बिहार : 8 से 9 घंटे तक हाड़तोड़ मेहनत करने वाले रसोईया को प्रतिमाह 1000 रू. मानदेय - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 5 अगस्त 2015

बिहार : 8 से 9 घंटे तक हाड़तोड़ मेहनत करने वाले रसोईया को प्रतिमाह 1000 रू. मानदेय

  • एक साल काम करते हैं, तो 10 माह का ही पारिश्रमिक थमाया जाता
  • 1 हजार में दम नहीं, 15 हजार से कम नहीं का नारा बुलंद

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पटना। बिहार राज्य मध्याह्न भोजन रसोईया संयुक्त संघर्ष के बैनर तले तीन दिवसीय महाधरना सह प्रदर्शन शुरू। प्रथम दिन सहरसा, मधेपुरा, सुपौल, सीतामढ़ी, शिवहर, पटना, पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज, शेखपुरा और वैशाली जिले के रसोईया ने हिस्सा लिया। 

बिहार राज्य मिड डे मील वर्कस यूनियन(सीटू) के राजाध्यक्ष विनोद कुमार ने कहा कि भारत में भूख एवं कुपोषण को मिटाने एवं गरीब परिवार के बच्चों को स्कूल से जोड़ने के लिए देश के तमाम प्रारंभिक विघालयों में मध्याह्न भोजन योजना कार्यक्रम चलाया जा रहा है।इस कार्यक्रम को सरजमीन पर सफल बनाने में रसोईया की महत्वपूर्ण एवं केन्द्रीय भूमिका है। मध्याह्न भोजन रसोईया की विशाल संख्या दलित,महादलित,अत्यंत पिछड़ा वर्ग,विधवा एवं कमजोर वर्ग की महिलाओं की है। जिन्हे अत्यंत कम मानदेय पर काम करना पड़ता है तथा सामाजिक भेदभाव का भी शिकार होना पड़ता है। 

बिहार राज्य मध्याह्न भोजन संघ के प्रदेश संयोजक उद्यन प्रसाद राय ने कहा कि विघालय खुलने से पहले तथा विघालय बंद होने के बाद तक बत्र्तन की सफाई , खाना बनाने, बच्चों को खिलाने तथा साफ-सफाई करने यानी 8 से 9 घंटे तक हाड़तोड़ मेहनत करने के एवज में रसोईया को प्रतिमाह 1000 रू. मानदेय दिया जाता है। वह भी साल में 10 माह का ही पारिश्रमिक थमाया जाता है। दुर्घटना,आकस्मिक मृत्यु,बीमारी की हालात में इन्हें किसी तरह की बीमा की सुविधा प्राप्त नहीं है। अब रसोईया 1 हजार में दम नहीं, 15 हजार से कम नहीं का नारा बुलंद करने लगे हैं। 

तीन दिवसीय महाधरना पर बैठने वाले ने सरकार से 11 सूत्री मांग पूर्ण करने का आग्रह किए हैं। इन लोगों की मांग है कि रसोईया की सेवा को नियमित कर वेतनमान लागू किया जाय। वेतनमान लागू होने तक प्रतिमाह 15 हजार रू. मानदेय सुनिश्चित किया जाय। केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा 1 हजार प्रतिमाह मानदेय बढ़ोत्तरी की घोषणा को अविलम्ब लागू किया जाय। सभी कार्यरत रसोईयों को चयन पत्र/नियुक्ति पत्र निर्गत किया जाय,मनमाने ढंग से रसोईया को हटाने की कार्रवाई पर रोक लगाया जाय एवं हटाए गए रसोईया को पुनः काम पर वापस लिया जाय। रसोईया का स्वास्थ्य बीमा एवं दुर्घटना बीमा का लाभ प्रदान किया जाय। 60 वर्ष से ऊपर के रसोईया के लिए पेंशन योजना का प्रावधान किया जाय। उम्र के आधार पर हटाए गए रसोईया के स्थान पर पेंशन योजना लागू होने तक कार्यरत रसोईया के परिवार को प्राथमिकता के आधार पर चयन किया जाय। रसोईया के मानदेय का भुगतान प्रत्येक माह के प्रथम सप्ताह में खाता के माध्यम से किया जाय। रसोईया को वर्ष में एक जोड़ा ड्रेस दिया जाय। अन्य विभागों की तरह रसोईया को भी मातृत्व अवकाश तथा विशेष अवकाश की सुविधा प्रदान की जाय। वर्ष में 10 महीने के बजाय 12 महीने के मानदेय का भुगतान किया जाय। कार्यरत रसोईया की मृत्यु होने तक मृतक के आश्रितों को रिक्त स्थान पर प्राथमिकता के आधार पर बहाली हो। ट्रेड यूनियन एक्ट के तहत रसोईया यूनियन को निबंधित किया जाय। निबंधन में अड़ेंगेबाजी एवं टाल-मटोल पर रोक लगाया जाय। मध्याह्न भोजन योजना को स्वयंसेवी संस्था,कारपोरेट एवं निजी ठेकेदारों के हाथों सौंपने की साजिश एवं तैयारी पर पूर्णतः अंकुश लगाया जाय। 



आलोक कुमार 
बिहार 

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