भारतीय रेलवे ट्रेनों की गति बढ़ाने के लिए जारी प्रयासों के मद्देनज़र यात्रियों की सुरक्षा के लिए मौजूदा वॉकी टॉकी प्रणाली की जगह उन्नत संचार प्रणाली लागू करेगी. निर्णय लिया है ताकि चालक और अन्य कर्मियों के बीच बिना किसी बाधा के संपर्क स्थापित हो सके.
परियोजना में शामिल रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हम मोबाइल ट्रेन रेडियो कम्युनिकेशन प्रणाली लागू कर रहे हैं जो नियंत्रण कक्ष और तेज गति से चल रही रेलगाड़ियों के चालकों के बीच बेहतर संपर्क स्थापित करेगी.’ यह प्रणाली नियंत्रण कक्षों में रेलगाड़ियों के लिए आपातकालीन ब्रेक मुहैया कराएगी जिसे चालकों के सिग्नल का उल्लंघन करने पर इस्तेमाल किया जा सकता है.
इस समय दिल्ली-लुधियाना, हावड़ा-मुगलसराय और कोलकाता मेट्रो स्टेशनों समेत 2264 किलोमीटर मार्ग पर एमआरटीसी प्रणाली लगाई जा रही है जबकि अगले वर्ष मार्च तक नयी दिल्ली-हावड़ा और नयी दिल्ली-जम्मू समेत 2235 किलोमीटर लंबे मार्ग पर आधुनिक संचार प्रणाली लागू की जाएगी. अधिकारी ने बताया, ‘अधिक सघनता वाले मार्गों में रेलगाड़ियों के आवागमन में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए एमटीआरसी प्रणाली लागू की जा रही है क्योंकि यह चालक को गार्ड, स्टेशन मास्टर, नियंत्रण अधिकारियों और रेलगाड़ियों के संचालन के लिए जिम्मेदार अन्य अधिकारियों के साथ बेहतर संपर्क स्थापित करने में सक्षम बनाती है.’
उन्होंने बताया कि यह आधुनिक प्रणाली मौजूदा वॉकी टॉकी प्रणाली के स्थान पर अपनाई जाएगी. वॉकी-टॉकी प्रणाली ट्रेन के तेज गति से चलने पर अधिक विश्वसनीय नहीं होती. अधिकारी ने बताया ‘तेज गति वाली ट्रेनों में आवाज सुनाई नहीं देती. अगर ट्रेन उतार चढ़ाव वाली जगहों से गुजरती है तो संचार बाधित हो जाता है.’
आगामी ‘डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर’ में भी एमआरटीसी प्रणाली लगाई जाएगी. रेल मार्ग में एमटीआरसी प्रणाली लागू करने में प्रति किलोमीटर करीब आठ लाख रुपए का खर्च आएगा.
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