ग्राफ को हराना जीवन का सबसे बड़ा क्षण : सांचेज विकारियो - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 17 अप्रैल 2017

ग्राफ को हराना जीवन का सबसे बड़ा क्षण : सांचेज विकारियो

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नयी दिल्ली, 17 अप्रैल, स्पेन की पूर्व दिग्गज महिला टेनिस खिलाड़ी अरांशा सांचेज का मानना है कि उनके जीवन का सबसे बड़ा पल 1989 में तत्कालीन नंबर एक खिलाड़ी जर्मनी की स्टेफी ग्राफ को हराना था। अरांशा सांचेज रोंदेवू जूनियर फ्रेंच ओपन वाइल्ड कार्ड टूर्नामेंट की घोषणा के अवसर पर सोमवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में मौजूद थीं। अरांशा पहली बार भारत आयी हैं और उन्होंने पहली भारत यात्रा को अपने लिये एक बड़ा सम्मान बताया। तीन फ्रेंच ओपन सहित चार ग्रैंड स्लेम खिताब जीतने वाली अरांशा ने अपने करियर के बारे में बातचीत करते हुये प्रेस कांफ्रेंस में उपस्थित जूनियर टेनिस खिलाड़ियों से कहा" मैंने चार वर्ष की उम्र में टेनिस खेलना शुरू किया था और 14 साल में मैं प्रोफेशनल बन गयी थी। मैंने 1989 में अपना पहला फ्रेंच ओपन खिताब जीता और 1994 में एकल और युगल दोनों में ही दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी बन गयीं।" उन्होंने कहा" स्टेफी ग्राफ को हराकर 1989 में पहली बार फ्रेंच ओपन जीतना मेरे करियर का सबसे बड़ा क्षण था। ग्राफ उस समय ढाई साल से अपराजित चल रही थीं। उन्होंने 1988 में चारों ग्रैंड स्लेम और ओलंपिक स्वर्ण सहित गोल्डन ग्रैंड स्लेम बनाया था। ऐसी खिलाड़ी के खिलाफ जीतना मेरे लिये बहुत बड़ी बात है। उस समय की नंबर एक खिलाड़ी को हराने से मुझे यह मनोबल मिला था कि मैं ग्रैंड स्लेम भी जीत सकती हूं।"


स्पेनिश खिलाड़ी ने कहा" मैं जब फाइनल में उतर रही थी तो मैं कुछ नर्वस थी। मैं नर्वस इसलिये नहीं थी कि मैं ग्राफ से खेल रही थी बल्कि इसलिये थी कि मैं स्पेन की पहली महिला खिलाड़ी थी जो फ्रेंच ओपन का फाइनल खेल रही थी। मेरे पास गंवाने के लिये कुछ नहीं था।" फाइनल को याद करते हुये अरांशा ने कहा" मैंने पहला सेट 7-6 से जीता लेकिन दूसरा सेट स्टेफी ने 6-3 से जीत लिया। निर्णायक सेट में 5-5 की बराबरी के बाद मैंने स्टेफी की सर्विस तोड़ी और फिर 7-5 से सेट जीतकर खिताब अपने नाम कर लिया। साढ़े तीन घंटे में मैच जीतने के बाद मैं लाल बजरी पर लोट पोट हो गयी। मैं उस समय बच्चों की तरह रो रही थी। ट्राफी मेरे हाथ में थी और मैं यकीन नहीं कर पा रही थी कि मैंने ऐसा किया है।" अरांशा ने कहा" जब मैं फाइनल खेलने जा रही थी तो एक पत्रकार ने मुझसे पूछा था कि आप कितने गेम जीतेंगीं। मैच के बाद प्रेस कांफ्रेंस में मैंने उस पत्रकार से कहा कि अब आप क्या कहेंगे, तो उस पत्रकार ने मुझसे माफी मांग ली।" चार ओलंपिक पदक जीतने वाली अरांशा से ग्रैंड स्लेम और ओलंपिक पदक के बीच अंतर के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा" ग्रैंड स्लेम हर साल होता है लेकिन ओलंपिक चार साल बाद आता है। मैंने बार्सिलोना ओलंपिक में अपनी मेजबानी में रजत और कांस्य जीता था। तब मुझपर काफी दबाव था कि मैं पदक जीतूं क्योंकि ओलंपिक हमारे देश में हो रहा था। यदि आप ओलंपिक में चूकते हें तो फिर आपको चार वर्ष इंतजार करना पड़ता है। मैंने 1992 और 1996 में भी दो पदक जीते थे।"


अरांशा ने यहां मौजूद युवा टेनिस खिलाड़ियों से कहा कि आप भी ऐसे लक्ष्य हासिल कर सकते हैं और मेरी आपको यही सलाह है कि कभी हिम्मत मत हारो और संघर्ष करो। यहां जीतने पर आपको फ्रेंच ओपन में खेलने का मौका मिलेगा। फ्रेंच ओपन जूनियर वाइल्ड कार्ड प्रतियोगिता का मास्टर्स यहां 18 और 19 अप्रैल को आर के खन्ना स्टेडियम में खेला जाएगा जिसमें आठ लड़के अौर आठ लड़कियां हिस्सा लेंगे। इसके क्वालिफाइंग चरण कोलकाता और पुणे में हुये थे और इसका अंतिम चरण दिल्ली में हो रहा है। टूर्नामेंट का यह तीसरा सस्करण है। यहां विजेताओं को पेरिस में होने वाले जूनियर फ्रेंच ओपन के वाइल्ड कार्ड के प्लेआफ में खेलने का मौका मिलेगा जहां वे अमेरिका , जापान, चीन , ब्राजील और दक्षिण कोरिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों से मुकाबला करेंगे। अरांशा युवा खिलाड़ियों के लिये एक क्लीनिक भी आयोजित करेंगी और उन्हें खेल की बारीकियों से अवगत करायेंगी। उन्होंने साथ ही कहा कि इस तरह के टूर्नामेंटों से भविष्य के लिये क्ले कोर्ट प्रतिभाएं ढूंढने में मदद मिलेगी।

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