कोलंबो, 12 मई, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सतत विश्व शांति की राह में घृणा और हिंसा पर आधारित मानसिकता को सबसे बड़ी चुनौती करार देते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चेताया कि हमारे क्षेत्र में घृणा आधारित मानसिकता और इसके समर्थक बातचीत की धारणा के खिलाफ है और मौत एवं विध्वंस के प्रति इनका खुला रूख है । अंतरराष्ट्रीय बैसाख दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘ सतत विश्व शांति की राह में सबसे बड़ी चुनौती ऐसी मानसिकता है जिसकी जड़ों में घृणा और हिंसा बसी है, और यह अनिवार्य रूप से राष्ट्रों के बीच संघर्ष के कारण नहीं उपजी है। ’’ मोदी ने कहा, ‘‘ हमारे क्षेत्र में आतंकवाद विध्वंसात्मक भावना की ठोस अभिव्यक्ति है ।’’ उनका संकेत परोक्ष रूप से पाकिस्तान की ओर था जिस पर भारत में आतंकी हमले और इन्हें प्रशिक्षण देने का आरोप है। उन्होंने कहा कि सतत विश्व शांति के लिए सबसे बड़ी चुनौती वर्तमान में अनिवार्य रूप से राष्ट्रों के बीच का संघर्ष नहीं है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह मानते हैं कि सामाजिक न्याय और सतत विश्व शांति की थीम बुद्ध के उपदेशों से गहन मेल खाती है। इस अवसर पर श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना, प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे, राजनयिक, नेता और दुनिया भर से आये बौद्ध नेता मौजूद थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी श्रीलंका यात्रा के दौरान दिकोया में भारत के सहयोग से निर्मित अत्याधुनिक अस्पताल का उद्घाटन भी किया ।
शुक्रवार, 12 मई 2017
प्रधानमंत्री ने विश्व समुदाय को हिंसा एवं घृणा आधारित मानसिकता के प्रति चेताया
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