जल प्रबंधन को बनाना होगा जन आंदोलन : उमा भारती - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 20 जनवरी 2017

जल प्रबंधन को बनाना होगा जन आंदोलन : उमा भारती

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रायपुर 20 जनवरी, केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने कहा कि देश में अच्छी खेती और सिंचाई सुविधाओं के विकास के लिये जल प्रबंधन को जन आंदोलन बनाना होगा। कृषि आधारित अर्थव्यवस्था वाले हमारे देश में विकास के लिये पानी का बेहतर प्रबंधन जरूरी है। सुश्री भारती ने आज यहां खाद्य और आजीविका सुरक्षा के लिए जल और भूमि प्रबंधन विषय पर आयोजित तीन दिवसीय प्रथम एशियन सम्मेलन का शुभारंभ करने के बाद अपने सम्बोधन में यह विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हमें कम पानी में अधिक पैदावार लेने की तकनीक इजरायल से रखनी चाहिये। इसके लिये इजरायल के सहयोग से केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय द्वारा पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर देश में तीन पायलट प्रोजेक्ट मराठवाड़ा, बुंदेलखंड और ओडिशा के कालाहांडी क्षेत्र के बलांगीर, नुआपाड़ा, कोरापुट जिलों में शुरू किया गया है। उन्होने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों के पानी और सिंचाई की जरूरतों पूरा करने के लिये नदियों को जोड़ने की परियोजना पर कार्य किया जा रहा है।देश में केन और बेतवा नदी जोड़ने की परियोजना पहली परियोजना है।उन्होंने कहा कि महानदी-गोदावरी नदियों को जोड़ने की प्रस्तावित परियोजना देश के लिये महत्वपूर्ण साबित होगी। इसके लिए विचार-विमर्श चल रहा है। उन्होंने कहा कि गंगा नदी की सफाई का कार्य तेजी से चल रहा है। आने वाले 10 वर्षों में गंगा पूर्णतः स्वच्छ हो जाएगी। उन्होने कहा कि देश की पहली हरित क्रांति के दौरान केवल खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान दिया गया।लेकिन भूमि एवं जल प्रबंधन पर ध्यान नहीं देने के कारण पंजाब एवं हरियाणा जैसे राज्यों में भूमि की उर्वरा शक्ति समाप्त हो गई। 

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह ने कहा कि कम पानी में अधिक पैदावार लेने की वैज्ञानिक तकनीक को किसानों तक पहुंचाने की जरूरत है। उन्होने कहा कि छत्तीसगढ़ में देश की चावल की जरूरत को पूरा करने की ताकत है। इसके लिए हमें बेहतर भूमि और जल प्रबंधन के साथ वैज्ञानिक तकनीक से खेती करनी होगी। उन्होने कहा कि छत्तीसगढ़ की मिट्टी, पानी एवं जलवायु अच्छी है। इसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इस्तेमाल करने की जरूरत है। उन्होने कहा कि छत्तीसगढ़ देश का एक मात्र राज्य है जहां हमारे पूर्वजों ने सैकड़ों साल पहले जल प्रबंधन पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया। और हर गांव में बड़ी संख्या में तालाब और डबरी खुदवाए। धान के खेती के लिये पानी की जरूरत को पूरा करने के लिये किसान बंधिया बनाते थे। उन्होने कहा कि छत्तीसगढ़ की खेती में इतना सामर्थ्य है कि अगर वैज्ञानिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाए तो देश के खाद्यान्न के लिये चावल की जरूरतों को छत्तीसगढ़ पूरा कर सकता है। छत्तीसगढ़ के कृषि एवं जल संसाधन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि आज की सबसे बड़ी आवश्यकता पानी बचाने की है। पानी पूरी प्रकृति को संतुलित करता है। पानी और भूमि के बेहतर प्रबंधन से ही खुशहाली आएगी। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ.एस.के.पाटिल ने स्वागत भाषण दिया। उद्घाटन सत्र में विषय-विशेषज्ञ प्रोफेसर डॉ. ब्रजगोपाल ने सम्मेलन के उद्देश्यों और महत्व पर प्रकाश डाला। इस सम्मेलन में जल एवं भूमि प्रबंधन के लिए बेहतर रणनीति और नई तकनीकों को चिन्हांकित किया जाएगा, जल एवं भूमि प्रबंधन के लिए नीति निर्धारकों, स्वयंसेवी संगठनों, वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और शिक्षाविदों के अनुभव साझा किया जाएंगे तथा भूमि और जल प्रबंधन के लिए विकसित कम्प्यूटर साफ्टवेयर और हार्डवेयर प्रदर्शित किए जाएंगे। 

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