संगम में 70 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने मकर संक्रांति पर लगाई आस्था की डुबकी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 14 जनवरी 2017

संगम में 70 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने मकर संक्रांति पर लगाई आस्था की डुबकी

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इलाहाबाद, 14 जनवरी, तीर्थराज प्रयाग में गंगा, यमुना एवं अदृश्य सरस्वती के संगम तट पर कडाके की ठंड और शीतलहर के बीच 70 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने स्नान किया। मेले में कल्पवास करने और संगम में आस्था की डुबकी लगाने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए संगम की विस्तीर्ण रेती पर बसाया गया तंबुओं का अस्थाई शहर इन दिनों गहमागहमी से भरपूर है । माघ मेले के दूसरे प्रमुख स्नान के लिए कडाके की ठंड और शीतलहरी के बीच तड़के चार बजे से सन्यासियों, दिव्यांगों और कल्पवासियों ने ‘‘हर हर गंगे, ऊं नम: शिवाय, श्री राम जय राम जय जय राम” उच्चारण करते हुए संगम में स्नान शुरू कर किया। भारतीय संस्कृति और आध्यात्म से प्रभावित कई विदेशी श्रद्धालुओं ने भी इस दौरान ‘पुण्य लाभ’ के लिए संगम स्नान करते दिखायी दिये। संगम तट पर तडके श्रद्धालुओं की स्नान करने की गति धीमी थी लेकिन जैसे जैसे धूप में चटखपन बढता गया स्नान करने वालों की भीड घाट पर बढती जा रही है। प्रशासन ने मकर संक्रांति के अवसर पर 65 लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान लगाया था, लेकिन आज 70 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान किया और यह क्रम अभी भी जारी है । मेला सूत्रों ने बताया कि देश एवं प्रदेश के कोने कोने से मकर संक्रांति स्नान के लिए संगम तट पर स्नान करने अपनों के साथ पहुंचे श्रद्धालुओं में छह बच्चे समेत 131 लोग एक दूसरे से बिछड गये थे। मेला क्षेत्र में चाक चौबन्द सुरक्षा व्यवस्था के तहत जवानों ने उन्हें खोया -पाया केन्द्रों पर पहुंचाया। केन्द्र से लाउडस्पीकर द्वारा उद्घोष कर बिछडों को उनके परिजनों से मिलवाया। सूत्रों ने बताया कि मेला क्षेत्र अकेले स्नान करने आये एक व्यक्ति की ठंड लगने से हालत बिगड गयी। मेला प्रशासन ने उसे यहां स्थापित अस्थायी अस्पताल में भर्ती करा दिया । मेले में आये वाराणसी के वैदिक शोध एवं सांसकृतिक प्रतिष्ठान कर्मकांड प्रशिक्षण केन्द्र के आचार्य डा आत्मराम गौतम ने बताया कि इस बार मकर संक्रांति पर दुर्लभ सर्वार्थ अमृत सिद्ध योग है। मकर संक्रांति का शुभ समय एक बजकर 48 मिनट से शुरू होकर 13 घंटे तक रहेगा। इस समय सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर उत्तरायण हो रहा है। इस बेला में तीर्थराज प्रयाग में गंगा,यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में डुबकी लगाने से श्रद्धालुओं को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। उन्होंने बताया कि मकर संक्रांति का मुहूर्त समय से छह घंटे पहले इसका पुण्यकाल शुरू हो जाता है। सूर्य के उत्तरायण में जाने पर धार्मिक अनुष्ठान, शादी विवाह एवं अन्य शुभ काम शुरू किये जाते हैं। सूर्य के उत्तरायण की महात्म को बताते हुए श्री गौतम ने बताया कि महाभारत काल में वाणों से विधे सरशैय्या पर पडे भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होने के पश्चात ही अपने शरीर का त्याग किया था। 

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