अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोल की कीमतों में नरमी और डॉलर के मुकाबले रुपये के कुछ मजबूत होने के फलस्वरूप दीपावली से पहले पेट्रोल की कीमतों में कटौती की घोषणा हो सकती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में नरमी और डॉलर के मुकाबले रुपए में मजबूती को देखते हुए तेल विपणन कंपनियां पेट्रोल के दाम एक से डेढ़ रुपए प्रति लीटर तक कम कर सकती हैं।
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि यदि अगले चार कारोबारी दिवस के दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोल की कीमत में कोई खास घट-बढ़ नहीं हुई तो एक नवंबर से घरेलू बाजार में इसकी कीमत घट जाएगी। हालांकि, डीजल की कीमतों में फिर से 50 पैसे की बढ़ोतरी हो सकती है। सूत्रों के मुताबिक किरीट पारिख कमेटी डीजल में एकमुश्त 5 रुपये और एलपीजी के दाम में 250 रुपये की एकमुश्त बढ़ोतरी की सिफारिश की है। साथ ही वो चाहते हैं कि सब्सिडी वाले सिलिंडर 9 के बजाए 6 कर दिए जाएं। पारिख कमेटी पेट्रोलियम प्रोडक्ट का प्राइसिंग फॉर्म्यूला तय करने के लिए बनाई गई थी।
देश में पेट्रोलियम पदार्थ की सबसे बड़ी रिटेलर इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गत 16 अक्टूबर को अरब गल्फ में पेट्रोल का दाम 122.08 डॉलर प्रति बैरल था, जबकि सिंगापुर में 124.76 डॉलर प्रति बैरल। 25 अक्टूबर को अरब गल्फ में पेट्रोल का दाम घटकर 118.76 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया, जबकि सिंगापुर में यह 121.21 डॉलर था। इस बीच डॉलर के मुकाबले रुपया भी कुछ मजबूत हुआ है। इसके समन्वित असर से घरेलू बाजार में पेट्रोल की खुदरा कीमतों में कम से कम एक रुपया प्रति डीलर की कटौती के तो आसार बन ही रहे हैं।
अब देखना यह है कि इस मामले में मंत्रालय का क्या रुख रहता है। डीजल के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि इसकी बिक्री के मामले में तो स्थिति खराब है। इस समय प्रति लीटर 10 रुपये से ज्यादा की अंडर रिकवरी है। इसमें तो वैसे ही बढ़ोतरी होगी, जैसे पहले से चल रही है।
गौरतलब है कि सरकार ने बीते जनवरी महीने में तेल विपणन करने वाली सरकारी कंपनियों को हर महीने डीजल की कीमत में 50 पैसे प्रति लीटर तक की बढ़ोतरी करने का अधिकार दिया था। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के एक अधिकारी से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि पेट्रोल की कीमतों में नरमी के संकेत हैं। इस लिहाज से घरेलू बाजार में भी कीमत में कटौती की आशा की जा सकती है। जब उनसे यह पूछा गया कि चार राज्यों में विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी हो जाने के मद्देनजर क्या इस कदम को चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन नहीं माना जाएगा, तो उन्होंने कहा नहीं।
उनके मुताबिक सरकार ने वर्ष 2010 में ही इस बारे में फैसला ले लिया है। पेट्रोल की कीमतों को तभी से नियंत्रण मुक्त कर दिया गया है और तब से तेल कंपनियां इसकी कीमतें हर पखवाड़े संशोधित करती रही हैं। इससे चुनाव आचार संहिता का कोई संबंध नहीं है। उल्लेखनीय है कि गत 15 अक्टूबर को पेट्रोल की कीमतों में कोई घट-बढ़ नहीं इुई थी।
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