ईंधन मूल्य निर्धारण का तरीका तय करने के लिए गठित किरीट पारेख समिति ने अविलंब डीजल मूल्य में प्रति लीटर पांच रुपये वृद्धि करने की सिफारिश की है। समिति के मुताबिक सरकारी तेल विपणन कंपनियों को कम मूल्य पर बेचने से हो रहे नुकसान से कुछ हद तक बचाने के लिए ऐसा करना जरूरी है। समिति ने पेट्रोलियम मंत्रालय में जमा की गई अपनी रिपोर्ट में कहा है कि शेष नुकसान की भरपाई के लिए कंपनियों को प्रति लीटर छह रुपये की सब्सिडी दी जानी चाहिए।
समिति ने मिट्टी तेल की कीमत भी प्रति लीटर चार रुपये बढ़ाने का सुझाव दिया है और हर घर के लिए सब्सिडी वाले गैस सिलेंडर की अधिकतम सीमा छह निर्धारित करने की सलाह दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, "सब्सिडी वाले सिलेंडर की अधिकत सीमा प्रत्येक घर के लिए हर साल वर्तमान नौ से घटाकर छह की जानी चाहिए।" समिति का गठन सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए डीजल, रसोई गैस और मिट्टी तेल की बिक्री हेतु मूल्य निर्धारण का तरीका तय करने के लिए किया गया था।
कई तरीके पर विचार करने के बाद विशेषज्ञ समिति ने कहा कि ऐसा कोई एक फार्मूला नहीं है, जिसे बिल्कुल सही कहा जा सके। रिपोर्ट में कहा गया, "इसलिए वर्तमान सुस्थापित तरीके को किसी दूसरे तरीके से बदलने की जगह समिति ने सुझाव दिया कि सबसे सही कार्य यह हो सकता है कि जल्द से जल्द इस बाजार को मूल्य नियंत्रण से मुक्त किया जाए।" अभी सरकारी तेल कंपनियों को हर महीने डीजल की कीमत 45-50 पैसे प्रति लीटर बढ़ाने की अनुमति है।
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