नक्सलबाड़ी की 50 वीं वर्षगांठ पर भाकपा-माले ने आज पूरे बिहार में संकल्प सभा का आयोजन करते हुए देश में फासीवाद के बढ़ते खतरे को शिकस्त देने और लोकतंत्र, जनता के अधिकारों व धर्मनिरपेक्षता के झंडे को बुलंद करने का आह्वान देश की जनता से किया है. इस मौके पर आज बिहार में कई जगहों पर मार्च, संकल्प सभा आदि का आयोजन किया गया. अपने संदेश में भाकपा-माले ने कहा है कि मजदूर-किसानों व समाज के तमाम शोषितों-उत्पीड़ितों की मुक्ति और एक सच्चे लोकतंत्र व समाजवाद की स्थापना के सपने के साथ आज से 50 वर्ष पहले 25 मई 1967 को नक्सलबाड़ी का किसान विद्रोह उठ खड़ा हुआ और क्रांतिकारी वामपंथ का झंडा थामे 1969 में भाकपा (माले) का गठन हुआ. तबसे आज तक हमारी पार्टी तमाम शासक वर्गीय दमन का मुकाबला करते हुए जनता के तमाम तरह के अधिकारों का आंदोलन चलाती आई है. हमारी पार्टी के नेतृत्व में जनता ने संघर्षों की बदौलत अनके अधिकार हासिल किए, सम्मान के साथ सर उठाकर चलने का हक भी लिया और अपनी एक राजनीतिक ताकत बनाई.
लेकिन आज देश एक बेहद चुनौती भरे मोड़ पर खड़ा है. आज जब कारपोरेट-फासीवादी भाजपा व संघ परिवार जनता के तमाम अधिकारों को खत्म करने, बचे-खुचे लोकतंत्र का गला घोंटकर तानाशाही थोपने, असहिष्णुता को बढ़ावा देने, मेहनतकश वर्ग के अधिकारों में कटौती करने और अल्पसंख्यकों व अपने राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने में लगी है, तब नक्सलबाड़ी की शिक्षाएं और प्रासंगिक हो जाती हैं. मजदूर-किसानों, दलितों-महिलाओं और जनता के उत्पीड़ित हिस्सों पर थोपे गये जुल्म व अन्याय से मुक्ति की लड़ाई का नाम है - नक्सलबाड़ी! यही विचारधारा भाजपा को मुकम्मल तौर पर शिकस्त दे सकती है. राजद-जदयू जैसी पार्टियां भाजपा विरोध का ढोंग रच सकती हैं, लेकिन फासीवाद से कभी लड़ नहीं सकतीं. भाजपा के विकास-विस्तार के लिए मार्ग प्रशस्त करने वाली कांग्रेस तो कभी भी इसका विकल्प नहीं हो सकती.
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