पटना 27 फरवरी, बिहार में शराबबंदी लागू होने के बाद कर संग्रह में कमी आने की संभावनाओं के बीच आज विधानसभा में नये वित्त वर्ष के लिए पेश बजट में कुल कर संगह में 4103.33 करोड़ रुपये का इजाफा होने के अनुमान ने स्पष्ट कर दिया कि राज्य के विकास की तेज रफ्तार शराब से प्राप्त होने वाले कर राजस्व के बिना भी कायम रह सकती है। वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी की ओर से विधानसभा में पेश बजट में वित्त वर्ष 2017-18 में कुल 32000 करोड़ रुपये कर संग्रह होने का अनुमान है, जो वित्त वर्ष 2016-17 के 27896.67 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान से 4103.33 करोड़ रुपये (14.71 प्रतिशत) और वित्त वर्ष 2015-16 के कुल संग्रह 25449.18 करोड़ रुपये के मुकाबले 6550.82 करोड़ रुपये (25.74 प्रतिशत) अधिक है। वित्त वर्ष 2017-18 में वाणिज्य कर संग्रह में सबसे अधिक 13.64 प्रतिशत की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है और इसके चालू वित्त वर्ष के 22000 करोड़ रुपये के मुकाबले बढ़कर 25000 करोड़ रुपये पर पहुंचने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2015-16 से तुलना करें तो इसमें 17122.49 करोड़ रुपये के मुकाबले 46 प्रतिशत की अप्रत्याशित बढ़ोतरी हो सकती है।
श्री सिद्दीकी ने बजट पेश करने के बाद आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राज्य उत्पाद शुल्क से वित्त वर्ष 2015-16 में कुल 3141.75 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ था। वित्त वर्ष 2016-17 के बजट में 2100 करोड़ रुपये कर संग्रह का अनुमान था लेकिन अप्रैल 2016 में पूर्ण शराबबंदी लागू होने के कारण इसे बाद में संशोधित कर 46.40 करोड़ रुपये कर दिया गया। उन्होंने कहा कि शराबबंदी से सरकार के कर संग्रह पर कोई विपरीत असर नहीं पड़ा है बल्कि शराब नहीं पीने से हुई बचत की बदौलत अन्य क्षेत्रों में बढ़ी मांग के कारण कुल कर संग्रह में जबरदस्त बढ़ोतरी होने का अनुमान है। बजट में नये वित्त वर्ष के लिए स्टाम्प एवं निबंधन शुल्क से 4600 करोड़ रुपये राजस्व अर्जित करने का अनुमान है, जो चालू वित्त वर्ष के संशोधित 3850 करोड़ के मुकाबले 19.48 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2015-16 के 3408.57 करोड़ रुपये की तुलना में 34.95 प्रतिशत अधिक है। इसी तरह परिवहन कर में भी 28.57 प्रतिशत वृद्धि होने का अनुमान है और यह चालू वित्त वर्ष के 1400 करोड़ रुपये से बढ़कर 1800 करोड़ रुपये पर पहुंच सकता है। इसमें वित्त वर्ष 2015-16 के 1081.22 करोड़ रुपये से 66.48 प्रतिशत की बढ़ोतरी की उम्मीद है। बजट में हालांकि भूराजस्व के कर संग्रह का अनुमान उत्साहजनक नहीं है। वित्त वर्ष 2017-18 में भूराजस्व से 600 करोड़ रुपये प्राप्त होने का अनुमान है जो चालू वित्त वर्ष के 600 करोड़ रुपये के बराबर है। वहीं, वित्त वर्ष 2015-16 के 695.15 करोड़ रुपये की तुलना में 13.69 प्रतिशत कम है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें