बच्चे देश के भविष्य और कर्णधार हैं : राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

बुधवार, 24 मई 2017

बच्चे देश के भविष्य और कर्णधार हैं : राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू

child-nationl-future-drupdi-murmuरांची 23 मई, झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने बच्चाें को देश का भविष्य बताया और कहा कि बच्चों को उचित शिक्षा के साथ-साथ बेहतर मार्गदर्शन एवं पर्याप्त अवसर प्रदान करने की जरूरत है ताकि उनकी क्षमताओं का पूरी तरह से विकास हो सके। श्रीमती मुर्मू ने आज यहां झारखण्ड विधानसभा द्वारा ‘सुरक्षित बचपन, सुरक्षित भारत’ विषय पर आयोजित व्याख्यान में कहा कि यह सिर्फ माँ-बाप की जिम्मेदारी ही नहीं है, बल्कि पूरे समाज का परम कर्तर्व्य है। मेरी नज़र में, प्रत्येक बच्चा में हुनर है, उनमें प्रतिभा की किसी प्रकार की कमी नहीं है, जरूरत है उन्हें तराशने की, उसे सही दिशा प्रदान करने की तथा उनका मार्गदर्श न करने की। उन्होंने कहा कि झारखण्ड विधानसभा द्वारा बच्चों के हित में ही नहीं, बल्कि पूरे समाज एवं राष्ट्रहित में ‘सुरक्षित बचपन, सुरक्षित भारत’ जैसे अहम एवं गंभीर विषय पर आयोजित इस व्याख्यान कार्यक्रम में सम्मिलित होकर उन्हें अपार प्रसन्नता हो रही है। राज्यपाल ने कहा कि कार्यक्रम में बचपन बचाओ आन्दोलन के प्रणेता और नोबेल पुरस्कार विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी की मौजूदगी अत्यन्त ही सुखद है। निष्चित ही उनका मार्गदर्श न इस दिशा में राज्यहित में ही नहीं, बल्कि राष्ट्रहित में लाभदायक सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उराँव को इस प्रकार के गंभीर विषयों पर व्याख्यान कार्यक्रम करने के लिए वह बधाई देना चाहती हूं। प्रो. उराँव ने यह दिखाया कि वे न केवल सदन चलाने और विधायी कार्यों तक रूचि रखने मात्र तक सीमित नहीं हैं, बल्कि समिजहित एवं जनसरोकार से संबंधी सभी विषयों पर गंभीर तथा सजग हैं। श्रीमती मुर्मू ने कहा कि यह भी सत्य एवं बेहद दुःखद है कि जिस उम्र में बच्चों को भविष्य निर्माण के लिए विद्यालय जाना चाहिये, उस उम्र में हमारे देश में बहुत-से बच्चे, चाहे वे बालक हो या बालिका, घरेलू कार्य से लेकर कल-कारखानों तक में कार्य कर रहे हैं। बहुत-से किशोर-किशोरियों को रोजगार के नाम पर ठगा जाता हैं एवं अन्यत्र भेजे जाते हैं। जहाँं उनका शोषण होता है। संविधान में बाल श्रम पर रोक का प्रावधान है, इसे शोषण माना गया है, लेकिन यह भी चिन्तन करने का विषय है कि ये बच्चे पढ़ने, खेलने की अवस्था में मजदूरी करने को आखि़र क्यों विवश है और इनकी समस्याओं के निदान के लिए क्या-क्या किया जा सकता है। 


राज्यपाल ने कहा कि सरकार द्वारा बाल-श्रम रोकने के लिए कई योजनाएँ चलायी जा रही हैं। इसके सफल कार्यान्वयन के लिए सरकार के विभिन्न विभागों के साथ-साथ गैर सरकारी संगठनों को भी सक्रियतापूर्वक कार्य करना होगा। राज्य से होने वाले असुरक्षित पलायन और बाल श्रम को रोकने के लिए सरकार की योजनाओं को सभी तक सुगम बनाना और इसके प्रति सभी को जागरूक करना आवश्यक है, इसके लिए सभी बुद्धिजीवियों को भी एकजुट होकर कार्य करना होगा। श्रीमती मुर्मू ने कहा कि बाल श्रम से मुक्त बालिकाओं को समाज की मुख्यधारा से जोड़कर पुनर्वास के लिए उनके कौशल विकास के लिए प्रशिक्षण प्रदान कराना होगा। सरकार द्वारा बच्चों के विद्यालय के प्रति आकर्षण के लिए मध्याह्न भोजन योजना संचालित है। बच्चों को सही भोजन मिले, यह विद्यालय प्रबंधन के साथ-साथ क्षेत्रीय पदाधिकारी भी देखें तथा सुनिश्चित करें। साथ ही हमें इस ओर भी चिन्तन करना है और ध्यान देना है कि सिर्फ साक्षरता जरूरी नहीं है, अब गुणात्मक शिक्षा जरूरी है, जो सभी को सुलभ हो। राज्यपाल ने कहा कि आशा है कि हमारे देश के बच्चों के बचपन को बचाने के लिए सभी में तेज गति से जागरूकता आयेगी। कानूनी प्रावधान के साथ-साथ लोगों में बच्चों के प्रति संवेदनशीलता बेहतर बचपन की दिशा में सार्थक साबित होगा। 

कोई टिप्पणी नहीं: