प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रविवार को श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को एक पत्र लिखकर खेद जताया और इस बात की जानकारी दी कि क्यों वह अगले सप्ताह राष्ट्रमंडल शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने कोलंबो नहीं जा रहे हैं। पत्र में क्या लिखा गया है इसका खुलासा नहीं किया गया है। यह पत्र संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के फैसले के बाद भेजा गया है। सरकार ने 15 से 17 नंबर के बीच कोलंबो में होने वाले राष्ट्रमंडल देशों के शासनाध्यक्षों की बैठक (चोगम) में भारत की हिस्सेदारी का स्तर घटाने का फैसला किया है।
सरकार का यह फैसला उत्तरी श्रीलंका में अल्पसंख्यक तमिल नागरिकों को अधिकार देने में विफलता और कथित मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर तमिलनाडु की पार्टियों और कांग्रेस के तमिलनाडु से आने वाले मंत्रियों की आपत्ति के कारण आया है। विधानसभा चुनाव के लिए शनिवार को छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का प्रचार कर रहे प्रधानमंत्री रात को दिल्ली लौटे। एक आधिकारिक सूत्र ने बताया कि पत्र रविवार को भेजा गया।
विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद अब चोगम सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। 53 देशों के राष्ट्राध्यक्षों का यह सम्मेलन दो दशक बाद पहली बार किसी एशियाई देश में आयोजित हो रहा है। विदेश मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव नवतेज सरना, मंत्रालय में संयुक्त राष्ट्र मामलों के राजनीतिक संभाग के संयुक्त सचिव पवन कपूर शिखर वार्ता से पूर्व होने वाली आधिकारिक स्तर की बैठकों में हिस्सा लेंगे। विदेश सचिव सुजाता सिंह भी वहां जाएंगी।
डीएमके, एआईएडीएमके और अन्य तमिल पार्टियों ने चोगम सम्मेलन के बहिष्कार की मांग की थी। केंद्रीय मंत्री पी.चिदंबरम, जयंती नटराजन, जी.के.वासन और वी.नारायणसामी जो तमिलनाडु के ही हैं, ने प्रधानमंत्री को तमिल हितों को ध्यान में रखने का दबाव डाला। खासकर तब जबकि आम चुनाव केवल कुछ ही महीने दूर है। कांग्रेस कोर समूह की शुक्रवार को हुई बैठक में भी प्रधानमंत्री के श्रीलंका न जाने का फैसला हुआ।
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