हड्डी रोग विशेषज्ञ और रेडियोलॉजिस्ट के बीच समन्वय जरूरी : बीओए - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 15 मई 2017

हड्डी रोग विशेषज्ञ और रेडियोलॉजिस्ट के बीच समन्वय जरूरी : बीओए

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पटना 14 मई, बदलती जीवनशैली में जंकफूड के तरफ बढ़ते आकर्षण और समय के अभाव में व्यायाम को तरजीह नहीं देने जैसी प्रवृत्ति से लोगों में बढ़ रहे घुटने के दर्द की समस्या ने हड्डी रोग विशेषज्ञों के सामने चुनौती खड़ी कर दी है। ऐसे में घुटनों के बेहतर इलाज के लिए ऑर्थोपैडिक और रेडियोलॉजिस्ट के बेहतर संवाद और समन्वय का होना बेहद जरूरी है। बिहार ऑर्थोपैडिक एसोसिएशन (बीओए) की ओर से आज यहां ‘घुटने की रेडियोलॉजी’ विषय पर आयोजित कार्यशाला में एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) में हड्डी रोग के विभागाध्यक्ष डॉ. वी़ के़ सिन्हा ने बताया कि कार्यशाला में रेडियोलॉजिस्ट और हड्डी रोग विशेषज्ञों ने नई तकनीक की जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि हड्डी रोग के शल्य चिकित्सकों और रेडियोलॉजिस्टों के बीच संवाद और समन्वय बेहद जरूरी है ताकि दोनों मरीज की तकलीफ के संबंध में सटीक जानकारी लेकर एक दूसरे की अपेक्षाओं को पूरा कर सकें। वहीं, बीओए के सचिव एवं पीएमसीएच के ऑर्थोपैडिक विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ. राजीव आनंद ने कहा कि कई मामलों में चिकित्सक मरीज के एक्स रे, मैगनेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (एमआरआई), कम्प्यूटेड टैमोग्राफी (सीटी) स्कैन और अल्ट्रा साउंड के प्लेट को नहीं बल्कि रिपोर्ट को देखकर मरीज का इलाज करते हैं। रिपोर्ट और वास्तविक स्थिति में कई बार थोड़ा-बहुत अंतर रहता है जिससे कठिनाई उत्पन्न होती है।



श्री आनंद ने कहा कि रेडियोलॉजिस्ट अपने क्षेत्र में माहिर होते हैं और शल्य चिकित्सक अपने क्षेत्र में। ऐसे में एक दूसरे के चिकित्सकीय ज्ञान को समझने के लिए दोनों के बीच संवाद एवं समन्वय का होना जरूरी है। इससे अंतिम लाभ मरीज का ही होगा और यही हड्डी रोग विशेषज्ञ और रेडियोलॉजिस्ट का उद्देश्य भी होता है। बीओए सचिव ने कहा कि भाग-दौड़ के जीवन में जंकफूड पर बढ़ती निर्भरता, व्यायाम नहीं करने के साथ ही खान-पान में बदलाव से 30 वर्ष की आयु के बाद लोगों में हड्डियों के लिए आवश्यक पोषक तत्व कैल्सियम और विटामिन डी3 की मात्रा में कमी आने लग जाती है। इसके अलावा उम्र के साथ मांसपेशियों के कमजोर पड़ने और वजन बढ़ने से घुटने की हड्डियों के बीच घिसाव शुरू हो जाता है, जो पीड़ादायक दर्द का कारण तो बनता ही है साथ ही इसकी वजह से लोग चल-फिर भी नहीं पाते हैं। श्री आनंद ने बताया कि शरीर के सभी जोड़ों में घुटना अकेला ऐसा जोड़ है, जिसमें कुल का 30 प्रतिशत चोट और विकृति उत्पन्न होती है। सबसे अधिक चोट घुटने में ही लगती है। साथ ही चलने में भी घुटने का ही सर्वाधिक इस्तेमाल होता है। ऐसे में घुटने की देखभाल जरूरी हो जाती है। इसके लिए लोगों को नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए। साथ ही उन्हें जंकफूड के इस्तेमाल से भी बचना चाहिए।

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