लंबे समय बाद पटरी पर लौट रही वैश्विक अर्थव्यवस्था, कुछ विकसित देशों की नीति से खतरा: जेटली - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 24 मई 2017

लंबे समय बाद पटरी पर लौट रही वैश्विक अर्थव्यवस्था, कुछ विकसित देशों की नीति से खतरा: जेटली

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गांधीनगर, 23 मई, केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज कहा कि मंदी के लंबे दौर के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था अब पटरी पर लौट रही है हालांकि कुछ विकसित देशों की ‘अंदर की ओर देखने’ की नीति के चलते इसके फिर से छिन्न-भिन्न होने की संभावना भी बढ रही है। श्री जेटली ने आज यहां अफ्रीकी विकास बैंक समूह के निदेशक मंडल की वार्षिक बैठक के उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी मे कहा कि दुनिया अनिश्चितता के दौर से गुजर रही थी पर आर्थिक गतिविधियों में मंदी के लंबे दौर के बाद आखिरकार सुधार की शुरूआत हो गयी है। पिछले साल वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर 3.5 प्रतिशत थी जो इस साल सुधर कर 3.6 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। लेकिन कुछ बडी अर्थव्यवस्थाओं के ‘भीतर की ओर’ देखने (वैश्विकरण के उलट) की नीति के चलते इसके फिर से छिन्न भिन्न होने की संभावना भी बढ रही है। उन्होंने इस संदर्भ में अपने हाल के अमेरिका दौरे के दौरान हुए मिश्रित अनुभव का भी जिक्र किया। हालांकि उन्होंने कहा कि अफ्रीका और भारत दोनो बेहतर कर रहे हैं और यह सदी केवल एशिया के बजाय एशिया और अफ्रीका दोनो की होगी। दुनिया की एक तिहाई आबादी भारत और अफ्रीका में रहती है। कई तरह के आर्थिक सुधारों के चलते भारत की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष के दौरान 7.7 प्रतिशत रहेगी। अफ्रीका भी अब बेहतर कर रहा है और इसकी औसत वृद्धि दर भी इस साल 3.4 प्रतिशत रहेगी। वहां मध्यम वर्ग की आबादी भी बढ रही है जिसकी क्रय क्षमता बढने से वहां की अर्थव्यवस्था को और मजबूती मिलेगी। भारत और अफ्रीका को एक दूसरे पर बिना कोई शर्त थोपे सहयोग के रास्ते पर चलते रहना चाहिए। दोनो के बीच सहयोग और संबंध और मजबूत हो रहे हैं। हाल के समय में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने 16 अफ्रीकी देशों का दौरा किया है और ऐसा एक भी अफ्रीकी देश नहीं जहां कोई न कोई भारतीय मंत्री न गया हो। यह महज संयोग नहीं है। श्री जेटली ने यह भी कहा कि अफ्रीका में कृषि क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। अफ्रीका में पूरे विश्व की 60 प्रतिशत कृषि योग्य भूमि है जबकि वहां अब तक केवल 10 प्रतिशत खाद्यान्न का ही उत्पादन होता है। दूसरी तरह दुनिया की आबादी के 17 प्रतिशत का बोझ संभालने वाले भारत के हिस्से ऐसी केवल 2 प्रतिशत भूमि ही है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि भारत और अफ्रीका के बीच परस्पर बढते संबंध भविष्य में और मजबूत होंगे।

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