लखनऊ, 14 जनवरी, समाजवादी पार्टी (सपा) के ‘साइकिल’ चुनाव निशान को लेकर चल रही ऊहापोह के बीच कांग्रेस के साथ पार्टी का चुनाव पूर्व गठबंधन अब फिलहाल कम से कम सोमवार तक के लिए विलंबित नजर आता है। दोनों पार्टियों ने उत्तर प्रदेश राज्य विधानसभा चुनाव के लिए गठबंधन को लेकर खाका तैयार कर लिया है। इसका एलान सपा के चुनाव चिन्ह को लेकर चुनाव आयोग द्वारा अपना फैसला सुनाये जाने के बाद किया जायेगा। उत्तर प्रदेश विधानसभा के इस चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन बेहतर बनाने के लिए प्रियंका गांधी बाड्रा समूचे सूबे की राजनीति में पहली बार सक्रिय रुप से दिलचस्पी ले रही हैं। सूबे में पार्टी को सत्ता मे लाने के लिए सपा के साथ गठबंधन की जमीन तैयार करने में उनकी अहम भूमिका रही। सूत्रों के अनुसार प्रियंका और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिम्पल यादव के बीच हुई बातचीत के चलते दोनो पार्टियों के बीच गठबंधन सम्भव हो सका। कहा जाता है कि राज्य विधानसभा के चुनाव में दोनों पाटियों के गठबंधन को बहुमत दिलाने की रणनीति तैयार करने में प्रियंका और डिम्पल की बडी भूमिका रहेगी। श्रीमती डिम्पल यादव और प्रियंका गांधी के चेहरे सूबे के मतदाताओं के लिये नये नहीं हैं। डिम्पल कन्नौज से सांसद हैं और प्रियंका अपनी मां श्रीमती सोनिया गांधी के रायबरेली और भाई राहुल के अमेठी संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव प्रचार अभियान की कमान संभालती रही हैं, लेकिन इस चुनाव में उनको बडी भूमिका रहने की उम्मीद है। सूत्रों का कहना है कि इन दोनों महिलाओं के बीच हुई बातचीत के बाद आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की विधानसभा के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और बहुजन समाज पार्टी(बसपा) के विरुद्ध महागठबंधन की घोषणा किये जाने की औपचारिकता ही शेष रह गयी है। गठबंधन को लेकर छोटी बडी हर चीज तय हो चुकी है।
गठबंधन के लिए तैयार फार्मूले के तहत सपा गठबंधन में शामिल पार्टियों के लिए कुल 112 सीटें छोड़ेगी। कांग्रेस को 90 सीटें मिलेंगी जबकि शेष सीटें रालोद तथा गठबंधन में शामिल अन्य पार्टियों के हिस्से में जायेगी।
इस बीच, सपा में मची घमासान के बीच मुलायम सिंह यादव और अखिलेश खेमे के समर्थकों की निगाहें पार्टी के “साइकिल” चुनाव निशान को लेकर निर्वाचन आयोग के फैसले पर टिकी हैं।
उधर, पार्टी में चल रही कलह से बेजार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आगामी चुनाव के लिए प्रचार अभियान, घोषणापत्र तथा अन्य रणनीति तैयार करने में जुटे हैं।
कांग्रेस भी अपने सभी वर्तमान विधायकों की सीटों को छोड़कर सभी 403 विधानसभा क्षेत्रों के लिए दो, तीन, और पांच उम्मीदवारों तक अपना पैनल तैयार करने की औपचारिकता पूरी कर चुकी है। दोनो पार्टियां चुनाव में भाजपा को परास्त करने के लिए किसी भी कीमत पर मुस्लिम वोटों का विभाजन नहीं होने देना चाहती है।
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