‘सुरक्षित बचपन सुरक्षित भारत’ के तहत कन्याकुमारी से दिल्ली तक विशेष पद यात्रा : सत्यार्थी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 24 मई 2017

‘सुरक्षित बचपन सुरक्षित भारत’ के तहत कन्याकुमारी से दिल्ली तक विशेष पद यात्रा : सत्यार्थी

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रांची, 23 मई, नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने आज कहा कि देश में बच्चों पर हो रहे यौनचार एवं हिंसा की रोकथाम और जन जागरूकता के लिए ‘सुरक्षित बचपन सुरक्षित भारत’ नारे के साथ कन्याकुमारी से दिल्ली तक विशेष पदयात्रा की जायेगी। श्री सत्यार्थी ने यहां सूचना भवन में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कन्याकुमारी स्थित विवेकानंद शिला स्मारक से यह यात्रा प्रारंभ होकर राजधानी दिल्ली में समाप्त होगी। यात्रा 15 अगस्त के बाद शुरू होगी और दिवाली से एक दिन पूर्व समाप्त होगी। उन्होंने कहा कि करीब दो माह तक चलने वाली इस यात्रा में सामाजिक संगठनों, घर्मगुरूओं, स्कूली बच्चों और युवाओं को शामिल करने की योजना है। यात्रा की समाप्ति पर करीब एक करोड़ लोगों को बच्चों के खिलाफ हिंसा या यौन उत्पीड़न नहीं करने की शपथ दिलाई जायेगी। यह यात्रा बच्चों के प्रति हो रहे हिंसा और यौन उत्पीड़न के खिलाफ दुनिया की सबसे बड़ी पदयात्रा प्रमाणित होगी। श्री सत्यार्थी ने कहा कि बच्चों के कल्याण और उनके अंदर आत्मविश्वाश का संचार करने के उदेश्य से झारखण्ड के 500 गांवों को बाल मित्र गांव के रूप में विकसित किया जायेगा। राज्य में ऐसे गांव की संख्या फिलहाल 131 है। ऐसे गांव में बाल मजदूरी, बाल विवाह, मानव तस्करी पर जन जागरूकता के माध्यम से रोक लगाने का प्रयास किया जायेगा। बच्चों को शामिल कर बाल पंचायत का गठन किया जायेगा जो बड़ी पंचायत से सामंजस्य स्थापित कर अपनी समस्याओं को रखेंगे। गांव के सभी बच्चों को शिक्षा से जोड़ा जायेगा।


श्री सत्यार्थी ने कहा , “ माओवादी, उग्रवादी या आंतकवादी को यह समझना होगा कि हिंसा से समस्याओं का समाधान नहीं होगा। वे बच्चों के कोमल मानसिकता को प्रभावित करते हुए हिंसा के लिए उनका इस्तेमाल नहीं करें। उनके हाथों में पुस्तक देने के बजाए हथियार नहीं थमायें क्योंकि इससे वे अपनी राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक मांग को पूरा नहीं कर सकते। बच्चों का हिंसा में उपयोग मानवता के विरूद्ध है। कश्मीर में पत्थर चला रहे बच्चों को रोकने की नैतिक जिम्मेवारी उनके परिजनों और सामाजिक संगठनों की है। ”  नोबेल विजेता ने बताया कि मुख्यमंत्री रघुवर दास से उनकी बात हुई है। उनकी पांच मांगों पर विचार करने का भरोसा मुख्यमंत्री ने दिया है। मुख्यमंत्री ने प्लेसमेंट एजेंसी के नाम पर किये जा रहे मानव तस्करी की रोकथाम के लिए जल्द बेहतर एवं प्रभावी कानून बनाने, मानव तस्करी, बाल मजदूरी या यौन हिंसा के शिकार बच्चों को तत्काल राहत प्रदान करने के लिए फंड का निर्माण करने , रांची और गुमला में मानव तस्करी से प्रभावित बच्चों के लिए केंद्र की स्थापना करने, हिंसा या उत्पीड़न से प्रभावित बच्चों के साथ व्यवहार कुशल बनने के लिए राज्य के अधिकारियों को प्रशिक्षित करने और बाल मित्र गांव के निर्माण पर अपनी सहमति प्रदान की है। श्री सत्यार्थी ने कहा कि सोशल मिडिया के जरिये भी देश की बच्चियां हिंसा की शिकार हो रहीं हैं। उनकी तस्वीरों या उनके संबंध में गलत संदेश प्रेषित किया जा रहा है। इससे आहत होकर बच्चियां आत्महत्या कर रहीं हैं। सोशल मीडिया के जरिये सेक्स और हिंसा को बढ़ावा मिल रहा है। देश के सीमावर्ती इलाकों में रह रहे बच्चे नशे की चपेट में आ रहें हैं। इसकी रोकथाम होनी चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय ने बच्चों को नशा मुक्त करने और गुमशुदा बच्चों के लिए कार्यपालिका को निदेश भी दिया है। लेकिन सिर्फ कानून बन जाने से इसे नहीं रोका जा सकता इसके लिए जनजागृति बेहद जरूरी है। 

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