17 दलों ने मिलकर रखी तीसरे मोर्चे की बुनियाद. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 30 अक्तूबर 2013

17 दलों ने मिलकर रखी तीसरे मोर्चे की बुनियाद.

लोकसभा चुनाव से पहले तीसरा मोर्चा बनाने के प्रयासों के बीच वामपंथी पार्टियों सहित जदयू, अन्नाद्रमुक, बीजद और संप्रग के घटक दल राकांपा के नेता आज यहां एक सम्मेलन में मिले और फासीवादी तथा साम्प्रदायिक शक्तियों से उपजे ‘खतरे’ को परास्त करने के लिए एकजुटता की जरूरत बताई।

भाजपा और उसके पीएम पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी का निशाना बन रहे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को धर्मनिरपेक्ष पार्टियों से सांप्रदायिक ताकतों से मुकाबला करने के लिए एकजुट होने का आह्वान किया है। अगले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर वामपंथी दलों की ओर से बुलाए गए सम्मेलन में नीतीश ने कहा कि कुछ नेता उनके विचारों और विचारधाराओं का विरोध करने वालों का ‘सफाया’ करने की बात करते हैं। नीतीश ने ‘साम्प्रदायिकता के विरूद्ध सम्मेलन’ में कहा कि ‘फासीवाद, साम्प्रदायिकतावाद और आतंकवाद’ से देश के सामने पेश खतरे को परास्त करने के लिए आज एकत्र हुए 17 दलों को ‘अधिकतम संभावित एकता’ बनानी चाहिए। 

नीतीश ने कहा कि धार्मिक गतिविधियों पर कोई रोक नहीं है, और ऐसी रोक लगाई भी नहीं जानी चाहिए। लेकिन हर चीज के लिए एक समय निर्धारित होता है। इन दिनों हर समय धार्मिक यात्राएं निकाली जा रही हैं। विश्व हिंदू परिषद जैसे संगठनों की तरफ स्पष्ट इशारा करते हुए नीतीश ने कहा कि कुछ संगठन ऐसे अवसरों पर ऐसी झांकियां प्रदर्शित करते हैं जिसका मुख्य मकसद कुछ समुदायों की भावना को ठेस पहुंचाना होता है। उन्होंने कहा, `हमें इन बातों का विरोध करना चाहिए। समाज के ध्रुवीकरण का प्रयास किया जा रहा है, विवाद पैदा करने की कोशिश की जा रही है। कुछ लोगों को हमारी गंगा-जमुना तहजीब पसंद नहीं...उनका मानना है कि हिंसा हुई, खून-खराबा हुआ तो उन्हें उसका लाभ मिलेगा।` उन्होंने कहा, ‘यह सवाल किया जा रहा है कि क्या यह सम्मेलन एक नया मंच बनाने के लिए आयोजित किया गया है। अभी तक तो यह मामला नहीं है। लेकिन हमें सोचना है कि फासीवाद, साम्प्रदायिकतावाद और आतंकवाद की शक्तियों को शिकस्त देने के मुद्दे के आधार पर सभी लोकतांत्रिक शक्तियों को अधिकतम संभावित एकता स्थापित करनी चाहिए।’

नीतीश ने कहा कि उत्तरप्रदेश के मुजफ्फरनगर में हुए दंगों के बाद साम्प्रदायिकता के खतरे के विरूद्ध आवाज उठाने की जरूरत महसूस की जा रही है। वाम दलों की पहल पर आयोजित इस सम्मेलन को 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले गैर-कांग्रेस और गैर-भाजपा राजनीतिक दलों का एक समूह बनाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। उत्तरप्रदेश में सत्तारूढ़ दल सपा के प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने कहा कि मुजफ्फरनगर के दंगों को साम्प्रदायिक शक्तियों ने भड़काया।

मुलायम ने कहा, ‘कम से कम हम (एक मंच पर) आज एकजुट तो हुए। अगर हम एक होते हैं तो साम्प्रदायिक शक्तियां सिर नहीं उठा सकेंगी। हमने साम्प्रदायिक शक्तियों को कुचला है और साम्प्रदायिक शक्तियां जब-जब अपना सिर उठाएंगी, हम उन्हें कुचलेंगे।’ सपा के ही राम गोपाल यादव ने कहा कि आज की बैठक भविष्य में बनने वाली तस्वीर की शुरूआत है।

संप्रग सरकार में शामिल राकांपा के नेता प्रफुल पटेल ने अपनी पार्टी के इस सम्मेलन में शामिल होने को सही बताते हुए कहा, ‘गठबंधन राजनीति के युग में, अन्य दलों के साथ काम करने के अपने विकल्प हमें खुले रखने चाहिए।’ नीतीश और मुलायम सिंह के अलावा इस सम्मेलन में माकपा नेता प्रकाश कारत और सीताराम येचुरी, राकांपा के डीपी त्रिपाठी, जद (एस) के एचडी देवेगौड़ा, अन्नाद्रमुक के एम थंबीदुरै और भाकपा के एबी बर्धन शामिल थे।

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