बोल बम के नारों से गुँजायमान हुआ शिव नगरी हरिगिरि धाम।
अरुण कुमार,मटिहानी,बेगुसराय। देवाधिदेव महादेव का प्रिय महीना सावन की दूसरी सोमवारी में बाबा के जलाभिषेक हेतु हज़ारों हज़ार की संख्या में श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़।सिमरिया के पावन गंगा में स्नान कर जल भरकर लगभग 42 किलोमीटर की दुरी तय करते हुए बोल बम के नारों को अपनी शक्ति और भक्ति का परिचय देते हुए पहुँचे हरिगिरि धाम।जलाभिषेक के लिए पंक्तिबद्ध हज़ारों भक्त बोल बम,बोल बम का नारा लगाते रहे और बाबा पर लागातार जलाभिषेक होता रहा।भक्तों में शामिल छोटे छोटे बच्चे एवं बच्चियों के साथ बड़े बुजुर्ग और बूढ़े भी शामिल हैं इनकी उम्र 10 वर्षो से लेकर 65/70 वर्षो के होंगे। ज्ञातव्य हो की जब से बिहार से कुछ क्षेत्र अलग होते हुए अलग राज्य झारखण्ड बना और बाबा रावनेश्वर महादेव जो की शिव का ह्रदय पीठ माना जाता रहा है वो झारखण्ड में चले गए और वहाँ की व्यवस्था कुछ जलाभिषेक का बदल जाने से बाबा हरिगिरि धाम की महिमा भक्तों के समझ में आने लगी और बहुत सारे श्रद्धालु हरिगिरि धाम में जलाभिषेक के लिए जाने लगे।इसका मतलब ये नहीं की बिहार के भक्त जन देवघर,बाबा धाम नहीं जाते हैं ऐसा नहीं है वहाँ भी लाखों श्रद्धालु आज भी बाबा नगरी देवघर जाते हैं और जाते रहेंगे।यहाँ गर हजारों की संख्या में जा रहे हैं तो वहाँ लाखों की संख्या में जा रहे हैं और जाते रहेंगे।वैसे महादेव तो सर्व व्यापी हैं यत्र-तंत्र-सर्वत्र हैं।
वर्तमान न्याय व्यवस्था का मार्ग दर्शन है पंच परमेश्वर
प्रद्योत कुमार,बेगूसराय। आज प्रेमचंद जयन्ती के अवसर पर जसम बेगूसराय के सौजन्य से प्रेमचन्द लिखित पंच परमेश्वर कहानी को मंचित कर उनको याद किया गया।उनकी इस कहानी में न्याय व्यवस्था में नैतिकता की अहमियत को जिस रूप में दर्शाया गया है जो वर्तमान न्याय व्यवस्था में शायद नहीं है।न्याय सिर्फ कानून के बल पर नहीं बल्कि नैतिकता के आधार पर भी चलता है जिसकी कमी अभी के न्याय व्यवस्था में साफ़ नज़र आ रही है।अलगू चौधरी और जुम्मन मिंया के न्यायिक नैतिकता को जिस खूबी से प्रेमचंद ने पंच परमेश्वर में रखा है उस व्यवस्था को वर्तमान समय में लाने की आवश्यकता है जिससे इंकार नहीं किया जा सकता है।मंच पर सचिन कुमार,मोहित मोहन,आलोक रंजन,सुबोध कुमार,अमरेश कुमार एवं दीपक सिन्हा ने उत्कृष्ट अभिनय किया।इस नाटक को दीपक सिन्हा ने निर्देशित किया।मंचपरे मदन द्रोण,रत्नांक प्रद्योत,पंकज कुमार,अवधेश पासवान आदि सहयोग कर रहे थे।जसम की इकाई रंगनायक ने दिनकर भवन के प्रांगण में विचार गोष्टी का आयोजन एवं नाटक को मंचित किया।उक्त कार्यक्रम की शुरुआत में कवि प्रफ्फुल मिश्र एवं सीमा संगसार ने कविता पाठ किया जो वर्तमान व्यवस्था पर साहित्यिक प्रहार था।अन्य आगन्तुक में प्रदीप बिहारी,राजेंद्र राजन,बोढन सिंह एवं भगवान प्रसाद आदि उपस्थित थे।
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