विधायकों के निलंबन पर पुनर्विचार की मांग लेकर सदन में हंगाम - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

शुक्रवार, 20 जनवरी 2017

विधायकों के निलंबन पर पुनर्विचार की मांग लेकर सदन में हंगाम

jharkhand-assembly-fight-suspended-members
रांची 20 जनवरी, झारखंड विधानसभा में आज झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और कांग्रेस के चार विधायकों के निलंबन पर पुनर्विचार के साथ ही छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी) एवं संतालपरगना काश्तकारी अधिनियम (एसपीटी) में संशोधन को वापस लेने की मांग लेकर जमकर हंगामा हुआ, जिसके कारण सदन की कार्यवाही दिनभर बाधित रही। विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव के आज सदन में आसन ग्रहण करने के बाद ही झामुमो-कांग्रेस के चार निलंबित विधायकों का निलंबन वापसी को लेकर सकारात्मक चर्चा शुरु हुई। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने कहा कि निश्चित रूप से आसन की गरिमा को बनाये रखना जरुरी है। उन्होंने बताया कि 23 नवंबर 2016 को सीएनटी-एसपीटी अधिनियम में संशोधन को लेकर जनप्रतिनिधियों द्वारा असंसदीय तरीके से बात रखी गयी लेकिन बहुत सारे सत्र में ऐसी घटनाएं घटी है जब सदन में उत्तेजना का माहौल उत्पन्न हुआ है। उन घटनाओं को सदन और आसन ने गंभीरतापूर्वक लिया और सदन की गरिमा को ध्यान में रखकर समाधान का रास्ता भी निकाला। उन्होंने कहा कि सीएनटी.एसपीटी एक्ट में संशोधन का मसला आज भी उतना ही ज्वलंत है कई विधायक पहली बार चुन कर आये हैं इसलिए निलंबन के फैसले पर पुनर्विचार होना चाहिए और विधायिका तथा सदन की गरिमा को बरकरार रखा जाना चाहिए। झारखंड विकास मोर्चा विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने कहा कि सीएनटी-एसपीटी अधिनियम में संशोधन के मुद्दे को लेकर सदन में अपनी बात रख रहे कई विपक्षी सदस्य आक्रोशित थे। उन्होंने कहा कि सदन में अपनी बातों को रखने के लिए लक्ष्मण रेखा को पार नहीं करना चाहिए। आसन की मर्यादा का ख्याल रखा जाना चाहिए लेकिन विधानसभा की सदाचार समिति की अनुशंसा पर हुई कार्रवाई कठोर है इस पर पुनर्विचार करने की जरुरत है। उन्होंने एक पूर्व का उदाहरण देते हुए बताया कि उत्तेजित होकर एक बार वे भी सदन के अंदर आये थे और एक दिन के लिए उनका भी निलंबन हुआ था लेकिन उन्होंने अपनी गलती स्वीकार की और तुरंत आसन द्वारा पुनर्विचार हुआ तथा निलंबन समाप्त हुआ। उन्होंने कहा कि आसन पक्ष-विपक्ष को साथ लेकर चलने के स्वस्थ लोक परंपरा का निर्वहन करता है इसलिए दंड के प्रावधान पर पुनर्विचार होना चाहिए। 

कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने भी विधायकों के निलंबन पर पुनर्विचार की वकालत करते हुए कहा कि पहले भी विधानसभा के अंदर विरोध होता रहा है इस तरह का बर्ताव सदन में अनेकों पर देखा गया है लेकिन सदाचार समिति के प्रतिवेदन पर चार विधायकों को निलंबित कर दिया गया है, जिस पर पुनर्विचार की जरुरत है। सत्तारूढ़ दल के मुख्य सचेतक राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि यह विधायी संस्था राज्य की सवा तीन करोड़ जनता का प्रतिनिधित्व करती है और यह लोगों के विश्वास का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि निर्वाचित प्रतिनिधियों के भी कई दायित्व हैं। यह सिर्फ विधानसभा का सचिवालय नहीं है अपितु मंदिर है और इसकी गरिमा को अक्षुण्य बनाये रखने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि सदन की गरिमा को बनाये रखने के लिए मर्यादा का पालन सभी की जिम्मेवारी है। राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि यदि कोई सदस्य हृदय से पश्चाताप करने को तैयार है तो क्षमा करना कर्त्तव्य बनता है। राज्य के संसदीय कार्यमंत्री सरयू राय ने कहा कि यह एक गंभीर विषय है। ऐसे निर्णय से किसी को प्रसन्नता नहीं होती है। उन्होंने कहा कि विधानसभा की कार्य संचालन नियमावली के तहत सदस्यों को अपनी बातें रखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नीतियों के खिलाफ बातें रखने के वक्त कई बार उत्तेजना का माहौल बन जाता है और कई बार बात रखने वाले सदस्यों का विवेक लुप्त हो जाता हैए। कई बार मुद्दे उठते हैं और सदस्य अनजाने में अपनी बातों पर जोर देने की कोशिश में यह भूल जाते हैं कि उनका आचरण कैसा है। उन्होंने निलंबन वापसी के मसले पर अपनी बात रखते हुए कहा कि विधानसभा अध्यक्ष अपने कार्यालय कक्ष में सदन के नेता और नेता प्रतिपक्ष से विचार-विमर्श कर फैसला लें। 

कोई टिप्पणी नहीं: