हरियाणा में कालोनियां विकसित करने के लिए राबर्ट वाड्रा को लाइसेंस दिए जाने के मामले की सीबीआई जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिका खारिज हो गई. उच्चतम न्यायालय ने हरियाणा में कालोनियां विकसित करने के लिए राबर्ट वाड्रा सहित कई रियल इस्टेट डेवलपर्स को लाइसेंस दिए जाने के मामले की सीबीआई जांच के लिए दायर जनहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई से इनकार कर दिया.
शीर्ष अदालत ने सिर्फ वाड्रा को निशाना बनाए जाने और लाइसेंस प्राप्त करने वाले दूसरे व्यक्तियों के नामों का जिक्र याचिका में नहीं करने पर याचिकाकर्ता मनोहर लाल शर्मा को आड़े हाथ लिया. न्यायालय का कहना था कि यह सब सस्ते प्रचार के लिए किया गया है. न्यायमूर्ति एचएल दत्तू और न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की खंडपीठ ने मनोहर लाल शर्मा से जानना चाहा, ‘उन्होंने सिर्फ एक ही व्यक्ति को क्यों चुना? हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि जनहित याचिका के नाम पर किसी एक व्यक्ति विशेष के नाम पर कीचड़ उछालने की इजाजत नहीं दी जाएगी. उसका एक राजनीतिक परिवार से संबंध होने के कारण ही आप उसे पापी नहीं कह सकते.’ न्यायाधीशों ने याचिका में किए गए दूसरे अनुरोध पर भी सवाल किया. इसमें राज्य सरकार के फैसले को निरस्त करने का अनुरोध किया गया था.
न्यायालय ने कहा कि उन्हें प्रचार पाने की कवायद की बजाय कुछ अच्छे काम करने चाहिए. न्यायाधीशों ने कहा, ‘सस्ते प्रचार की खातिर एक व्यक्ति का नाम खराब मत कीजिये. आपको सस्ते प्रचार की बजाय जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए अपनी ऊर्जा का इस्तेमाल करना चाहिए.’ शर्मा का कहना था कि उनकी याचिका में तमाम मामलों में से एक के रूप में वाड्रा के नाम का जिक्र किया गया है. उन्होंने स्काइलाइट हास्पिटेलिटी प्रा. लि को कालोनी विकसित करने के लिए दिए गए लाइसेंस का आडिट रोकने का आदेश निरस्त करने का अनुरोध किया था. वाड्रा इसी कंपनी से जुड़े हुए हैं. याचिका में दावा किया गया था कि टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग ने 2005 से 2012 के दौरान गुड़गांव और दूसरे हिस्सों में 21000 एकड़ से अधिक भूामि के लिए सैकड़ों लाइसेंस जारी किए हैं.
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