नयी दिल्ली, 05 फरवरी, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ़ हर्षवर्द्धन ने जैव तकनीक के क्षेत्र में काम कर रहे वैज्ञानिकों से गंभीर बीमारियों का सस्ता इलाज ढूंढने का आह्वान करते हुए कहा कि आज कैंसर जैसे रोगों का इलाज इतना महंगा हो गया है कि लोगों को अपना घरबार बेचना पड़ रहा है। डॉ़ हर्षवर्द्धन ने आज यहां अंतरराष्ट्रीय जैव तकनीक सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद कहा कि इसमें कोई दोराय नहीं है कि विज्ञान ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी प्रगति कर ली है लेकिन हम अभी तक मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों का टीका नहीं खोज पाये हैं। कैंसर का इलाज इतना महंगा हो गया है कि लोगों को अपना घरबार बेचकर इलाज कराना पड़ रहा है। वैज्ञानिकों को सस्ता इलाज ढूंढने का प्रयास करना चाहिये ताकि लोगों को महंगे इलाज से राहत मिले। उन्होंने इस बात पर संतोष जताया कि आजादी के बाद पिछले 68 साल में देश ने कई क्षेत्रों में शानदार प्रगति की है लेकिन अब भी 30 प्रतिशत बच्चे टीकों से वंचित हैं और कुपोषण एक बड़ी समस्या है।
वैज्ञानिकों को आम आदमी की समस्याओं के निदान के लिये युद्ध स्तर पर काम करने की जरूरत है। जैव प्रौद्योगिकी के जरिये कृषि, स्वास्थ्य, दवा, जैव ईंधन, हरित ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव लाये जा सकते हैं। डॉ़ हर्षवर्द्धन ने कहा कि देश में जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपार संभावनायें हैं और 2020 तक भारत में यह उद्योग 100 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। जैव तकनीक के क्षेत्र में देश में विश्वस्तरीय संस्थान हैं और वहां बेहतरीन काम हो रहा है। भारतीय वैज्ञानिक दुनिया में किसी से कम नहीं हैं और वे लोगों की समस्याओं का हल निकालने में पूरी तरह सक्षम हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत को हर क्षेत्र में महाशक्ति बनाना चाहते हैं और सरकार ने जो कार्यक्रम शुरू किये हैं उनका परिणाम आने वाले दिनों में दिखायी देगा लेकिन इसके लिये हर किसी को अपनी भूमिका निभानी होगी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें