बिहार में दलित उत्पीड़न की लगातार बढ़ती घटनायें अत्यंत चिंताजनक: कुणाल - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 30 जनवरी 2016

बिहार में दलित उत्पीड़न की लगातार बढ़ती घटनायें अत्यंत चिंताजनक: कुणाल

  • कहीं दबंगों के हमले के शिकार हो रहे महादलित, कहीं भूख से हो रही मौतें

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पटना 30 जनवरी 2016, माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि नीतीश सरकार बिहार में महादलितों के उत्थान के लिए पुरस्कार हासिल करने की जुगत में लगी है, लेकिन हाल के दिनों में दलित उत्पीड़न की घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि हुई है. कहीं दलितों के उपर तेजाब से हमल हो रहे हैं, कहीं भूख से उनकी मौतें हो रही हैं और सरकार तमाशबीन बैठी हुयी है. यह अत्यंत शर्मनाक है.

उन्होंने कहा कि अररिया जिले के नरपतगंज प्रखंड के बहादुरपुर गांव में जिस तरह दलित समुदाय के 10 लोगों पर दबंगों ने तेजाब फेंककर उन्हें जान से मारने की कोशिश की, वह दिखलाता है कि राज्य में दबंगों का मनोबल लगातार बढ़ता जा रहा है और राज्य सरकार ने उनके सामने आत्मसमर्पण कर दिया है. हत्यारों-दबंगों पर कठोर कार्रवाई नहीं किए जाने की वजह से ही उनका मनोबल लगातार बढ़ता जा रहा है. वहीं वैशाली के लालगंज प्रखंड के शमसपुरा गांव में एक महादलित चैती देवी की भूख से मौत की भी खबर सामने आ रही है. 

उन्होंने कहा कि अररिया की घटना की जानकारी मिलने के उपरांत आज भाकपा-माले की राज्य कमिटी के सदस्य काॅ. पंकज सिंह ने पूर्णिया अस्पताल का दौरा करके घायल आनंदी ऋषिदेव व अन्य घायलों से मुलाकात की. आनंदी ऋषिदेव सहित 2 लोगों की हालत बेहद चिंताजनक है. घायलों में 2 बच्चे भी शामिल हैं. इनका अपराध बस इतना था कि जिस जमीन पर वे बसे हैं, उस जमीन से होकर रास्ता बनाये जाने का विरोध किया था. वैशाली में माले व अखिल भारतीय किसान महासभा की संयुक्त टीम ने शमसपुरा गांव का दौरा करके घटना की विस्तार से जानकारी ली. इस टीम में किसान महासभा के बिहार राज्य अध्यक्ष काॅ. विशेश्वर प्रसाद यादव, किसान महासभा के वैशाली जिला अध्यक्ष काॅ. अरविंद कुमार चैधरी, उपाध्यक्ष सीताराम भगत, पार्टी के प्रखंड सचिव काॅ. ललन श्रीवास्तव और अधिवक्ता विजेन्द्र प्रसाद यादव शामिल थे.

जांच टीम ने कहा है कि महादलित महिला चैती देवी की भूख मौत से हुई है. 500 की आबादी वाले इस महादलित टोले में आधे परिवार के पास राशन कार्ड हैं ही नहीं. जिन लोगों के पास राशन कार्ड है, उनमें आधे से अधिक में परिवार के सभी सदस्यों का नाम राशन कार्ड में नहीं है. जनवितरण प्रणाली पूरी तरह से ध्वस्त है. तीन-चार महीने में एक बार जनवितरण दुकान से महादलितों को कुछ दे दिया जाता है. हालत यह है कि गांव के अधिकांश लोग भूख व कुपोषण के शिकार हैं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का खाद्य आपूर्ति विभाग, जनवितरण प्रणाली आदि तमाम सिस्टम या तो पूरी तरह से असफल हैं या उनमें घोर भ्रष्टाचार है. 

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