आरक्षण कोई गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम नहीं, संवैधानिक अधिकार-लालू - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 28 जून 2016

आरक्षण कोई गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम नहीं, संवैधानिक अधिकार-लालू

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पटना 27 जून, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने आरक्षण को संवैधानिक अधिकार बताया और कहा कि इस संवेदनशील मुद्दे पर केन्द्र सरकार देश की बहुसंख्यक आबादी के संयम और प्रतिक्रिया को नापने -तौलने की कोशिश कर रही है। श्री यादव ने सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर लिखा , “ आरक्षण कोई गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम नहीं, एक संवैधानिक अधिकार है। हम बीमारी को खत्म करने की बात करते है और केन्द्र की मोदी सरकार कहती है कि नहीं पहले ईलाज ही बंद कर देते है । जब पीड़ा और बीमारी ही खत्म हो जाएगी तो इलाज बंद करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। 

चोरी छुपे आरक्षण हटाने की यह दक्षिणपंथी चाल शायद एक बहुत बड़े निर्णय के पहले देश की बहुसंख्यक आबादी के संयम और प्रतिक्रिया को नापने तौलने की कोशिश है। ” राजद अध्यक्ष ने आगे लिखा , “ हम आन्दोलन करते हुए राजनीति में आए हैं । हमारे लिए राजनीति आन्दोलन का दूसरा नाम है | मंडल आयोग को लागू कराने के लिए हमने संघर्ष किया, सड़कों पर उतरे लेकिन आज भी आयोग की कई सिफारिशों को अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका है । आरक्षण और मंडल आयोग के जिन भी प्रावधानों को लागू किया गया है , यदि उनपर आंच आयी तो सड़कों पर उतरने में क्षण भर भी नहीं सोचेंगे। श्री यादव ने सवालिया लहजे में कहा , “ जिन लोगों ने हज़ारों सालों तक तिरस्कार और ज़िल्लत झेला हो, उनको मिलने वाली आरक्षण से 20-25 साल में ही लोगों को इतनी तकलीफ पहुँचने लगी है । यदि कोई आरक्षण विरोधी हैं तो वो अस्पृश्यता, तिरस्कार, जातिवाद, वर्ण व्यवस्था और क्रूर अन्यायपूर्ण पारम्परिक सोच का पक्षधर हैं । ”उन्होंने किसी का नाम लिये बगैर कहा कि यहां सब दिखावे के लिए राम के अनुयायी तो हैं लेकिन शबरी के झूठे बेर खाने से परहेज करते हैं। मोदी जी अम्बेडकर जयंती और अन्य अवसरों पर भाषण तो मर्मस्पर्शी देते हैं, पर उनकी सरकार द्वारा वास्तविकता के धरातल पर लिये गये निर्णय स्पष्ट कर देते हैं कि वे जीते-जागते व्यथित बहुसंख्यकों के मर्म को समझ भी नहीं पाए हैं। सरकार की कथनी और करनी का यह अंतर बहुसंख्यक वर्ग के संयम को तोड़ देने की क्षमता रखता है।

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