धनबाद का सिंह मेंशन हत्याओं के भंवर में - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 16 अप्रैल 2017

धनबाद का सिंह मेंशन हत्याओं के भंवर में

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धनबाद 16 अप्रैल, झारखंड में धनबाद के पूर्व उप महापौर नीरज सिंह हत्याकांड के बाद एक बार फिर चर्चा में आया राजनीतिक रसूख रखने वाला 'सिंह मेंशन'आज पूरी तरह से हत्याओं के भंवर में फंस चुका है।  झारखंड से लेकर उत्तर प्रदेश के बलिया तक हुकूमत चलाने वाले झरिया के पूर्व विधायक एवं कोयला नगरी में दबंगई का पर्याय कहे जने वाले कर्मचारी यूनियन जनता मजदूर संघ के संस्थापक सूर्यदेव सिंह के आवास सिंह मेंशन के सभी प्रमुख सदस्य आज किसी न किसी दिग्गज की हत्या के आरोप में या तो फरार हैं या सलाखों के पीछे हैं। राजनीतिक दबदबे का पर्याय कहे जाने वाले सिंह मेंशन परिवार पर कोयले की काली कमाई, वर्चस्व की लड़ाई, मजदूर राजनीति को लेकर हुई हत्याओं और अभी हाल ही में पूर्व उप महापौर, कांग्रेस नेता एवं इसी परिवार के सदस्य नीरज सिंह की हत्या का शनि पूरी तरह से हावी हो चुका है। साठ के दशक में बलिया से धनबाद आए सूर्यदेव सिंह ने बड़ी तेजी से कोयलांचल में न सिर्फ अपना पैर जमाया बल्कि उनका आशियाना सिंह मेंशन धनबाद की पहचान बन गया। विधायक जी के नाम से प्रख्यात सूर्यदेव सिंह वर्ष 1977 में पहली बार झरिया विधानसभा क्षेत्र के चुनावी अखाड़े में उतरे और विजयी भी रहे। वर्ष 1991 में हृदय गति रुक जाने से उनका देहांत हो गया लेकिन तब तक वह लगातार विधायक रहे। सूर्यदेव सिंह के निधन के बाद झरिया विधानसभा सीट सिंह मेंशन के हाथ से निकल चुका था लेकिन वर्ष 2000 में श्री सिंह के छोटे भाई बच्चा सिंह ने जीत हासिल कर पुन: झरिया सीट पर सिंह मेंशन का कब्जा कामय किया। इसके बाद सूर्यदेव सिंह की पत्नी कुंती सिंह इसी सीट से दो बार विधायक रहीं फिर उनका बेटा संजीव सिंह वर्ष 2014 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की टिकट पर चुनाव जीतकर झरिया सीट पर सिंह मेंशन का दबदबा बरकरार रखने में कामयाब हुआ। बलिया से भी सूर्यदेव सिंह के छोटे भाई विक्रमा सिंह विधायक रहे तो रामाधीर सिंह वर्ष 2006 में बलिया जिला परिषद के अध्यक्ष चुने गए। रामाधीर की बहु अभी भी बलिया से जिला परिषद की सदस्य हैं। मजदूर राजनीति में गहरी पैठ रखने वाला संजीव सिंह वर्ष 2011 में कोल इंडिया की स्टैंडिंग कमिटी का सबसे कम उम्र का सदस्य बना।

             
इस दौरान राजनीति की बुलंदियों पर चढ़ता सिंह मेंशन गैंगवार की आंच में भी झुलसता रहा है। कभी मजदूर नेता बी. पी. सिन्हा की हत्या तो कभी एस. के. राय और एस. पी. राय के साथ भिड़ंत। दो सगे भाइयों सकलदेव सिंह और विनोद सिंह की दिनदहाड़े नृशंस हत्या को लेकर सिंह मेंशन विवादों में रहा है। कोयला व्यवसायी संजय सिंह, प्रमोद सिंह, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता राजू यादव, कांग्रेस नेता और कोयला टाइकून सुरेश सिंह और अब पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह की हत्या का दंश भी सिंह मेंशन झेल रहा है। यह सभी हाई प्रोफाइल हत्याएं सार्वजनिक स्थलों पर की गई। कोयला कारोबार एवं राजनीति में प्रतिद्वंद्वियों का सफाया करने के आरोपों से घिरा सिंह मेंशन आज अपने ही परिवार के सदस्य नीरज सिंह की हत्या के भंवर में फंस गया है। धनबाद के कतरास क्षेत्र में वर्ष 1998 में कोयला व्यापारी विनोद सिंह और एक साल बाद वर्ष 1999 में विनोद सिंह के बड़े भाई सकलदेव सिंह की भी दिनदहाड़े हीरक रोड पर हत्या कर दी गयी थी। इन हत्याओं में सिंह मेंशन के सदस्यों का नाम आया था। वर्तमान में सूर्यदेव सिंह के छोटे भाई रामाधीर सिंह विनोद हत्याकांड मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे हैं। सरायढेला में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) नेता मणीन्द्र मण्डल की हत्या से सुर्खियो में आये सूर्यदेव सिंह के बड़े बेटे राजीव रंजन सिंह वर्ष 2003 में प्रमोद हत्याकांड के बाद से लापता है। ब्रजेश सिंह पर राजीव की हत्या करा देने का आरोप है।

कोयला कारोबार से लेकर झरिया विधानसभा चुनाव तक में सिंह मेंशन को कड़ी टक्कर देने वाले सुरेश सिंह की हत्या वर्ष 2011 में एक शादी समारोह के दौरान कर दी गई। सिंह मेंशन के राजनीतिक दबदबे का पता सुरेश हत्याकांड से चल जाता है कि हत्या के बाद से फरार चल रहे रमाधार सिंह के पुत्र और हत्या के मुख्य अभियुक्त शशि सिंह की शादी भी हुई, वह पिता भी बना और उसकी पत्नी बलिया में जिला परिषद की सदस्य भी चुनी गई लेकिन शशि सिंह की आज तक गिरफ्तारी नहीं हो सकी और अब अदालत ने भी उसे भगोड़ा घोषित कर दिया। हत्याओं का यह सिलसिला थमा नहीं। सरायढेला में 21 मार्च 2017 को नीरज सिंह सहित चार लोगों की नृशंस हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड का साजिश रचने के आरोप में विधायक संजीव सिंह 11 अप्रैल को जेल भेज दिए गए। इस हत्याकांड में संजीव सिंह का भाई मनीष भी नामजद अभियुक्त है। इस हत्याकांड के पीछे पिछली विधान सभा चुनाव में नीरज के अपने चचेरे भाई संजीव सिंह के खिलाफ कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ने तथा सिंह मेंशन की ट्रेड यूनियन जनता मजदूर संघ पर कब्जा करने को लेकर नीरज और संजीव के बीच चल रहे विवाद को प्रमुख कारण माना जा रहा है। ताकतवर सिंह मेंशन के पुरुष सदस्यों पर खून के छींटे पड़ चुके हैं। विधायक, मेयर, जिला परिषद, अध्यक्ष और नगर निगम सदस्य देने वाले इस घराने के लोग हत्या जैसे संगीन जुर्म में कानून के चंगुल में जकड़े हुए हैं।

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