नीतीश सरकार ने राज्य के लोगों से की वादाखिलाफी : भाजपा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 22 जनवरी 2017

नीतीश सरकार ने राज्य के लोगों से की वादाखिलाफी : भाजपा

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सीवान 22 जनवरी, बिहार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने नीतीश सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुये आज सभी बेरोजगारों के लिए प्रतिमाह एक हजार रुपये भत्ता और अनुसूचति जाति, आदिवासी एवं पिछड़े वर्ग के मैट्रिक पास छात्रों के लिए छात्रवृत्ति पुन: शुरू करने की मांग की। भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की यहां हुई बैठक में पारित राजनीतिक प्रस्ताव में राज्य सरकार से विधानसभा चुनाव पूर्व किये गये वादे के अनुरूप सभी बेरोजगारों के लिए प्रतिमाह एक हजार रुपये भत्ता और अनुसूचति जाति, आदिवासी एवं पिछड़े वर्ग के मैट्रिक पास छात्रों के लिए छात्रवृत्ति पुन: शुरू करने की मांग की। साथ ही प्रदेशवासियों को विकासहीनता और अपराध के गर्त में धकेलने और सात निश्चय के नाम पर धोखा देने के खिलाफ संघर्ष करने का संकल्प लिया गया। प्रस्ताव में कहा गया है कि 14 माह पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनी सरकार ने दिशाविहीन होने के कारण प्रदेश का बंटाधार कर दिया है। तीन सत्त केंद्रों (नीतीश कुमार, लालू यादव और कांग्रेस) से संचालित महागठबंधन सरकार अपराध, अहंकार और अराजकता की भेंट चढ़ गई। राज्य की जनता ने जिन अपेक्षाओं के साथ महागठबंधन को सत्ता सौंपी थी उसकी कसौटी पर वह ठगा हुआ महसूस कर रही है। 

प्रस्ताव में राज्य सरकार पर अपराधियों को संरक्षण देने का आरोप लगाते हुये कहा गया है कि सत्ता संरक्षित अपराधियों ने राज्य में दहशत का माहौल पैदा कर दिया है। पुलिस प्रशासन का मनोबल गिरा है। व्यवसायी, डॉक्टर, इंजीनियर, किसान, मजदूर, नौजवान समेत आम लोग भयाक्रांत हैं लेकिन मुख्यमंत्री और उनके लोग ‘कानून अपना काम करेगा’ के बयान से फुसलाकर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रहे हैं। नीतीश सरकार में कुख्यात पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन, राजवल्लभ यादव और गोपाल मंडल जैसे लोगों का मानोबल बढ़ने से बिहार शर्मसार हुआ है। भाजपा के संघर्ष के कारण ही ये कुख्यात आज जेल में बंद हैं। ये बात तो सात निश्चय की करते हैं लेकिन हत्या, अपहरण, चोरी, डकैती, बलात्कार, भ्रष्टाचार और सामाजिक विद्वेष ही इनके सात निश्चय हैं। विकास का दंभ भरने वाली नीतीश सरकार में राज्य विकासहीनता की गर्त में समाता जा रहा है। मौजूदा सरकार में टोला सेवकों का वेतन भुगतान छह महीने से नहीं हुआ है। अनुसूचित जाति, आदिवासी, पिछड़ा वर्ग के छात्रों को मैट्रिक के बाद मिलने वाली छात्रवृत्ति योजना बंद कर दी गई। राज्य की पूर्व राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार में दुरूस्त हुआ स्वास्थ्य ढांचा पूरी तरह से चरमरा गया है। पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (पीएमसीएच) से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) तक बदहाल है। भाजपा ने कहा कि बिहार सरकार द्वारा कराये गये सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण में हुई भारी गड़बड़ी के कारण गरीबों के लिए केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ सही लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है। प्रस्ताव में कहा गया है कि जिस सात निश्चय को मुख्यमंत्री अपना ड्रीम प्लान बता रहे हैं और उसका ढिंढोरा पीट रहे हैं उसमें कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा और कानून व्यवस्था जैसे अति महत्वपूर्ण विषय शामिल नहीं हैं। इन विषयों को प्राथमिकता में रखे बगैर राज्य का विकास कैसे होगा। राजग के शासनकाल में कृषि कैबिनेट को भंग कर दिया गया। श्री कुमार का सात निश्चय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आम जनता के जीवन स्तर को उठाने के संकल्प को अपने खाते में जबरन डालने की कोशिश है। केंद्र की योजनाओं का नाम बदलकर मुख्यमंत्री राज्य की जनता को भ्रमजाल में डालने का प्रयास कर रहे हैं। 

सात निश्चय में से एक आर्थिक हल युवाओं को बल के तहत मुख्यमंत्री ने वादा किया था कि सभी बेरोजगार युवकों को रोजगार तलाशने के लिए दो वर्ष तक प्रतिमाह एक हजार रुपये भत्ता दिया जाएगा। लेकिन वह अपने वादे से मुकरते हुये कह रहे हैं कि यह भत्ता केवल इंटर पास कर पढ़ाई छोड़ देने वाले युवाओं को ही दिया जाएगा। ऐसे में सवाल उठता है कि राज्य सरकार की नजर में इंटर से आगे पढ़ाई करना गुनाह है। स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना केंद्र सरकार की बैंकों द्वारा दी जाने वाली शिक्षा ऋण योजना है, जिसके तहत चार लाख रुपये तक का ऋण बिना गारंटी के दिया जाता है। श्री कुमार ने बड़ी चालाकी से इस योजना का नाम बदलकर स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना कर दिया है। बिहार के युवाओं के साथ इससे बड़ा धोखा और क्या हो सकता है। प्रधानमंत्री ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत पूरे देश को खुले में शौच से मुक्त करने की घोषणा की थी। नीतीश सरकार ने इस योजना का नाम बदलकर लोहिया स्वच्छता अभियान कर दिया और इसको अपने सात निश्चयों में शामिल कर लिया। इसके तहत राज्य सरकार ने अगले चार वर्ष में 8343 पंचायतों को शौचमुक्त करने का लक्ष्य रखा है। लेकिन एक वर्ष बीत जाने के बाद भी इसमें से केवल 152 पंचायत ही शौचमुक्त हो पाए हैं। इसी तरह हर घर तक पक्की गली-नाली योजना के तहत एक लाख 14 हजार 733 वार्ड के घरों में पक्की गली-नाली के निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया लेकिन अभी तक पूरे राज्य में केवल 52 वार्डों में ही यह काम शुरू हो पाया है। टोलो को जोड़ने के लिए 12500 किलोमीटर सड़क निर्माण का निर्णय राज्य सरकार ने लिया है। इसके लिए जारी वर्ष में 100 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया लेकिन अभी तक एक किलोमीटर भी सड़क नहीं बन पाई है। राज्य सरकार का हर घर नल का जल जैसा निश्चय भी जनता के साथ भारी धोखा है। मुख्यमंत्री चापाकल योजना को बंद कर दिया गया। चौदहवें वित्त आयोग में केंद्र सरकार से नगर निकाय और पंचायतों को पेयजल के लिए पैसा मिल रहा है। मुख्यमंत्री ने इसका नाम बदलकर पेयजल निश्चय योजना कर दिया है। हर घर बिजली पहुंचाने का श्री कुमार का निश्चय प्रधानमंत्री के ग्रामीण विद्युतीकरण अभियान को जबरदस्ती अपने खाते में शामिल करना है। 

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