दोस्ती का दायरा बढ़ाने से हो जाते हैं काम : यशवंत सिन्हा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 29 नवंबर 2016

दोस्ती का दायरा बढ़ाने से हो जाते हैं काम : यशवंत सिन्हा

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नयी दिल्ली 29 नवंबर, पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने नोटबंदी को लेकर संसद में बने गतिरोध पर आज पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर और अटल बिहारी वाजपेयी के व्यक्तित्व का हवाला देकर कहा कि यदि मित्रता का दायरा बड़ा हो तो कई समस्याएं खुद-ब-खुद हल हो जाती हैं । श्री सिन्हा ने दिग्विजय सिंह स्मृति व्याख्यान में अपने अध्यक्षीय भाषण में परोक्ष रूप से प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी की ओर इशारा करते हुए कहा,“यदि हम खुद को पार्टियों के घरौंदों में कैद करके न रहे और मित्रता का दायरा बड़ा करें तो दोस्ती की बदौलत बहुत से काम स्वत: हो जाते हैं। यदि हम मित्रता का दायरा सीमित रखेंगे तो संसद में भी इंसानियत नहीं पैदा कर पायेंगे।” श्री सिन्हा ने हालांकि अपने भाषण में श्री मोदी का नाम नहीं लिया। उन्होंने पूर्व विदेश राज्य मंत्री दिग्विजय सिंह के साथ अपने जुड़ाव को याद करते हुए कहा कि उन दोनों ने ‘चंद्रशेखर विद्यालय ’ से राजनीति की शिक्षा हासिल की थी और राजनीति में उन्हीं के मूल्यों को ग्रहण किया । श्री चंद्रशेखर और श्री वाजपेयी दोनों महान व्यक्ति थे और दोनों का मित्रता का दायरा भी बहुत बड़ा था । 

पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा ने पाकिस्तान और चीन के साथ सम्बन्धों में पूरी सावधानी बरतने को कहा। उन्होंने कहा कि पड़ोसी देशों के साथ सम्बन्ध में राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोपरि रखना होगा। पाकिस्तान के साथ सम्बन्ध में यही बात आड़े आती है। जनरल कमर जावेद बाजवा के वहां के नये सैन्य प्रमुख बनने पर भारत के साथ रिश्तों में सुधार की उम्मीदों को निराधार बताते हुए श्री सिन्हा ने कहा कि नगरोटा में आज हुए हमले से यह बात साबित हो गयी। चीन के 46 अरब डालर के आर्थिक गलियारे का जिक्र करते हुए उन्होंने सवाल किया कि क्या हम वाकई पाकिस्तान को वैश्विक रूप से अलग-थलग कर सके हैं। रूस के इसमें शामिल होने की खबरों पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ रूस के दोस्ताना सम्बन्ध के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता था। उन्होंने कहा कि भारत एक साथ सारे मोर्चे नहीं खोल सकता है। इसलिए दोस्त के साथ दुश्मन भी सावधानी से चुनना होगा। श्री सिन्हा ने कहा कि दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) देशों के साथ सम्बन्ध में भारत को स्पष्ट करना होगा कि व्यापार और आर्थिक क्षेत्र में वह मदद को तैयार है लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ किसी तरह का समझौता नहीं करेगा। 

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