नीतीश को महंगा पड़ा केंद्र की योजनाओं का नया नामकरण : भाजपा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

गुरुवार, 18 मई 2017

नीतीश को महंगा पड़ा केंद्र की योजनाओं का नया नामकरण : भाजपा

new-name-for-center-plan-costs-expensive-to-nitish
पटना 18 मई, भारतीय जनता (भाजपा) पार्टी ने उच्च न्यायालय से बिहार सरकार लगे झटके के बाद आज कहा कि मुख्यमंत्री नीतश कुमार को केंद्र सरकार की योजनाओं को समेट कर ‘सात निश्चय’ नामकरण करना महंगा पड़ा। बिहार विधानसभा की लोक लेखा समिति के सभापति एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता नंदकिशोर यादव ने यहां कहा कि केंद्र सरकार की योजनाओं को समेट कर ‘सात निश्चय’ नामकरण करना श्री कुमार को महंगा पड़ा। इसके दो निश्चय पर पटना उच्च न्यायालय का फैसला राज्य सरकार के लिए एक सबक है। इससे भी सीख लेकर राज्य सरकार केन्द्र की योजनाओं का उल्लेख कर सही तरीके से कार्यान्वयन नहीं करती है तो यह उसकी नादानी ही कही जायेगी। श्री यादव ने कहा कि सात निश्चय का हर घर नल का जल और पक्की गली-नाली योजना केंद्र सरकार की पुरानी योजना है जिसके कार्यान्वयन के लिए राशि वही देती है। केंद्र सरकार राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल आपूर्ति कार्यक्रम के तहत 60 प्रतिशत राशि देती है जिसे मुख्यमंत्री ने हर घर नल का जल नाम दे दिया है। भाजपा नेता ने कहा कि इसी प्रकार हर घर पक्की गली-नाली योजना प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का नया नामकरण है। यह सपना पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने देखा जिसे साकार करने का संकल्प प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने लिया। केंद्र सरकार ने इस योजना के लिए बिहार सरकार ने वर्ष 2016-17 में 3000 करोड़ रुपये दिये। इससे पूर्व इस मद में वर्ष 2014-15 में 1548 करोड़ और 2015-16 में 2781 करोड़ रुपया दिये गये। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत मिली इस राशि में 40 प्रतिशत हिस्सेदारी राज्य सरकार की है। श्री यादव ने कहा कि पटना उच्च न्यायालय में मुखिया संघ की ओर से दायर याचिका में इन दोनों योजनाओं में 14वें वित्त आयोग से मिली राशि को खर्च किये जाने की बात कहकर राज्य सरकार की दुराव और छिपाव नीति का भी भंडाफोड़ हो गया है। न्यायालय के फैसले के बाद अब इन योजनाओं के कार्यान्वयन का अधिकार सीधे पंचायतों के पास चला जायेगा जबकि श्री कुमार ने एक सोची समझी राजनीति के तहत इस योजना का सात निश्चय में समावेश कर इसके क्रियान्वयन का अधिकार वार्ड विकास समिति को सौंप दिया था। अंततः न्यायालय ने दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया है । उन्होंने कहा कि अब श्री कुमार के पास खिसियानी बिल्ली की तरह खंभा नोचने के अलावा कोई विकल्प नहीं रह गया है।

कोई टिप्पणी नहीं: