का लिटमस टेस्ट ही है। नीतिश को अब इसमें विपक्ष की साजिश दिख रही है लेकिन एक पल को यह मान भी लें तो कहीं न कहीं नीतिश दूसरे कार्यकाल में पहले कार्यकाल का करिश्मा नहीं दिखा पा रहे हैं अथवा जनता को अब उनकी चतुराई भरे करिश्मे का अहसास होने लगा है?


Santosh Singh
बाहरी दुश्मन से तो लड़ाई लड़ी जा सकती है उसे परास्त भी किया जा सकता है। लेकिन जब दुश्मन अपने ही लोग हो तो फिर क्या किया जा सकता है। किस पर गोली चलाये और किसे गाली दे एक और चाचा दिखता है तो दूसरी और अपने जाति के लोग दिखते हैं, उससे आगे बढते हैं तो अपने इलाके के लोग मिल जाते हैं। हर कोई भारत मांता का चिरहरण करने में लगा उससे आगे बढा तो अपने धर्म के लोग भारत माता को निवस्त्र करने पर लगा दिखता है।यह व्यथा एक बेवश लचार भारतीय का है जो अपने आंखो के सामने देश की व्यवस्था को तार तार होते देखने को विविश है। अब तो कृष्ण जैसे शारथी भी नही है जो गीता का संदेश दे सके।आज देश इसी हलात में गुजर रहा है मीडिया में तो किसी विदेशी एफडीआई का पैसा तो नही लगा है आज मीडिया का सौंदा करने वाले इस्ट इंडिया कम्पनी के लोग भी नही हैं। आज अखबार देखे लगता है नीतीश कुमार सरदार भगत सिंह को भी पीछे छोड़ दिये, पत्रकारिता के आत्मा के साथ समझौता करने वाले क्या अमेरिका से आये हैं। या फिर अखबार के संपादक भी ऐसा नही है कि विदेश के किसी कांलेज से पढकर सम्पादक बने है और ना ही पत्रकार फिर कैसे कहेगे की पश्च्मि सभ्यता में पले बढे लोगो भारत माता को भूल गये है। ये सब वे लोग कर रहे है जो अपने को खाटी भारतीय कहते है लेकिन भेलेनटाईन डे हो ,फादर डे हो या फिर फ्रेडसिप डे हो इन्हे ये दिखता है क्यो कि यह मार्केटिंग का हिस्सा है निरोलाज का आईक्रिम का तारीफ छापेगे लेकिन सिलाउ का खाजा इनके लिए महत्वपूर्ण नही है ।हमारी संस्कृति समाजिक मान्यता और आर्थिक संरचना को तोड़ने वाले इस पत्रकारिता कांम में कही से भी किसी विदेशी की कोई भूमिका नही है तो फिर इनसे आप किस दम पर लड़ेगे क्यो कि लोकतंत्र के चौथे खम्भे के दंभ पर अपनी मार्केटिंग करने वाले ये लोग अपने ही भाई, विरादरी और जाति के लोग है जिसे नीतीश कुमार जैसे लोकतंत्र के हिमायती शासक रोज कोठे के भरुआ की तरह नचाता है शर्म है लेकिन हकिकत यही है जद यू विधायक के पति रणवीर यादव भीड़ पर पुलिस की कारवाईन छिन कर गोली चला रहे हैं वो उन्हे नही दिख रहा है अखिल भारतीय विर्धार्थी परिषद के छात्र आन्दोलन का खुलेआम नेतृत्व कर रहा है उसे नही दिख रहा है लेकिन राजद औक लोजपा के लोग इस हंगामे में शामिल है लो उन्हे दिखायी दे रहा है क्या बात है किसी मित्र ने आज सुबह सुबह फोन कर कहा अब आप आपकी बारी है। बाकी खम्भे के पास तो हिफाजत की पूरी व्यवस्था है लेकिन आपके पास हिफाजत का डाल विश्वास था जो आप लोगो ने उसे बजार में बोली लगाने को छोड़ दिया है।


Arbind Jha 
जिस तरीके से नीतिश कुमार का जादू जनता के सर चढ़ के बोल रहा था अब उसी तरीके से उतर भी रहा है, अगर जल्दी कुछ नहीं किया बिहार के जनता के लिए तो इसके दूरगामी परिणाम मिलेंगे.. नितीश के PM बनने पर ये अब सबसे बड़ा रोरा रहेगा

2 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

जिस तरीके से नीतिश कुमार का जादू जनता के सर चढ़ के बोल रहा था अब उसी तरीके से उतर भी रहा है, अगर जल्दी कुछ नहीं किया बिहार के जनता के लिए तो इसके दूरगामी परिणाम मिलेंगे.. नितीश के PM बनने पर ये अब सबसे बड़ा रोरा रहेगा

निलेश चौधरी ने कहा…

बेहतर और रोचक संकलन.