सीहोर (मध्यप्रदेश) की खबर 22 मई - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

सोमवार, 22 मई 2017

सीहोर (मध्यप्रदेश) की खबर 22 मई

नरवाई जलाने वाले किसान से प्रतिबंधित पर्यावरण क्षतिपूर्ति वसूली होगी

sehore map
पर्यावरण सुरक्षा, जन-स्वास्थ्य एवं जीव-जन्तुओं के जीवन सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा पर्यावरण प्रदूषण एवं नियंत्रण अधिनियम-1981 के तहत प्रदेश में धान एवं गेहूँ की फसल की कटाई के बाद फसल अवशेषों (नरवाई) को जलाना प्रतिबंधित किया गया है। ट्रिब्यूनल के निर्णय के अनुसार राज्य के पर्यावरण विभाग ने इस संबंध में सोमवार को अधिसूचना जारी कर दी है। अधिसूचना जारी होने के बाद किसान-कल्याण एवं कृषि विकास विभाग ने सभी कलेक्टर्स को अधिसूचना के निर्देशों को तत्काल प्रभाव से लागू करने का आदेश जारी कर दिया है। विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार अधिसूचना के निर्देश के अनुरूप कार्यवाही का दायित्व जिला दण्डाधिकारी का निर्धारित किया गया है। अधिसूचना के प्रावधानों का उल्लंघन किये जाने पर व्यक्ति या निकाय को पर्यावरण क्षतिपूर्ति  राशि देय होगी। इसके अनुसार दो एकड से कम कृषि भूमि वाले किसान से नरवाई जलाने पर 2500 रुपये, दो से अधिक एवं पाँच एकड से कम कृषि भूमि वाले किसान से नरवाई जलाने पर 5 हजार रूपये एवं  पाँच एकड से अधिक कृषि भूमि वाले किसान से 15 हजार रुपये पर्यावरण क्षतिपूर्ति वसूली जायेगी। गौरतलब है कि नरवाई जलाने से पर्यावरण प्रदूषण के साथ-साथ पशु-पक्षियों की जान का खतरा होता है। कभी-कभी मानव हानि भी होती है। मिट्टी की उर्वरा शक्ति, सूक्ष्म जीवाणु एवं आर्दता खत्म होने से फसल की उत्पादकता भी कम होती है।


कोई टिप्पणी नहीं: